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इंदौर विकास प्राधिकरण यानी IDA की स्कीम 114 पार्ट-2 निरंजनपुर की 500 करोड़ से अधिक कीमत की, 3.318 हेक्टेयर जमीन पर गुपचुप होने वाले निर्माण काम का खुलासा 'द सूत्र' ने किया था। अब एक और बड़ा चौंकान वाला खुलासा 'द सूत्र' कर रहा है। इस बेशकीमती जमीन पर हाईकोर्ट के स्टे के बाद भी नगर निगम इंदौर की कॉलोनी सेल ने यहां आवेदकों को विकास मंजूरी ही जारी कर दी।
ना टीएंडसीपी ना डायवर्सन, फिर कैसे मंजूरी ?
'द सूत्र' के पास आई दस्तावेजी जानकारी के अनुसार, इस मामले में आईडीए और भू स्वामी तख्तानी परिवार के बीच चले विवाद के दौरान रिट पिटीशन 3479/2015 लगी थी, जिसमें स्टे ऑर्डर है, जो जारी है। इस मामले में 10 मार्च को सुनवाई है। लेकिन इस स्टे के बाद भी नगर निगम द्वारा 21 मार्च 2018 को आवेदक रेवाचंद्र पिता सेवाराम तख्तानी, लालचंद्र पिता सेवाराम, राजकुमार पिता सेवाराम, कन्हैयालाल पिता सेवाराम, प्रकाश पिता सेवाराम को विकास मंजूरी जारी कर दी गई। वहीं विकास मंजूरी में साफ है कि टीएंडसीपी इंदौर से तो नक्शा ही मंजूर नहीं हुआ। इसमें आवेदक ने टीएंडसीपी में नक्शा पास के लिए लगाया, और तय तारीख तक पास नहीं होने पर डीम्ड परमीशन मानी गई। वहीं निगम के आवेदन में लगा दी गई। हद तो यह है कि यहां पर तो डायवर्सन भी विधिवित कलेक्टोरेट एसडीएम से जारी नहीं हुआ, बल्कि इसके लिए भी आवेदन लगा और डीम्ड परमीशन मानकर निगम में यह सभी डीम्ड परमीशन के आवेदन लगा दिए। इसी के आधार पर ही निगम ने विकास मंजूरी भी जारी कर दी।
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जमीन पर ये है विवाद
योजना क्रमांक 114 भाग टू निरंजनपुर सर्वे नंबर 416/4, 416/4, 417/2, 417/3 के कुल एरिया 3.318 हेक्टेयर जमीन है। इसकी मौजूदा कीमत 500 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। आईडीए ने यहां पर स्कीम लांच की थी। हालांकि तब इस जमीन के स्वामी देव श्री सिनेमा के मालिक मनोहर देव ने धारा 50(3) के तहत छूट ली और कहा कि उन्होंने यहां पर ड्राइव इन सिनेमा खोलने की मंजूरी ले रखी है। आईडीए ने संकल्प 221 से 30 नवबंर 1992 द्वारा निजी विकास की सशर्त मंजूरी दे दी। शर्त थी कि यहां ड्राइव इन सिनेमा ही बनेगा और इसके सिवा अन्य कोई काम नहीं होगा और ना ही भूमि का हस्तांतरण होगा। लेकिन सिनेमा नहीं बना और यह जमीन भी तख्तानी परिवार को बेच दी गई। इस पर आईडीए ने संकल्प 105 जो दो जून 2014 को पास किया उसके तहत जमीन को अपनी स्कीम में ले लिया और निजी विकास मंजूरी संबंधी करार को रद्द कर दिया। उधर निजी भूमिस्वामी ने इस पर आवासीय/व्यावसायिक नक्शा पास करने की पहल टीएंडसीपी में की जिस पर आईडीए ने आपत्ति लगाई। यह पूरा विवाद अब हाईकोर्ट में चल रह है और औपचारिक तौर पर यह जमीन आईडीए की स्कीम में घोषित है।
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आईडीए सीईओ, निगमायुक्त यह बोले
इस मामले में आईडीए सीईओ रामप्रकाश अहिरवार ने द सूत्र द्वारा मुद्दा उठाने पर मौके पर काम रुकवाया। उन्होंने विकास मंजूरी मामले में कहा कि यह जानकारी सामने आई है और हमने नगर निगम को इस मामले में पत्र भेजकर इसमें विकास मंजूरी निरस्त करने की मांग की है। वहीं निगमायुक्त शिवम वर्मा ने द सूत्र को बताया कि आईडीए से इस संबंध में जानकारी आई है और कॉलोनी सेल को इसकी जांच के लिए कहा है यदि ऐसा है तो विकास मंजूरी निरस्त करेंगे।
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