इंदौर. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के वीएलएसआई ग्रुप द्वारा टाइनी टैप आउट शैक्षणिक परियोजना के तहत एक सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन की गई है। यह चिप डेटा स्टोरेज की सटीकता को बढ़ाती है, साथ ही इससे सैटेलाइट इमेजरी और बायोमेडिकल एप्लिकेशन के क्षेत्र में फायदा भी पहुंचाएगी। इस उपलब्धि के लिए उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय परिवार को इस नवाचारी शोध के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारी शोध
मंत्री परमार ने कहा है कि डॉ. वैभव नीमा एवं उनके सहयोगी शोधार्थियों के पुरुषार्थ से सृजित यह नवाचार, तकनीक के क्षेत्र में निश्चित ही अपनी महती उपयोगिता सुनिश्चित करेगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के यशस्वी नेतृत्व में, राज्य सरकार गुणवत्तापूर्ण तकनीकी शिक्षा और इसमें नवाचार, शोध एवं अनुसंधान के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है और निरंतर नए आयाम स्थापित कर रही है। तकनीकी शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों के समग्र विकास एवं प्रगति के साथ, शैक्षणिक एवं अकादमिक स्तर पर उत्तरोत्तर गुणवत्ता वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा डीएवीवी तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारी शोध करना, प्रशंसनीय एवं अनुकरणीय है। प्रदेश के समस्त तकनीकी शिक्षण संस्थान भी शोध एवं नवाचार की दिशा में नवीन आयाम स्थापित करने के लिए प्रयास करें।
सेमीकंडक्टर चिप से ये होंगे फायदें
-सैटेलाइट इमेजरी और बायोमेडिकल एप्लिकेशन को फायदा होता है।
-सेमीकंडक्टर चिप को टाइनी टेपआउट शैक्षणिक परियोजना के तहत विकसित किया गया है।
-यह परियोजना सेमीकंडक्टर डिजाइन को अधिक सुलभ और किफायती बनाने का लक्ष्य रखती है।
-इस उपलब्धि के साथ देवी अहिल्या विश्वविद्यालय उन प्रतिष्ठित भारतीय संस्थानों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने सफलतापूर्वक एक फैब्रिकेटेड सेमीकंडक्टर चिप डिज़ाइन किया है।
-इस चिप की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है यह कि जो डेटा का सुनिश्चित कर सकती है, जो सैटेलाइट इमेजिंग, बायोमेडिकल रिसर्च और एनालिटिक्स जैसे क्षेत्रों में सटीक डेटा प्रोसेसिंग के लिए आवश्यक है।
डेटा की गलतियों में होगा सुधार
यह चिप स्काईवाटर की 130 एनएम तकनीक का उपयोग करके विकसित की गई है, जो डेटा त्रुटियों का तुरंत पता लगाकर उन्हें सुधार सकती है। यह सफलता देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत करती है और डेटा की गलतियों का पता लगाकर उन्हें सुधार सकती है।
सात सदस्यों की टीम ने किया है डिजाइन
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के आईईटी के फैकल्टी और रिसर्च स्कॉलर्स समेत सात सदस्यों की टीम ने इस चिप को डिज़ाइन किया है और इसे फैब्लैब मलेशिया से फैब्रिकेट करवाया है। इस टीम का नेतृत्व डॉ. वैभव नीमा ने किया है, उनके साथ प्रोफेसर रवि सिंदल, प्रियंका शर्मा, आशीष पंचाल और पीएचडी स्कॉलर्स ऋषभ बडजात्या, अमित साहनी और आस्था गुप्ता शामिल हैं।
डेढ़ साल में डिजाइन हुई चिप
शोधार्थी टीम ने पिछले लगभग डेढ़ साल से इस सेमीकंडक्टर चिप को डिजाइन करने के लिए कड़ी मेहनत की है। आईईटी के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शैलेश सिंह चौहान ने भी इस परियोजना में मार्गदर्शन दिया है, जो वर्तमान में स्वीडन विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं। इस सेमीकंडक्टर चिप की डिजाइन तैयार करने में आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर डॉ. संतोष कुमार विश्वकर्मा द्वारा निरंतर सहयोग एवं मार्गदर्शन दिया गया है।
अनुसंधान और औद्योगिक अनुप्रयोग
शोधार्थी टीम के नेतृत्वकर्ता डॉ. वैभव नीमा ने बताया कि इस सेमीकंडक्टर चिप से अब हम परीक्षण और पेटेंट पर भी काम कर सकेंगे। डॉ. वैभव नीमा ने बताया आईईटी को इस परियोजना के लिए केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से चिप्स टू स्टार्टअप्स कार्यक्रम के तहत 1 करोड़ रुपए का अनुदान मिला है। इस योजना का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में 85 हजार इंजीनियरों को एम्बेडेड सिस्टम डिजाइन के क्षेत्र में प्रशिक्षित करना है। इस पहल से सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और निर्माण उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।