हाईकोर्ट आदेश के बाद 7 साल के बच्चे को खदान देने वालों पर केस, खनिज अधिकारी खन्ना, लुणावत मुश्किल में

इंदौर हाईकोर्ट ने खनिज अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में केस दर्ज करने का आदेश दिया है। जिसमें 7 साल के बच्चे को खदान आवंटन की विवादित घटना शामिल है।

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Sanjay Gupta
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इंदौर हाईकोर्ट में खनन से जुड़े मामलों में याचिकाओं की सुनवाई की। इसके बाद कोर्ट ने लोकायुक्त इंदौर को खनन विभाग के अधिकारियों और स्टाफ के खिलाफ जांच करने के आदेश दिए थे। वहीं आदेश मिलते ही लोकायुक्त ने ग्राम रावद के सर्वे नंबर 33/1/4/3 के 9 एकड़ खदान के आवंटन में हुए भ्रष्टाचार के मामले में केस दर्ज किया है।

खदान देने के मामले में इन अधिकारियों के आ रहे नाम

प्रशासन के रिकॉर्ड में सामने आ रहा है कि साल 1997-98 के दौरान जब लीज आवंटन हुआ तब जिला खनिज अधिकारी इंदौर के पद पर महाराज सिंह सिकरवार थे। वहीं जब 2008 में लीज आवंटन रिन्यू हुआ तब खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना थे। इस दौरान इंस्पेक्टर के तौर पर संजय लुणावत (जिन्होंने हाल ही में विवादों के बाद वीआरएस ले लिया है) की रिपोर्ट लगी है।

इस दौरान यह नहीं देखा गया है कि जिस दीपक वर्मा को लीज दी जा रही थी उसकी उम्र लीज देते समय केवल 7 साल की ही थी। वहीं गलत दस्तावेजों से उम्र 18 साल बताकर लीज ली गई थी। बाद में दीपक ने 2017 में बिना विभाग की मंजूरी के यह लीज की पावर ऑफ अटॉर्नी समा खान को दे दी थी।

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खन्ना पर हो चुका लोकायुक्त का छापा

प्रदीप खन्ना पर साल 2020 में ही लोकायुक्त छापा हो चुका था। इसमें करोड़ों की संपत्ति सामने आई थी। वहीं संजय लुणावत ने बीते साल ही विवादों के बाद वीआरएस लेकर नौकरी छोड़ी थी। उन पर भी महिला संबंधी अपराध का केस रतलाम में हो चुका है।

इस तरह 1997-98 से चल रहा खेल

27 अगस्त 1997 को दीपक पित्ता किशनलाल वर्मा, जो कि इंदौर के जवाहर टेकरी धार रोड के निवासी थे, ने कलेक्टर इंदौर को एक आवेदन दिया था। उन्होंने 10 साल के लिए उत्खनन पट्टा देने की मांग की थी। यह आवेदन ग्राम रावद के सर्वे नंबर 33/1/4/3 के 9 एकड़ क्षेत्र के लिए किया गया था। आवेदक की उम्र 18 साल बताई गई थी, और शपथ पत्र में भी यही उम्र दर्ज थी। लेकिन उनके आधार कार्ड में जन्म वर्ष 1990 लिखा था, यानी उस समय दीपक वर्मा की उम्र सिर्फ 7 साल थी। इसके बावजूद, खनिज विभाग के अधिकारियों ने दीपक वर्मा के नाम पर उत्खनन पट्टा जारी कर दिया।

बच्चे को खदान देने वाले केस को समझें एक नजर में...

  • इंदौर हाईकोर्ट ने खनन विभाग के अधिकारियों और स्टाफ के खिलाफ लोकायुक्त को जांच करने का आदेश दिया, जिसमें भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया।

  • 1997-98 में 7 साल के बच्चे दीपक वर्मा को खदान का पट्टा आवंटित किया गया, जबकि दस्तावेजों में उसकी उम्र 18 साल बताई गई थी।

  • 2008 में पट्टे का नवीनीकरण किया गया, लेकिन अधिकारियों ने दस्तावेजों की सही जांच नहीं की।

  • 2017 में दीपक वर्मा ने बिना विभाग की मंजूरी के लीज की पावर ऑफ अटॉर्नी समा खान को दी।

  • लोकायुक्त ने खनिज विभाग के अधिकारियों, दीपक वर्मा और समा खान के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया।

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इस खनन पट्टे को 10 वर्ष के लिए दिया गया था। वर्ष 2008 में 10 वर्ष हेतु पट्टे का नवीनीकरण कलेक्टर पत्र दिनांक 28.04.2008 से किया गया। इस दौरान भी तत्कालीन खनिज अधिकारी/कर्मचारियों ने दस्तावेज ठीक से चेक नहीं किए। वहीं शपथ पत्र में आवेदक दीपक वर्मा के जरिए उम्र 19 वर्ष बताई गई, जो वर्ष 1997 में आवेदन के समय 18 वर्ष बताई थी।

दीपक वर्मा के जरिए समा खान के पक्ष में खनिज उत्खनन के लीज अधिकार सहित गिट्टी प्लांट पर निर्मित क्वार्टर, मशीनरी, जनरेटर एवं अन्य उपकरणों के बिक्री का लेख दिनांक 18.02.2017 को किया। इसके पश्चात दोनों के बीच पावर ऑफ अटॉर्नी का स्टाम्प पर कॉन्ट्रैक्ट हुआ। वहीं उक्त खदान से संबंधित अधिकार दीपक ने समा के पक्ष में मुख्यारनामा दिनांक 08.08.2017 को लेख किया।

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पट्टा दूसरे को बेच ही नहीं सकते

इस करार के बाद खान ने अप्रैल 2018 में पट्टा नवीनीकरण का आवेदन किया। यह जुलाई 2018 में पट्टा मंजूर हो गया, जबकि पट्टा अहस्तांतरणीय होता है। इसे दीपक बेच नहीं सकता था और समा ले नहीं सकता था। इसमें भी अधिकारियों ने नियम नहीं देखे।

इन अवधि में चली फाइल वाले जिम्मेदारों पर केस

लोकायुक्त ने बताया कि इस मामले में जिन तारीखों पर फाइल चली, उन तारीखों के दौरान इंदौर जिले के माइनिंग अधिकारी और उनके कर्मचारियों, लीज धारक दीपक वर्मा (जो जवाहर टेकरी धार रोड, इंदौर के निवासी हैं), लीज विक्रयकर्ता दीपक वर्मा, लीज कर्ता समा खान (जो अब्दुल रहमान खान के बेटे हैं और सागौर, जिला धार में रहते हैं), और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13 (1) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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