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इंदौर पुलिस फिलहाल जो करे सो कम है, फिलहाल उसकी हाईप्रोफाइल मामलों में घिग्घी बंध रही है। चाहे वह कन्फेक्शनरी कारोबारी संजय जैसवानी का मामला हो, ताई (सुमित्रा महाजन) के बेटे और पोते पर हमले का, बीआरटीएस कॉरिडोर में 300 कारों की रैली का या फिर एमजीएम में हैलोवीन पार्टी का और अब जीतू यादव (जाटव) कांड का। सभी मामलों में इंदौर पुलिस के अधिकारी ऊपर ही देख रहे हैं कि आदेश आ जाएं फिर कुछ करें। लेकिन जब सामान्य पर कार्रवाई करनी हो तो टूट पड़ती है। अब सतीश भाऊ, युवराज उस्ताद जैसों को छोडकर आजकल वह पीएससी आंदोलन करने वालों को एक के बाद एक नोटिस भेज रही है।
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पहले दो दिन जेल, बाहर आने पर फिर नोटिस
गैंगस्टर सतीश भाऊ खुलकर शहर में घूमता है और जीतू यादव का जन्मदिन मनाता है। युवराज उस्ताद हो या गुंडे से साधु और फिर नेता बने मनोज परमार या फिर कई केस दर्ज अन्य अपराधी यह सभी खुले तौर पर शहर में घूम रहे हैं और पोस्टर लग रहे हैं, लेकिन हमारी पुलिस झांकने को भी तैयार नहीं रहती है। उधर पीएससी में अपनी मांगो को लेकर प्रदर्शन करने वाले आंदोलनकारियों को एक के बाद एक अब तीसरा नोटिस बाउंडओवर का जारी कर दिया और आदतन अपराधी बताया गया है।
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इन्हें जारी किया नोटिस-
नेशनल एजुकेटेड यूथ यूनियन (NEYU) के राधे जाट और रणजीत किसानवंशी को भंवरकुआं पुलिस ने एक जनवरी को गिरफ्तार किया था और 15 घंटे तक पुलिस वाहन में घुमाया और फिर दो जनवरी को एसीपी कोर्ट में पेश कर जेल भेजा। जिसके बाद हाईकोर्ट से जमानत हुई। अब यह पुलिस को पचा नहीं, इसके बाद एसीपी संयोगितागंज ने दोनों को नोटिस जारी कर 50 हजार रुपए का बाउंडओवर एक साल में भरने का नोटिस भेजा। लेकिन बात यहीं नहीं थमी अब ताजा नोटिस में तो इन्हें आदतन अपराधी ही बता दिया। इनका कसूर यह है कि 18 से 22 दिसंबर तक पीएससी के बाहर धरना दिया था अपनी मांगों को लेकर। सीएम डॉ. मोहन यादव ने भी मुलाकात कर मांगों पर आश्वासन दिया था। लेकिन इसके बाद जब मांग पूरी नहीं हुई और फिर आंदोलन की बात उठी तो पुलिस का रूख 1 जनवरी से बदल गया।
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ताजा नोटिस में आदतन अपराधी बताया
अब ताजा नोटिस राधे जाट को डीसीपी हंसराज सिंह ने भेजा है। इसमें कहा गया है कि मुझे विश्वसनीय इत्तला द्वारा प्रतीत कराया गया है कि आप आदतन अपराधी होकर आए दिन अपराध करते हैं। जिससे जन सामान्य की सुरक्षा भंग हो रही है। इसलिए लोकशांति बनाए रखने के लिए इस समन द्वारा आदेश किया जाता है कि 13 जनवरी को पेश होकर तीन साल के लिए शांति, सदाचार बनाए रखेंगे। इसके लिए 30 हजार की राशि से बाउंडओवर भराया जाए।
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देखिए बड़े मामलों में इंदौर पुलिस के हाल-
- सीपी संतोष सिंह के पद संभालने के बाद इंदौर को उम्मीद थी कि पुलिस दबंगता से काम करेगी लेकिन रात को चेकिंग के सिवा और बुलेट के साइलेंसर निकाले जाने के सिवा अभी कोई खास लॉ एंड ऑर्डर में तब्दीली नहीं दिखी
- कांग्रेस से बीजेपी में आए अक्षय बम ने हैलोवीन पार्टी कराई डॉक्टर्स ने शिकायत की, थाने में आवेदन दिया लेकिन कोई केस नहीं बना
- बीआरटीएस कॉरिडोर से बीजेपी नेता बलजीत सिंह ने 300 कारों की रैली निकाली, इंदौर कलेक्टर के आदेश पर एआईसीटीएसएल सीईओ आईएएस दिव्यांक ने डीसीपी ट्रैफिक को कार्रवाई पत्र लिखा, कुछ नहीं हुआ।
- ताई सुमित्रा महाजन के बेटे के शोरूम पर बीजेपी नेता प्रताप करोसिया के भतीजे सौरभ व उनके साथियों द्वारा किए गए हमले, पोते को मारने के मामला में हंगामा मचा तो पुलिस ने धाराएं बढ़ाई और गिरफ्तार किया। एसआईटी भी बनाई लेकिन जिला कोर्ट में सरकारी वकील पेश नहीं हुए और ना ही जमानत पर आपत्ति ली सभी बाहर हो गए, अब मामला ठंडा पड़ा है।
- कन्फेक्शनरी कारोबारी संजय जैसवानी पर तीन महीने तक पुलिस ने केस दर्ज नहीं किया, जिला कोर्ट से आदेश हुए तो इसमें भी चालाकी से सभी धाराएं न लगाकर आधी लगाईं, फिर कोर्ट ने फटकार लगाई तो टीआई साहब जागे और दर्जन भर धाराएं लगाई, लेकिन आज तक गिरफ्तारी नहीं की गई है।
- अब जीतू कांड की बात कर लेते हैं। घटना में पुलिस ने पूरा इंतजार किया कि पहले राजनीतिक हालातों का जायजा ले लें, मामले ने तूल पकड़ा तो केवल 30-40 अज्ञात पर केस किया और फिर रुक गए। इसके बाद भी जब मामला ठंडा नहीं हुआ और मीडिया ने आरोपियों की फोटो छाप दी, फिर पुलिस ने 6 को पकड़ा और इनकी भी रिमांड लेकर जीतू से कोई पूछताछ करने की जहमत नहीं उठाई और पकड़े गए लोगों को जेल भेज दिया। फाइनली जब जीतू बीजेपी से बाहर हुआ तो पुलिस ने एक्शन में तेजी दिखाई, वह भी सीएम के आदेश के बाद। तब तक जीतू के साथ सभी प्रमुख गायब हो गए थे।
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