संजय गुप्ता, INDORE. हुकमचंद मिल मजदूरों ( Hukamchand Mill Workers ) के भुगतान के लिए सीएम डॉ. मोहन यादव ( Mohan Yadav ) द्वारा सिंगल क्लिक से राशि ट्रांसफर करने के बाद भी दो महीन से भुगतान नहीं हुआ है। इस मामले में मजदूरों के सत्यापन की अपनाई जा रही प्रक्रिया बड़ी बाधा है। इस पर हाईकोर्ट इंदौर ने सोमवार को सुनवाई के बाद आदेश दिए कि जिन मजदूरों को साल 2017 में हुए अंतरिम भुगतान की राशि ट्रांसफर हुई थी, इसके लिए जो सत्यापन प्रक्रिया हुई थी वह मान्य की जाए और उन सभी मजदूरों को भुगतान की प्रक्रिया की जाए। साल 2017 के बाद जो मजदूरों जीवित नहीं रहे, उनके लिए सत्यापन देखा जाए। हाईकोर्ट 15 दिन बाद फिर कमेटी की रिपोर्ट देखेगा।
अभी तक करीब 1400 मजदूरों को ही भुगतान
कोर्ट में बताया गया कि अभी तक सत्यापन की प्रक्रिया करीब 2500 फार्म की हो रही है ( Hukamchand Mill Workers )। 1400 करीब मजदूरों को भुगतान हो चुका है। एक मजदूर ने कोर्ट में कहा कि वह 29 दिसंबर से जो रोज मिल जा रहे है लेकिन उन्हें अभी तक भुगतान नहीं हुआ है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि यह कोर्ट जब तक हर मजूदरों को भुगतान नहीं हो जाता है केस जारी रखेगी। सभी को भुगतान होगा।
वेतन स्लिप मांगने से आ रही थी समस्या
कमेटी मजदूरों ( Hukamchand Mill Workers ) से अंतिम वेतन स्लिप मांग रही है, 34 साल पुराने मामले में यह स्लिप नहीं होने से कई मजदूरों को समस्या रही है। इसमें मजदूर यूनियन की ओर से बात रखी गई कि पेमेंट देरी से हो रहा है, पहले भी साल 2017 में सत्यापन हो चुका है, बोरों में भरकर दस्तावेज रखे हुए हैं। वह प्रक्रिया पूरी अविवादित थी और सभी को क्लेम मिला था, इसलिए इसी आधार पर दे दिया जाए।
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5985 मजदूरों को होना है भुगतान
12 दिसंबर 1991 को जब मिल बंद हुई तब 5895 मजदूर थे। सरकार इनके भुगतान के लिए 217.85 करोड़ राशि लिक्वीडेटर के खाते में 20 दिसंबर 2023 को डाल चुकी है। अभी तक 1400 को भुगातन मिला है, 2200 मजूदरों की मौत हो चुकी है, 484 तो ऐसे केस हैं जिसमें मजदूर और उनकी पत्नी दोनों का निधन हो चुका है। साल 2017 में 50 करोड़ की राशि का भुगतान मजदूरों को हुआ था, मजदूरों का पक्ष था यह प्रक्रिया 2017 की अविवादित थी, इसलिए इस दौरान हुए सत्यापन को आधार मानकर सभी मजदूरों ( Hukamchand Mill Workers ) को भुगतान किया जाना चाहिए और नई सत्यापन प्रक्रिया जिसमें अंतिम वेतन स्लिप मांगी जा रही है, उस पर जोर नहीं दिया जाना चाहिए।