इंदौर के चौराहों पर विज्ञापन होर्डिंग्स रात से हटने शुरू, उधर अब जागे नेता प्रतिपक्ष, लगाए आरोप

इंदौर के होर्डिंग्स घोटाला मामले में निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने महापौर पुष्यमित्र भार्गव पर खुलकर आरोप लगाए और कहा कि उन्होंने इन कंपनियों को आगे बढ़ाया।

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Sanjay Gupta
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MP News : इंदौर में चौराहों पर वाहन चालकों को छांव देने के नाम पर लगाए गए होर्डिंग्स को लेकर एक घोटाला सामने आया था। द सूत्र द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद इन होर्डिंग्स को हटाने का काम शुरू हो गया है। गुरुवार दोपहर में होर्डिंग्स वालों के साथ महापौर पुष्यमित्र भार्गव, निगमायुक्त शिवम वर्मा की संयुक्त बैठक के बाद कड़े निर्देश दिए गए और साफ कहा गया कि विज्ञापन तो नहीं चलेंगे। इसके बाद गुरुवार देर रात इन्हें हटाने का काम शुरू हो गया और ग्रीन नेट लगाई जा रही है।

सबसे पहले पलासिया चौराहे से ही हटना शुरू  

यह विवाद सबसे पहले पलासिया चौराहे पर लगे होर्डिंग्स से ही हुआ था। यहां इंदौर की हैलोवीन पार्टी के मुख्य भूतों (अक्षय बम, जैन व अन्य) द्वारा श्रीधी दूध, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ला व अन्य के विज्ञापन लगाते हुए करीब 400 वर्गफीट का विज्ञापन डोम या जंगला ही खड़ा कर दिया था। इनकी तैयारी पूरे शहर के हर चौराहे पर यही कांड करने का था। उनके देखादेखी हुकुमचंद घंटाघर, हाईकोर्ट तिराहे पर भी मोयरा सरिया, मदनलाल-छगनलाल ज्वेलर्स, कल्याण ग्रुप ने भी यही तरीका खोजा और 40 से अधिक कंपनियां इसमें तगड़ा मुनाफा देख आगे आ गई। लेकिन अब द सूत्र की खबरों से इस पूरे घोटाले पर रोक लग गई।  

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उधर सब होने के बाद जागे नेता प्रतिपक्ष  

उधर कांग्रेस के निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे यह सब कांड हो जाने और होर्डिंग्स उतरने की शुरुआत होने के बाद पूरी घटना के सात दिन बाद जागे हैं। उन्होंने अब बयान जारी कर इसे घोटाला बताते हुए इन कंपनियों से एक करोड़ की टैक्स चोरी की राशि निगम खाते में जमा कराने की मांग की है। साथ ही इस घोटाले के लिए महापौर पुष्यमित्र भार्गव पर खुलकर आरोप लगाए और कहा कि उन्होंने इन कंपनियों को आगे बढ़ाया। साथ ही इस मामले में लोकायुक्त में शिकायत करने की भी बात कही। लेकिन सात दिन तक वह चुप क्यों रहे और वह भी इसी शहर में घूमते हैं तो उन्होंने क्यों इसे नहीं देखा और बात उठाई, इस पर कोई जवाब नहीं है।  

गुरुवार की बैठक में यह हुआ था तय

1- बड़े-बड़े विज्ञापन लगे हैं, इस पर क्या होगा? 
तय- यह हटेंगे, इन होर्डिंग्स में जो संगठन सौजन्य से यह काम कर रहा है, केवल उनका नाम रहेगा और इसकी भी एक जगह एक पट्टी अलग तय होगी। इसमें विज्ञापन नहीं होंगे।

 
2- स्ट्रक्चर की मजबूती का क्या होगा?
तय- इसकी जांच होगी, निगम का इंजीनियर इसे देखेगा, साथ ही एक पांच सदस्यीय कमेटी रहेगी, इसमें निगम के अधिकारी, इंजीनियर के साथ मानव कल्याण संगठन के विनी बड़जात्या व अन्य होंगे। जो सभी मुद्दे को समझकर नियमों के तहत आगे बढ़ेगी

 
3- ट्रैफिक को लेकर क्या स्थिति होगी?
तय- कमेटी ही देखेगी कि स्ट्रक्चर इस तरह से हो कि ट्रैफिक प्रभावित नहीं हो। यह स्ट्रक्चर लगने से रोड की चौड़ाई प्रभावित नहीं हो।  

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बैठक के बाद बोले थे महापौर- होर्डिंग्स ठीक करेंगे  

इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा था कि - जनहित में मानव कल्याण संस्था, उनके साथ तीन-चार शेड बनाकर सेवा की दृष्टि से यह काम आगे बढ़ाया था। संयुक्त बैठक में तय हुआ यह काम सौजन्य से हो, विज्ञापन के आधार पर नहीं हों, यह बात पहले भी हुई थी जहां लगे हैं, वहां ठीक करेंगे। उसका इन्फ्रास्ट्रक्चर, ट्रैफिक की दृष्टि से सही हो इसके लिए कमेटी बनाई है। कहां स्ट्रक्चर लगेगा, कैसे लगेगा, कितना सौजन्य से विज्ञापन होगा, यह तय होगी। लेकिन जनता को इससे सुविधा मिल रही है, सेवा हो रही है, लाभ हो रहा है, इसे आगे बढ़ाएंगे। निगमायुक्त ने भी विज्ञापन हटाने की बात कही थी, वही बात हमने बैठक में भी हुई और सहमति बनी।

निगमायुक्त शिवम वर्मा का सीधा जवाब नहीं लगेंगे विज्ञापन  

निगमायुक्त ने कहा था कि महापौरजी की अध्यक्षता में बैठक हुई और यही तय हुआ कि नियमों का पालन करते हुए काम करें और जो भी स्ट्रक्चर लग रहे हैं उसकी मजबूती रहे, ताकि किसी भी अनहोनी घटना से बचा जा सके। साथ ही लगने से रोड की चौड़ाई प्रभावित नहीं हो, ट्रैफिक में समस्या नहीं आए। अच्छी पहल है, वाहन चालकों को राहत मिलेगी और पूरी तरह जनसेवा का काम है। विज्ञापन को लेकर साफ तय किया है कि एक पट्टी तय रहेगी और उसका पालन करना होगा, विज्ञापन मान्य नहीं करेंगे, केवल जो शहरहित में काम कर रहा है उसका नाम लिख सकेंगे, बाकी विज्ञापन नहीं होंगे।  

इसमें लाभ देख कई कंपनियां आ गई थीं आगे  

जनसेवा के नाम पर हो रहे होर्डिंग्स घोटाले में फायदा देख कई कंपनियां इसमें आगे आ गई थीं। यह उनके लिए बहुत ही सस्ता सौदा हो रहा था। क्योंकि पलासिया चौराहे पर एक विज्ञापन औसतन पांच-छह लाख रुपए का पड़ता है और यहां पूरा चौराहा ही हमेशा के लिए मिल रहा था और इसमें डोम भी 300-400 वर्गफीट का मिल रहा था। जोमेटो जैसी कंपनियां भी इसमें आगे आ गई थीं। लेकिन द सूत्र द्वारा इस घोटाले का खुलासा करने के बाद जागे नगर निगम ने सख्ती दिखाई और इसमें विज्ञापन पर रोक लगाने के आदेश दे दिए, इसके बाद अब अपना कमर्शियल लाभ नहीं देखते हुए यह कंपनियां पीछे हटने लगी हैं, यानी साफ है कि इनकी मंशा जनसेवा नहीं व्यावसायिक लाभ की ही थी। महापौर और निगमायुक्त ने साफ कर दिया है कि जो जनसेवा के लिए आना चाहते हैं वह ही आगे आएं, विज्ञापन मंजूरी नहीं देंगे और इसकी जगह तय होगी।

जनसेवा के बदले रिटर्न की मानसकिता

उधर कांग्रेस के पूर्व महासचिव राकेश यादव ने तंज कसते हुए कहा कि नसेवा में भी धनसेवा का उलाहना देकर रिटर्न चाहिए। जनसेवा के नाम पर गजब की मानसिकता हैं।  निगम ने आखिरकार सही फैसला लिया और विज्ञापन पर रोक लगाई और स्ट्रक्चर जांचने के लिए भी कहा।

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