20 से कम विद्यार्थियों वाले स्कूलों की मर्जिंग में विधायक-अफसरों के रिश्तेदार बने अड़चन, जानें पूरा मामला

मध्यप्रदेश में 20 से कम विद्यार्थियों वाले स्कूलों का मर्जर क्यों नहीं हो पा रहा है? जानिए इस समस्या के पीछे के राजनीतिक और प्रशासनिक कारणों को विस्तार से...

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Amresh Kushwaha
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मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग ने पिछले साल एक नियम जारी किया था। इसके तहत उन स्कूलों को बंद किया जाना था जिनमें विद्यार्थियों की संख्या 20 या उससे कम है। इन स्कूलों को पास के बड़े स्कूलों में मर्ज करने का उद्देश्य था कि शिक्षा का स्तर बेहतर किया जा सके और शिक्षक की कमी को भी दूर किया जा सके। लेकिन यह प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो पाई है, और इसके पीछे कई कारण हैं। इनमें राजनीतिक और प्रशासनिक कारण प्रमुख हैं।

17 जिलों के 4608 स्कूल होने थे मर्ज

मध्यप्रदेश के 17 जिलों में ऐसे 4608 स्कूल हैं जहां विद्यार्थियों की संख्या 20 से कम है। एक साल पहले इन स्कूलों को बंद करना था, लेकिन अब तक मर्जर की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। bhaskar.com के अनुसार, इस देरी के पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि इन स्कूलों में कुछ नेताओं, अधिकारियों और शिक्षक संघ के पदाधिकारियों के रिश्तेदारों के पदस्थ होने का मामला। यही कारण है कि मर्जर की प्रक्रिया बार-बार टल जाती है।

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राजनीतिक रसूख का प्रशासन पर असर

राजनीतिक रसूख का असर प्रशासन पर पड़ता है। कई स्थानों पर यह देखा गया है कि जहां विद्यार्थी संख्या कम है, वहां अधिक शिक्षक तैनात हैं। उदाहरण के लिए, दमोह जिले के झलौन प्राथमिक स्कूल में केवल एक विद्यार्थी है, लेकिन यहां दो शिक्षक तैनात हैं। यदि इन स्कूलों को बंद कर दिया जाए तो करीब 5000 अतिरिक्त शिक्षक उन स्कूलों में भेजे जा सकते हैं जहां स्टाफ की कमी है।

सागर जिले के स्कूल में भाजपा नेता के रिश्तेदार

मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में ऐसे कई उदाहरण हैं जहां छोटे स्कूलों को बंद करने की प्रक्रिया नहीं हो पा रही है। उदाहरण के तौर पर, सागर जिले में गांधी मुहाल पटकुई प्राथमिक स्कूल में केवल 5 विद्यार्थी हैं, लेकिन यहां 2 शिक्षक तैनात हैं। ये दोनों शिक्षक भाजपा नेता विनोद गुरु की भतीजी अर्चना तिवारी और पूर्व जनपद उपाध्यक्ष राजधर यादव के रिश्तेदार हैं।

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शिक्षक संघ का भी पड़ रहा प्रभाव

शिक्षक संघ के पदाधिकारियों का भी इस मामले में बड़ा हाथ है। रायसेन जिले के बिरौली प्राथमिक स्कूल में केवल 15 विद्यार्थी हैं, लेकिन यहां के शिक्षक राजकुमार धाकड़ आजाद अध्यापक संघ के जिला सचिव हैं। इसके कारण इस स्कूल का मर्जर रोक दिया गया है। इसी प्रकार के कई उदाहरण प्रदेश के अन्य जिलों में भी देखने को मिलते हैं।

17 जिलों में प्रभावित स्कूलों की सूची

मध्यप्रदेश के 17 जिलों में ऐसे कुल 4608 स्कूल हैं। यहां विद्यार्थियों की संख्या 20 से कम है। इनमें से प्रमुख जिलों की सूची निम्नलिखित है-

  • अनूपपुर: 488

  • राजगढ़: 480

  • डिंडोरी: 427

  • नर्मदापुरम: 408

  • छिंदवाड़ा: 401

  • गुना: 397

  • भिंड: 370

  • कटनी: 370

  • मैहर: 64

  • सीहोर: 270

  • रायसेन: 264

  • दतिया: 169

  • दमोह: 169

  • हरदा: 103

  • सागर: 100

  • टीकमगढ़: 66

  • धर्मपुरी: 64

  • मुरैना: 64

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मामले की गहराई से करेंगे जांच - प्रमुख सचिव, शिक्षा विभाग

स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव संजय गोयल ने इसको जांच करने की बात कही है। उन्होंने कहा- प्रदेश में 20 से कम छात्रों वाले सरकारी स्कूलों का मर्जर किया जा रहा है। यह प्रक्रिया वर्तमान में चल रही है। यदि कुछ स्थानों पर प्रभावशाली शिक्षक इसे रोकने की कोशिश कर रहे हैं, तो हम इसकी गहराई से जांच करेंगे।

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एमपी में स्कूल का मर्जर | MP News

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