इंदौर के हुकुमचंद मिल परिसर में रातों-रात पेड़ों की कटाई शुरू, पर्यावरणविदों में रोष

पर्यावरणविद् अजय लागू और अरविंद पोरवाल ने बताया कि रात में जेसीबी मशीन से तीन बड़े पेड़ों को जड़ से उखाड़ दिया गया। यह वही पेड़ थे जिन्हें प्रशासन ने पहले की गई गणना में नंबर 2, 28 और 32 के रूप में चिन्हित किया था।

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Vishwanath Singh
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इंदौर के हुकुमचंद मिल परिसर, जिसे प्राकृतिक जंगल के तौर पर जाना जाता है, अब उजड़ने की कगार पर है। शनिवार रात 23 अगस्त को मिल परिसर में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की गई। पर्यावरणविदों ने आरोप लगाया है कि यह कटाई अवैध तरीके से की गई है। इस घटना ने शहर के पर्यावरण प्रेमियों और जनहित पार्टी के कार्यकर्ताओं में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। बताया जा रहा है कि इसमें पर्यावरण प्रेमी आंदोलन की राह लेंगे और जल्दी अपनी रणनीति का खुलासा करेंगे।

रात के अंधेरे में उखाड़े गए तीन बड़े पेड़

पर्यावरणविद् अजय लागू और अरविंद पोरवाल ने बताया कि रात में जेसीबी मशीन से तीन बड़े पेड़ों को जड़ से उखाड़ दिया गया। यह वही पेड़ थे जिन्हें प्रशासन ने पहले की गई गणना में नंबर 2, 28 और 32 के रूप में चिन्हित किया था। इनकी कटाई को लेकर पर्यावरणविदों ने कहा कि यह इंदौर की "प्राणवायु" पर हमला है और प्रशासन का गैरजिम्मेदाराना रवैया उजागर करता है।

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इस तरह से जताया विरोध

कल इसी जगह पर करेंगे रणनीति का खुलासा

कटाई के विरोध में पर्यावरणविदों ने ऐलान किया है कि सोमवार, 25 अगस्त को दोपहर 1.30 बजे हुकुमचंद मिल परिसर स्थित शिव मंदिर परिसर में आंदोलन को लेकर रणनीति का खुलासा करेंगे। यह वही जगह है, जहां पर कि शनिवार रात पेड़ काटे गए थे। इसमें शहर के प्रमुख पर्यावरणविद न केवल अपनी बात रखेंगे बल्कि "जंगल बचाओ आंदोलन" और आगामी रणनीति पर भी चर्चा करेंगे।

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इस तरह से जता रहे विरोध

जनहित पार्टी का प्रदर्शन

इस घटना के बाद  के कार्यकर्ताओं ने दिनभर हुकुमचंद मिल परिसर में धरना दिया और पेड़ों की रक्षा के लिए प्रदर्शन किया। शाम को मालवा मिल चौराहे पर पर्चे बांटे गए और आमजन को पर्यावरण बचाने की अपील की गई। 

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पर्यावरण पर गंभीर खतरा

पर्यावरणविदों का कहना है कि हुकुमचंद मिल का यह जंगल इंदौर की जलवायु और पारिस्थितिकी के लिए बेहद जरूरी है। यदि इसे नष्ट कर दिया गया तो शहर की वायु गुणवत्ता और पर्यावरणीय संतुलन पर गंभीर असर पड़ेगा।

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