BHOPAL. किसानों और पुलिस के बीच हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर गतिरोध जारी है। किसान आंदोलन 2.0 में हिस्सा लेने के लिए देश के प्रमुख किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) पर दबाव बढ़ रहा है। 13 फरवरी को शुरू हुआ आंदोलन किसानों को दिल्ली में दाखिल होने से रोकने की रस्साकशी में तीन दिन बीत गए, लेकिन कोई हल नहीं निकला। इस बीच चलिए जानते है कि MSP क्या होता है, इस कैसे तय किया जाता है और अगर सरकार MSP पर किसानों की मांगें मान ले तो सरकार और खजाने पर क्या-क्या फर्क पड़ेगा?
MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) क्या है?
MSP या न्यूनतम समर्थन मूल्य (मिनिमम सपोर्ट प्राइस) वह न्यूनतम मूल्य है,(What is MSP) जिस पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है। यह मूल्य फसल की बुवाई के समय ही तय कर दिया जाता है, ताकि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सके। MSP का उद्देश्य किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाकर उनकी आय में वृद्धि करना और उन्हें कृषि में लाभकारी बनाना है( Minimum Support Price)।
MSP कैसे तय किया जाता है?
MSP तय करने के लिए सरकार कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों पर विचार करती है। CACP विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए MSP तय करता है, जैसे:
- उत्पादन लागत: इसमें बीज, उर्वरक, सिंचाई, मजदूरी, और अन्य कृषि इनपुट की लागत शामिल है।
बाजार मूल्य: इसमें फसल का बाजार मूल्य और उसकी मांग और आपूर्ति की स्थिति शामिल है।
कृषि की लाभप्रदता: MSP किसानों को कृषि में लाभकारी बनाने के लिए तय किया जाता है।
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MSP का महत्व:
किसानों को उचित मूल्य: MSP किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कृषि में लाभप्रदता: MSP किसानों को कृषि में लाभकारी बनाने में मदद करता है।
खाद्य सुरक्षा: MSP देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
MSP की आलोचना:
बाजार में विकृति: MSP बाजार में विकृति पैदा कर सकता है, क्योंकि सरकार किसानों से फसल खरीदने के लिए बाजार मूल्य से अधिक मूल्य देती है।
सरकारी खर्च में वृद्धि: MSP से सरकार पर खर्च का बोझ बढ़ जाता है।
किसानों पर निर्भरता: MSP किसानों को सरकार पर निर्भर बना सकता है।
MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के फायदे:
MSP या न्यूनतम समर्थन मूल्य, किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण नीति है, जिसके अनेक फायदे हैं:
- किसानों को उचित मूल्य: MSP किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह किसानों को उनकी लागत का मुआवजा देता है और उन्हें कुछ लाभ भी प्रदान करता है।
कृषि में लाभप्रदता: MSP किसानों को कृषि में लाभकारी बनाने में मदद करता है। यह किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिलने की गारंटी देता है, जिससे उन्हें अपनी आय में वृद्धि करने में मदद मिलती है।
खाद्य सुरक्षा: MSP देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिलने की गारंटी देता है, जिससे देश में खाद्यान्न की उपलब्धता बढ़ती है।
किसानों को बाजार में सौदेबाजी की शक्ति: MSP किसानों को बाजार में सौदेबाजी की शक्ति देता है। यह किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिलने की गारंटी देता है, जिससे वे बिचौलियों के शोषण से बच सकते हैं।
कृषि में निवेश को बढ़ावा: MSP कृषि में निवेश को बढ़ावा देता है। यह किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य मिलने की गारंटी देता है, जिससे वे अपनी कृषि गतिविधियों में अधिक निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।
गरीबी में कमी: MSP गरीबी में कमी में भी योगदान देता है। यह किसानों को अपनी आय में वृद्धि करने में मदद करता है, जिससे वे गरीबी रेखा से ऊपर उठ सकते हैं।
रोजगार सृजन: MSP रोजगार सृजन में भी योगदान देता है। यह किसानों को अपनी कृषि गतिविधियों में अधिक निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
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सरकार MSP पर किसानों की मांगें पूरी कर दे तो क्या ?
अगर सरकार किसानों की मांग पूरी करती है तो उसपर वित्तीय भार आ जाएगा। अगर सरकार MSP वाली सभी 23 फसलों का पूरा उत्पादन खरीद लेती है तो सरकारी खजाने पर इसका गहरा प्रभाव होगा। ये बहुत ही भारी खर्च होगा। यदि सरकार सिर्फ मंडियों से उन्हीं फसलों को खरीदेगी, जिनकी खरीदी MSP के नीचे होती है, तो भी सरकार को वित्तीय वर्ष 2023 के लिए लगभग 6 लाख करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी। एजेंसी के रिसर्च में MSP वाली 23 में से 16 फसलों को ही शामिल किया गया है। अगर MSP की गारंटी को लागू किया जाता है, तो हो सकता है सरकार को डिफेंस बजट कम करना होगा अथवा सरकार को टैक्स बहुत ज्यादा बढ़ाना पड़ेगा। यही कारण है कि सरकार इसे लागू करने से बच रही है।