संजय गुप्ता, INDORE. कान्ह और क्षिप्रा नदी (Indore Hotel Shrimaya) की शुद्धीकरण को लेकर सरकार जुटी हुई है। प्रशासन ने हाल ही में 12 फैक्टरी को बंद कराया था, क्योंकि वह गंदे पानी को सीधे कान्ह में डाल रहे थे। अब यही काम इंदौर के प्रसिद्ध होटल श्रीमाया ने किया है। इसे लेकर मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(Madhya Pradesh Pollution Control Board) ने एबी रोड स्थित होटल श्रीमाया को नोटिस थमाया है। जांच के दौरान टीम ने देखा कि होटल का गंदा पानी का उपचार करने के बजाए नाले में छोड़ा जा रहा था जो कि कान्ह नदी में पहुंच रहा था। नोटिस में होटल संचालन बंद करने और बिजली कम्पनी को सप्लाय रोकने के भी निर्देश दिए।
होटल निरीक्षण में हुआ था खुलासा
ये नोटिस म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एसएन द्विवेदी ने होटल श्रीमाया के डायरेक्टर को दिया था। उसमें कहा गया कि 29 जनवरी को होटल का निरीक्षण किया गया, जिसमें दूषित जल उपचार संयंत्र का संचालन नहीं हो रहा था। बिना उपचार किए गंदा पानी बाहर छोड़ा जा रहा था। नाले के माध्यम से वह कान्ह नदी में मिल रहा था जिससे नदी के जल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। होटल को निर्देश दिए कि संचालन बंद किया जाए तो बिजली कम्पनी को सप्लाई बंद करने का कहां था। ये भी कहां गया कि होटल का संचालन फिर से तब तक शुरू नहीं किया जाएगा जब तक दूषित जल नाले में छोड़ना बंद नहीं किया जाए। साथ में सात दिन में जवाब पेश करने के भी निर्देश दिए गए।
ट्रीटमेंट प्लांट को लेकर कई अनियमितता मिली
जांच के दौरान पाया कि संयंत्र से संबंधित लॉगबुक नहीं थी तो डीजिटल वॉटर मीटर भी नहीं लगा था। खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 का पालन नहीं किया जाना पाया गया है। होटल में स्थापित जनरेटर सेट्स की चिमनी की ऊंचाई पर्याप्त नहीं पाई गई है और खतरनाक अपशिष्ठ को प्रदर्शित करने वाला डिस्प्ले बोर्ड भी नहीं लगा था। परिसर में स्थित बोरवेल से पानी लिया जा रहा था जिसका फ्लोमीटर स्थापित करना अनिवार्य है। इसके लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड से अनुमति भी ली जाना जानी चाहिए थी जो नहीं है।
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यह नियम करने थे पालन
होटल में जल एवं वायु अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा था और परिसर के बाहर दूषित जल को छोड़ा जा रहा था। जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1974 की धारा 24 व 25 का उल्लंघन है जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1974 की धारा 33-क वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1981 की धारा 31-क का उल्लंघन किया जा रहा था।