/sootr/media/media_files/2025/06/18/indore-electricity-outage-situation-md-anup-singh-meeting-2344f5d3.jpg)
शहर में थोड़ी भी आंधी चलने या बारिश आने पर बत्ती गुल क्यों हो रही है? मेंटेनेंस को लेकर क्या हो रहा है? राशि बढ़ाने के बाद भी इंदौर में कटौती की समस्या क्यों बनी हुई है? यह तीखे सवाल ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न तोमर और एसीएस अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई ने मंगलवार को बैठक में मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के MD अनूप सिंह से किए। द सूत्र की खबर के अनुसार आईपीडीएस में 523 करोड़ का घोटाला भी बैठक में चर्चा में रहा। इस पर भी रिपोर्ट मांगी गई है।
मंत्री तोमर ने कहा, इंदौर की कटौती, घोटाले से सुनना पड़ा
मंत्री और एसीएस की इस बैठक में तीनों वितरण कंपनियों के MD, तकनीकी निदेशक, अधिकारी (SE, CE) के साथ ही पहली बार जनसंपर्क अधिकारियों को भी बुलाया गया। इस बैठक में मंत्री तोमर ने साफ शब्दों में कहा कि मुझे अपने कार्यकाल में पहली बार मुख्यमंत्री जी द्वारा विभागीय कमियों, खासकर बिजली कटौती, गड़बड़ियों और इंदौर को लेकर टोका गया है। पहले 10 करोड़ राशि होती थी, अब मेंटेनेंस के लिए 15 करोड़ जारी हो रहे हैं। इसके बाद भी लगातार बिजली को लेकर शिकायतें आ रही हैं।
MD सिंह ने फिर वही कारण बताया, ACS हुए नाराज
इंदौर की कटौती और समस्याओं को लेकर जब MD अनूप सिंह से बात की गई तो उन्होंने फिर 12 जून की आंधी-बारिश का कारण बता दिया। इस पर ACS मंडलोई ने उन्हें टोक दिया और फिर वही कारण बताने पर नाराजगी जताई। वहीं मंत्री तोमर ने भी कहा कि एक जैसी घटनाओं को बार-बार कारण बताकर जिम्मेदारी से बचने की प्रवृत्ति छोड़ दीजिए।
इतनी शिकायतें मिलीं, इंदौर में अटेंड ही नहीं हो रही
बैठक में बताया गया कि इंदौर में 1268 शिकायतें मिलीं, जो सर्वाधिक हैं। इनमें से 300 से ज्यादा शिकायतें चार घंटे से अधिक समय तक लंबित रहीं। उज्जैन में 334 शिकायतें, रीवा में भी शिकायतें बढ़ रही हैं। अधिकारियों द्वारा कॉल रिसीव नहीं करने पर भी मंत्री और ACS ने जमकर नाराजगी जाहिर की और कहा कि यह क्या तरीका है, पहले भी 15 अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो चुकी है। MD से कहा गया कि शिकायतें होने पर जिम्मेदारी तय कर सस्पेंड जैसी कार्रवाई तेजी से की जाए।
पहली बार PRO से भी मांगा जवाब
बैठक में पहली बार विभाग द्वारा नियुक्त किए गए जनसंपर्क अधिकारियों (PRO) को भी बुलाया गया और उनके काम को लेकर मंत्री ने साफ कहा कि विभाग की नेगेटिव खबरें लगातार आती हैं, लेकिन अच्छे कामों की कोई सूचना नहीं आती है। हम करोड़ों का बजट जारी करते हैं, लेकिन फील्ड में योजना चल रही है या नहीं, किसी अधिकारी से लेकर अन्य किसी को जानकारी नहीं होती है। इसमें इंदौर से PRO अवधेश शर्मा से पहली बैठक, निर्देशों पर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया। जबलपुर के PRO घनश्याम के काम पर भी नाराजगी जाहिर हुई। अब PRO के काम की भी समीक्षा बैठक होगी।
खबर यह भी...बिजली शिकायत : समाधान के लिए VIP उपभोक्ताओं को मिलेगी विशेष सुविधा
IPDS घोटाले से भी सीएम नाराज
वहीं यह भी सामने आया है कि द सूत्र द्वारा प्रकाशित की गई IPDS में 523 करोड़ के घोटाले की खबर भी CM और उर्जामंत्री तक पहुंची है और इससे CM नाराज हैं। इस पूरी रिपोर्ट को मंगाया गया है कि चार साल में अभी तक जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई की गई है। वहीं प्रारंभिक तौर पर यह भी बताया गया कि यह घोटाला केवल इंदौर के दो जोन और देवास में ही जांच के दौरान 20 करोड़ रुपए से अधिक का निकला था, लेकिन यह घोटाला 300 करोड़ रुपए से कम नहीं है। जिस तरह से प्रारंभिक जांच में ही सामने आया कि देवास में तालाब में खंबे लगाना बताया गया, बजरंग नगर में खंबे गायब हैं और 55 खंबों की बिलिंग हुई है, IPDS की सामग्री निजी कॉलोनियों में लग गई, खासकर अवैध कॉलोनियों में बेच दी गई।
इस घोटाले से प्रारंभिक तौर पर 200 करोड़ से ज्यादा का नुकसान
यह भी बताया गया कि इस घोटाले में
-
फर्जी खंबे, ट्रांसफार्मर में हुए भुगतान से – 85 से 100 करोड़ का नुकसान हुआ
-
कागजों पर श्रम मजदूरी के काम में भुगतान- 30 करोड़ से ज्यादा
-
निजी बिल्डर द्वारा उपयोग में ली गई सामग्री से- 20 करोड़ से ज्यादा
- इसके चलते आगे जो मेंटेनेंस की समस्या पर खर्च होगा- 50 करोड़ से ज्यादा
(इस तरह इस घोटाले से करीब 200 करोड़ का खर्च अतिरिक्त आएगा)
द सूत्र ने किया था घोटाला उजागर
द सूत्र ने इस पूरे घोटाले पर खबर प्रकाशित की थी। मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर को केंद्र की इंटीग्रेटेड पॉवर डेवलपमेंट स्कीम (IPDS) के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार के लिए 14 जिलों के लिए 523 करोड़ रुपए मिले थे। इसमें से इंदौर शहर के लिए 167 करोड़ रुपए थे। कायदे से तो यह राशि इसलिए केंद्र ने दी थी कि इससे बिजली कंपनी पुराने तार, खंबे, ट्रांसफार्मर हटवाएं और इसकी जगह नया इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करें, लेकिन इसमें कंपनी के एक-दो नहीं, बल्कि 26 अधिकारियों ने मिलकर खेल कर दिया।
खबर यह भी...इंदौर में 523 करोड़ के बिजली घोटाले की सजा भुगत रहे लोग, कंपनी के 12 अधिकारी दोषी, 12 की जांच जारी
इस तरह किया गया यह घोटाला
साल 2017 में यह राशि आई और इसके तहत साल 2020 तक काम किया गया। अब इसमें कंपनी के असिस्टेंट इंजीनियर (AE), डिविजनल या एक्जीक्यूटिव इंजीनियर (DE/EE) और सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर (SE) ने खेल किया। इन्होंने ठेकेदारों से मिलीभगत कर इस स्कीम में खरीदे गए ट्रांसफार्मर, खंबे, तारों को बायपास व अन्य जगह बन रही कॉलोनियों के निजी बिल्डर को बेच दिया। ठेकेदारों को यह माल सस्ते दामों में बेच दिया। इसके साथ ही जहां एक खंबा लगना था, वहां कागजों पर तीन लगना बता दिया गया। तय रूट से अलग जगह पर भी ट्रांसफार्मर और खंबे लगने का दावा किया गया। वहीं कागजों पर लगने वाली इस सामग्री के लिए मजदूरों को लगाने का दावा कर उस काम के भी बिल लगवा दिए। यानी दोनों तरफ से माल कूटा।
इसके बाद 26 अधिकारियों की हुई जांच शुरू, ये दोषी मिले
इसके बाद बिजली कंपनी ने इसमें सख्ती दिखाई और 26 बिजली कंपनी अधिकारियों को नोटिस जारी हुए। इन पर आरोप लगते हुए जांच शुरू की गई। इसमें दो अधिकारी कामेश श्रीवास्तव और आरके नेगी को बरी किया गया, लेकिन 12 अधिकारियों को दोषी मानते हुए दो से चार इंक्रीमेंट रोकने की कार्रवाई की गई। इनमें AE से लेकर DE और SE स्तर तक के अधिकारी हैं। दोषी पाए गए अधिकारियों में सतीश कुमरावत, एम गर्ग, भूपेंद्र सिंह, अभय कुमार पांडे, अनिल व्यास, सत्यप्रकाश जायसवाल, आरपी सिंह, आरपी कुंडल, बीएम गुप्ता, एम जेड़, ऋषिराज ठाकुर शामिल हैं। लेकिन अभी भी 12 अधिकारियों की जांच जारी है। यह जांच चार साल से चल रही है।
छोटी जांच में ही 20 करोड़ का घोटाला निकल गया
कंपनी ने इस मामले में केवल इंदौर के दो डिवीजन और देवास को ही जांच में लिया, जबकि काम 14 जिलों में हुआ था। इस जांच में भी करीब 20 करोड़ का घोटाला सामने आ गया था। इसमें कंपनी अधिकारियों के साथ ही ठेकेदार कंपनी क्षेमा पावर चेन्नई भी दोषी पाई गई। ठेकेदार कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया गया। लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदारों ने सभी 14 जिलों की जांच नहीं कराई और घोटाला बढ़ते देखते हुए और बढ़ते दबाव के चलते मामले को वहीं रोक दिया गया। जबकि मौके पर जहां खंबे, तार लगाना बताया गया, वहां खंबे मिले ही नहीं, जैसे बजरंग नगर में 55 खंबे गायब मिले, जिसके लिए करोड़ों की बिलिंग हुई थी।
EOW में इसलिए रुकी जांच
इस मामले में EOW में भी शिकायत हुई और आरोपी ठेकेदार और कंपनी अधिकारियों की मिलीभगत पर केस करने की मांग हुई। लेकिन करीब डेढ़-दो साल से यह जांच यहां रुकी हुई है। बताया जा रहा है कि कंपनी ने इस मामले में कोई भी दस्तावेज EOW को उपलब्ध नहीं कराए हैं, इसके चलते जांच ही नहीं हो रही है।
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें
📢🔃 🤝💬👩👦👨👩👧👧
thesootr links
-
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
सीएम मोहन | ऊर्जा मंत्री का एक्शन | ऊर्जा मंत्री तोमर | ऊर्जा मंत्री प्रदुमन सिंह तोमर | Indore News | MP News | बिजली कटौती की शिकायत | ACS नीरज मंडलोई | आईएएस नीरज मंडलोई | प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई