मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने दहेज प्रताड़ना मामलों में बेवजह फंसाने के बढ़ते चलन पर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों पर रोक लगाना जरूरी है। कोर्ट ने यह बात दहेज प्रताड़ना मामले की सुनवाई के दौरान कही है। एक हाई प्रोफाइल मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महिला द्वारा दो साल बाद केस दर्ज कराने को शंकास्पद माना। वहीं खंडपीठ ने पति और सास-ससुर को राहत दी।
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जानें क्या है पूरा मामला
मुंबई के अनिमेशन क्रिएटर महर्षि की पत्नी ने उन पर और सास-ससुर पर दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनसे 15 लाख रुपए और कार की मांग की गई थी। महिला ने यह भी आरोप लगाया था कि उन्हें भूखा रखा जाता था और मारपीट की जाती थी, जिसके कारण उनका गर्भपात हो गया था। पुलिस ने पति और सास-ससुर के खिलाफ केस दर्ज किया था, लेकिन पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर राहत मांगी थी।
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पति ने कोर्ट में दी जानकारी
पति की ओर से कोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार, यह दोनों की दूसरी शादी है और महिला ने पहले पति के खिलाफ भी दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया था। पति ने आरोपों का खंडन करते हुए बताया कि उनकी मासिक आय 5 लाख रुपए है और उन्होंने शादी के बाद वही कार खरीदी है जो कि पत्नी दहेज में लाने की मांग कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि वे अधिकांश समय मुंबई में रहते हैं और अक्सर बाहर से खाना मंगाते हैं, जिसके बिल कोर्ट में पेश किए गए।
इसके साथ ही पत्नी के गर्भवती होने के बाद इलाज के लिए खर्च की गई राशि के बिल और मारपीट की तारीख के दो दिन बाद मुंबई के इस्कॉन मंदिर में घूमने की फोटो भी कोर्ट में पेश की गई। इसके अलावा, पत्नी के मुंबई से इंदौर आने के फ्लाइट टिकट की डिटेल भी कोर्ट में दी गई।
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कोर्ट से पति और सास-ससुर को मिली राहत
हाई कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना के मामले में पति और सास-ससुर को राहत देते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि शादी के दो साल बाद केस दर्ज कराना शंकास्पद है और महिला दो साल तक प्रताड़ित होती रही, फिर भी केस दर्ज नहीं किया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि दहेज प्रताड़ना के मामलों में पति, सास-ससुर और अन्य को बेवजह फंसाने का चलन बढ़ रहा है, जिस पर रोक लगाना जरूरी है। इसपर हाई कोर्ट का हस्तक्षेप भी आवश्यक है।
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इंदौर हाई कोर्ट की टिप्पणी- दहेज प्रताड़ना मामलों में जबरन फंसाने पर रोक लगाना बेहद जरूरी
हाई कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना के मामले में पति और सास-ससुर को राहत देते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि शादी के दो साल बाद केस दर्ज कराना शंकास्पद है।
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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने दहेज प्रताड़ना मामलों में बेवजह फंसाने के बढ़ते चलन पर चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों पर रोक लगाना जरूरी है। कोर्ट ने यह बात दहेज प्रताड़ना मामले की सुनवाई के दौरान कही है। एक हाई प्रोफाइल मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महिला द्वारा दो साल बाद केस दर्ज कराने को शंकास्पद माना। वहीं खंडपीठ ने पति और सास-ससुर को राहत दी।
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जानें क्या है पूरा मामला
मुंबई के अनिमेशन क्रिएटर महर्षि की पत्नी ने उन पर और सास-ससुर पर दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनसे 15 लाख रुपए और कार की मांग की गई थी। महिला ने यह भी आरोप लगाया था कि उन्हें भूखा रखा जाता था और मारपीट की जाती थी, जिसके कारण उनका गर्भपात हो गया था। पुलिस ने पति और सास-ससुर के खिलाफ केस दर्ज किया था, लेकिन पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर राहत मांगी थी।
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पति ने कोर्ट में दी जानकारी
पति की ओर से कोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार, यह दोनों की दूसरी शादी है और महिला ने पहले पति के खिलाफ भी दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कराया था। पति ने आरोपों का खंडन करते हुए बताया कि उनकी मासिक आय 5 लाख रुपए है और उन्होंने शादी के बाद वही कार खरीदी है जो कि पत्नी दहेज में लाने की मांग कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि वे अधिकांश समय मुंबई में रहते हैं और अक्सर बाहर से खाना मंगाते हैं, जिसके बिल कोर्ट में पेश किए गए।
इसके साथ ही पत्नी के गर्भवती होने के बाद इलाज के लिए खर्च की गई राशि के बिल और मारपीट की तारीख के दो दिन बाद मुंबई के इस्कॉन मंदिर में घूमने की फोटो भी कोर्ट में पेश की गई। इसके अलावा, पत्नी के मुंबई से इंदौर आने के फ्लाइट टिकट की डिटेल भी कोर्ट में दी गई।
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कोर्ट से पति और सास-ससुर को मिली राहत
हाई कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना के मामले में पति और सास-ससुर को राहत देते हुए महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि शादी के दो साल बाद केस दर्ज कराना शंकास्पद है और महिला दो साल तक प्रताड़ित होती रही, फिर भी केस दर्ज नहीं किया।
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