भूमाफिया केस में लिक्विडीटेर पर फिनिक्स के 22 प्लॉट का विवाद ढोला, हाईकोर्ट ने कहा पीड़ित हो हाजिर

फिनिक्स, कालिंदी गोल्ड और सेटेलाइट कॉलोनी के पीड़ितों के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इंदौर हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई में बुधवार 10 जुलाई का लंबी बहस चली, लेकिन मामला लिक्विडेटर के कारण नहीं सुलझ रहा है।

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Sanjay gupta
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INDORE : फिनिक्स, कालिंदी गोल्ड और सेटेलाइट कॉलोनी के पीड़ितों के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इंदौर हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई में बुधवार 10 जुलाई का लंबी बहस चली। इस दौरान भूमाफिया चंपू उर्फ रितेश अजमेरा के पक्ष की ओर से तर्क यह दिए गए कि 22 प्लाट धारकों का मामला लिक्विडेटर के कारण नहीं सुलझ रहा है, क्योंकि सभी दस्तावेज देने के बाद भी वह इनके पक्ष में डीड संशोधित नहीं कर रहे हैं।

भूमाफिया ने कमेटी का हवाला दिया

भूमाफिया की ओर से अधिवक्ताओं द्वारा हाईकोर्ट द्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट का हवाला दिया गया। इसमें कहा गया था कि लिक्विडेटर के कारण केस में देरी हो रही है और सात साल में उन्होंने कुछ नहीं किया। केवल 22 प्लाट धारकों की डीड में संशोधन का काम करना है, यह बिना उनकी सहमति से नहीं हो सकता है।

लिक्विडेटर ने बताया क्या है असल मुद्दा

वहीं लिक्वीडेटर की ओर से अधिवक्ता ने बताया कि असल में यह गलत प्रेंजेंट कर हमे बदनाम कर रहे हैं। हमने स्पेशफिक खास जानकारी चाही थी कि इन प्लाट धारकों का पैसा कहां आया, इनकी रजिस्ट्री कब कैसे हुई, किन सर्वे नंबर की हुई। इसका भुगतान कब कैसे प्राप्त किया गया? साथ ही अन्य जानकारी लेकिन उन्होंने आज तक यह जानकारी नहीं दी है। हम जब चंपू अजमेरा को कोर्ट का नोटिस देने जाते हैं तो अभद्र व्यवहार किया जाता है। इस संबंध में केस भी चल रहा है और हमने वहां पर पूरी जानकारी दे दी है। कल हम किसी के पक्ष में रजिस्ट्री, डीड करा दें और दूसरा आ जाए तो हम क्या करेंगे? हमे यह कौन बताएगा कि असल प्लाटधारक यह है ? जब तक यह नहीं बताया जाएगा हम कैसे आगे बढ़ेंगे।

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हाईकोर्ट ने कहा 22 प्लाटधारक आएंगे

इन सभी पक्षकारों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि अभी हम कोई आर्डर नहीं कर रहे हैं, लेकिन इस मामले में जो पीड़ित 22 प्लाट धारक है, उन्हें जानकारी दे दीजिए और गुरुवार को सुनवाई के दौरान वह मौजूद रहेंगे।

मैडीकैप्स के रमेश मित्तल ने भी रखा पक्ष

वहीं मैडीकेप्स के रमेश मितत्ल की ओर से भी पक्ष रखा गया और कहा गया कि हमे इस केस में उलझा दिया गया है। हमारा कोई लेना-देना नहीं है, हम कंपनी में हिस्सा चंपू को दे चुके थे, लेकिन उनके प्लाट की जिम्मेदारी हमारे ऊपर डाली जा रही है। हमे सुनवाई के लिए समय दे दीजिएगा ताकि हम अपनी बात रख सके। हमारा कोई लेना-देना नहीं था लेकिन कमेटी ने हमारे लिए लिखा है, इसलिए हम आ रहे हैं। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि अभी जब सुनवाई होगी जब सूचित कर देंगे।

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चंपू ने इस तरह किया प्लाट का निराकरण, सभी को दिखाई चालाकी

चंपू अजमेरा और उनके परिवार के पवन अजमेरा, नीलेश अजमेरा, सोनाली अजमेरा, योगिता अजमेरा व अन्य ने ही फिनिक्स डेवकांस कंपनी बनाई थी। चंपू ने इसमें चालाकी दिखाते हुए बिना प्लाट का निराकरण किए ही खुद के द्वारा 58 केस निराकृत करना बता दिया। चंपू ने बताया कि 31 प्लाट केस का निराकरण रमेश मित्तल को करना है, 25 केस प्रदीप अग्रवाल को करना है, 21 केस का निराकरण चिराग शाह के जिम्मे हैं, 12 केस में दस्तावेज सही नहीं है इसलिए इनका निराकरण नहीं किया जा सकता है और चार केस सिविल मेटर के हैं। इस तरह चंपू ने दूसरों पर मामला शिफ्ट करते हुए और बिना एक प्लाट का निराकरण किए ही खुद को बेदाग बता दिया है। इस केस में प्रदीप अग्रवाल और रमेश मित्तल भी उलझ गए हैं।

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