/sootr/media/media_files/2025/06/02/q6iSvtEopfYOiYWaujoJ.jpg)
इंदौर नगर निगम ने स्कीम 54 विजयनगर में सी 21 मॉल के पीछे निर्माणाधीन एक बिल्डिंग को ब्लास्ट कर जमींदोज कर दिया। लंबे समय बाद निगम ने किसी भवन को ब्लास्ट से उड़ाया है। लेकिन इस ब्लास्ट के बाद निगम आरोपों से घिर गया है। इस पूरे एपीसोड में सब कुछ है, मंत्री और विधायक से फोन, रिश्वत के आरोप, भवन का नक्शा और आईडीए का प्लाट, फिर विस्फोट हुआ क्यों।
यह है मामला
डॉ. इजहार मुंशी ने पीयू 4 के प्लाट 234 पर बिल्डिंग बनाई है, यह निर्माणाधीन है। नगर निगम ने इसे नोटिस दिया और अवैध बताया। जोनल अधिकारी व बिल्डिंग अधिकारी शिवराज यादव व बिल्डिंग इंस्पैक्टर हिमांशु ताम्रकार की ओर से यह नोटिस गए। लेकिन शुक्रवार को इसे पहले बुलडोजर से तोड़ा गया और फिर शनिवार को विस्फोटक लगाकर उड़ा दिया गया।
मंत्री का फोन और रिश्वत का मामला
इस मामले में डॉक्टर मुंशी ने आरोप लगाया है कि निगम के अधिकारी शिवराज यादव ने पहले पांच लाख रुपए लिए और इसके बाद 15 लाख रुपए और मांगे थे, लेकिन जब नहीं दिए तो उन्होंने यह पूरी कार्रवाई कर दी और बिल्डिंग को तुड़वा दिया।
इस बिल्डिंग को बचाने के लिए डॉ. मुंशी विधायक रमेश मेंदोला के पास भी गए और उन्होंने निगम में फोन किया और समय देने के लिए कहा लेकिन राहत नहीं मिली।
इसके बाद वह मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के पास भी पहुंचे, मंत्री ने भी फोन किया और समय देने के लिए कहा, लेकिन कहा गया कि पिलर में विस्फोटक लग चुके हैं, टीम मौके पर है, अब कुछ नहीं हो सकता है।
आरोपों के बाद इन्हें हटाया
आरोप लगे तो बिल्डिंग को विस्फोट से उड़ाने से पहले शुक्रवार रात को निगमायुक्त शिवम वर्मा ने सख्ती दिखाई और जोनल अधिकारी शिवराज सिंह यादव को हटाकर यातायात विभाग में पदस्थ किया, साथ ही बिल्डिंग इंस्पैक्टर हिमांशु ताम्रकार को भी हटा दिया।
निगम से ही नक्शा पास, आईडीए का ही प्लाट
इस बिल्डिंग को अवैध इस आधार पर बताया गया कि यह नाले से 9 मीटर दूर नहीं बनी, कायदे से नाले से 9 मीटर दूर ही भवन बना सकते हैं। लेकिन सबसे खास बात यह है कि करीब एक हजार वर्गफीट का यह प्लाट है, जो डॉ. मुंशी ने आईडीए से ही लिया है साल 2020 में खरीदा गया। फिर आईडीए ने नाले के पास प्लाटिंग करके कैसे बेच दिया।
इसका जवाब किसी के पास नहीं है और फिर डॉ. मुंशी ने इस पर निगम से ही 22 नवंबर 2020 को नक्शा पास कराया। फिर निगम की ओर से नाले के पास नक्शा कैसे पास हुआ। इसका जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है और इस मामले में निगम की ओर से यही जवाब आता है कि इसे दिखवा रहे हैं।
बिल्डिंग विस्फोट से उड़ाने पर यह तर्क
वहीं बिल्डिंग को विस्फोट से उड़ाने पर निगम का तर्क यह है कि दोनों ओर नाले थे और पोकलेन नहीं जा सकती थी। आगे से तोड़ने पर यह खतरा था कि पोकलेन पर भवन गिरता और इससे जान का खतरा था, सभी ड्राइवर ने ऐसा करने से मना कर दिया। ऐसे में सुरक्षित तरीके से अवैध निर्माण ऐसे ही गिराया जा सकता था, इसलिए विस्फोट किया गया।
सवाल दो साल तक अधिकारी क्या कर रहे थे
वहीं सवाल यह भी है कि दो साल से भवन का निर्माण चल रहा था, जब मल्टी बन रही थी तब अधिकारियों ने क्या देखा, दरोगा, भवन अधिकारी, इंस्पैक्टर क्या कर रहे थे। तब क्यों नहीं रोका गया। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। निगम नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने भी सवाल उठाया है कि जिम्मेदारों को केवल हटाकर दूसरी जगह नियुक्त किया है, इन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है। दो साल तक यह सभी अधिकारी क्या कर रहे थे। वहीं महापौर पुष्यमित्र भार्गव का कहना है कि सभी की भूमिका की जांच की जाएगी।
यह भी पढ़ें....इंदौर में CORONA के 3 नए केस मिले, देवास व अन्य जिले के भी मरीज
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें
📢🔃 🤝💬👩👦👨👩👧👧
thesootr links
-
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
इंदौर नगर निगम ऑर्डर | इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव | MP News