इंदौर पुलिस जीतू यादव उर्फ जाटव और उनके गुंडों को लेकर तो कोई सख्ती नहीं कर पा रही है लेकिन पीएससी दफ्तर के बाहर 18 स 22 दिसंबर तक युवाओं की मांगों को लेकर आंदोलन करने वालों को एक के बाद एक बाउंडओवर नोटिस जारी हो रहे हैं। अब नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (एनईवाययू) के राष्ट्रीय कोर कमेटी के राधे जाट को नए साल में चौथा नोटिस पुलिस ने जारी किया है।
अब नया यह नोटिस जारी हुआ
राधे जाट को संयोगितागंज एसीपी तुषार सिंह ने नोटिस जारी किया है। इसमें उन्हें 24 जनवरी को पेश होने के लिए कहा गया है और यह भी कि क्यों ना आपको 50 हजार रुपए से एक साल के लिए बाउंडओवर किया जाए। नोटिस में यह भी लिखा कि आपके द्वारा बड़ी संख्या में छात्रों को एकत्र कर 18 से 22 दिसंबर बिना मंजूरी प्रदर्शन किया गया। इस पर आपके खिलाफ संयोगितागंज थाने में केस भी दर्ज किया गया। आशंका है कि आप इस रिपोर्ट के कारण रंजिश रखे हुए हैं, लड़ाई-झगड़ा कर शांति व्यवस्था भंग कर सकते हैं।
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इसके पहले पुलिस जेल भी भेज चुके
नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (एनईवाययू) के राधे जाट और रणजीत किसानवंशी को भंवरकुआं पुलिस ने एक जनवरी को गिरफ्तार किया था और 15 घंटे तक पुलिस वाहन में घुमाया और फिर दो जनवरी को एसीपी कोर्ट में पेश कर जेल भेजा। हाईकोर्ट से जमानत हुई। अब यह पुलिस को पचा नहीं, इसके बाद एसीपी संयोगितागंज ने दोनों को नोटिस जारी कर 50 हजार रुपए का बाउंडओवर एक साल के करने का नोटिस भेजा। फिर डीसीपी हंसराज सिंह ने नया नोटिस भेजा और इसमें आदतन अपराधी बता दिया। इसमें कहा गया कि मुझे विश्वसनीय इत्तला द्वारा प्रतीत कराया गया है कि आप आदतन अपराधी होकर आए दिन अपराध करते हैं। जिसे जन सामान्य की सुरक्षा भंग हो रही है। इसलिए लोकशांति बनाए रखने के लिए इस समन द्वारा आदेश किया जाता है कि 13 जनवरी को पेश होकर तीन साल के लिए शांति, सदाचार बनाए रखेंगे। इसके लिए 30 हजार की राशि से बाउंडओवर भराया जाए।
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इधर जीतू पर अभी तक केस भी नहीं कर सकी पुलिस
वहीं शहर में खुलेआम गुंडागर्दी का नया इतिहास रचने वाले जीतू यादव के गुंडों पर पुलिस की कोई सख्ती नहीं दिखी। ना कोई जुलूस निकाला ना ही कोई और ऐसा काम किया कि शहर में संदेश जाए, भले ही पुलिस मोहल्ले के गुडों को जुलूस पर जुलूस निकाल रही है लेकिन जीतू यादव के गुंडों पर रहमदिली जारी है। अभी तक अज्ञात 40 हमलावारों में से 18 को ही गिरफ्तार किया गया है। वहीं जीतू यादव का तो वीडियो, आडियो होने के बाद पुलिस ने एफआईआर में नाम नहीं जोड़ा है और ना ही अभी तक वह उनके हत्थे लगा है। उधर जो हत्थे लगे राधे जाट, रणजीत किशानवंशी जैसे पीएससी आंदोलन करने वाले उन्हें एक के बाद एक नए बाउंडओवर के नोटिस दिए जा रहे हैं। ताकि कोई नया आंदोलन नहीं कर दें।