सरकारी नौकरी में आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के लिए हाईकोर्ट इंदौर ने बड़ा फैसला सुनाया है। मामला आवेदन के दौरान जानकारी देने से जुड़ा हुआ है। आपराधिक केस की जानकारी नहीं देने पर याचिकाकर्ता को सरकारी नौकरी से बाहर कर दिया गया था। अब शासन को उसे वापस लेना होगा।
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यह है मामला
एक वनरक्षक ने याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता आरिफ की ओर से अधिवक्ता आनंद अग्रवाल ने केस में तर्क रखे। इसमें बताया गया कि नौकरी में आने से पहले आरिफ पर मारपीट, गाली-गलौज जैसी धाराओं में केस दर्ज हुआ। इस केस में वह बरी हो गया। नौकरी ज्वाइन करते समय उसके खिलाफ थाने में कोई केस नहीं था। याचिकाकर्ता ने नौकरी के दौरान घोषणा पत्र भरा कि उसके खिलाफ कोई आपराधिक केस नहीं है, लेकिन शासन ने इसलिए नौकरी से हटा दिया कि जो शपथपत्र भरा उसमें इस केस की जानकारी याचिकाकर्ता ने नहीं दी थी। शासन का तर्क था कि घोषणापत्र में स्पष्ट जानकारी देना जरूरी होता है। यह नहीं देकर याचिकाकर्ता ने शर्त का उल्लंघन किया है।
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हाईकोर्ट ने तर्क सुनने के बाद यह दिया फैसला
इस मामले में हाईकोर्ट ने शासन द्वारा याचिकाकर्ता को नौकरी से बाहर किए जाने पर आश्चर्य जताया। हाईकोर्ट ने कहा कि – जब आपराधिक केस खत्म हो चुका है तो इसकी जानकारी देने की जरूरत नहीं है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को फिर नौकरी में लेने के आदेश भी शासन को दिए।
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