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इंदौर नगर निगम में संपत्तिकर वसूली का मामला हो, जल कर का या फिर अन्य नियम का, आम व्यक्ति का मुद्दा आता है तो टूटकर कार्रवाई करता है। जैसे कि निगम की कुर्की कराने वाले मिश्रा के घर को सीज कर दिया गया। लाखों की टैक्स वसूली में निगम ढोल बजाकर मुनादी कराती है और संपत्ति पर नोटिस चस्पा करना, संपत्ति जब्त करना जैसी सख्ती होती है। लेकिन जहां हाईप्रोफाइल मामला आता है वहां नए रास्ते राहत देने के निकाले जाते हैं। ऐसा ही एक मामला आया है जुपिटर हॉस्पिटल का।
13 करोड़ की वसूली में राहत देने के लिए चली फाइल
जुपिटर हॉस्पिटल पर साल 2023 से ही नगर निगम ने 13 करोड़ 3 लाख 62 हजार रुपए का संपत्तिकर का बकाया निकाला हुआ है। इस पर जुपिटर हॉस्पिटल प्रोजेक्ट प्रालि इंदौर के एमडी डॉ. राजेश कासलीवाल को आपत्ति है और उन्होंने इसके लिए अपील की। यह अपील खासी लंबी खींची गई। दिसंबर 2024 में कासलीवाल ने आवेदन लगाया कि उन्हें अस्पताल विस्तार के लिए दो मंजिला और बनाना है तो इसके लिए मंजूरी दी जाए। मंजूरी की फाइल भी चल गई। लेकिन मप्र शासन के भवन अनुज्ञा सॉफ्टवेयर एपीबीएएस टू में प्रावधान है कि यदि किसी पर संपत्तिकर बकाया है तो इसकी प्रक्रिया आगे ही नहीं बढ़ेगी, यानी उनके पास संपत्तिकर बकाया नहीं ऐसा सर्टिफिकेट लगाना होगा। अब यह हो नहीं सकता था ऐसे में निगम में एक नई अनूठी फाइल चली।
इस तरह फिर दौड़ी राहत की फाइल
डॉ. कासलीवाल ने निगम को आवेदन दिया और कहा कि वह उनकी अपील का निर्धारण होने पर, जो निगमायुक्त के पास लंबित है, टैक्स भर देंगे, लेकिन इसमें समय लग रहा है तो फिर उन्हें इस दौरान भवन अनुज्ञा की मंजूरी दी जाए। डॉ. कासलीवाल की बात मानते हुए नगर निगम ने भोपाल विभाग के लिए एक फाइल चलाई। अपर आयुक्त आईएएस रोहित सिसोनिया ने भोपाल को पत्र लिखा कि सॉफ्टवेयर में ऐसा प्रावधान किया जाए कि बिना एनओसी की भवन अनुज्ञा मंजूर हो जाए, इससे टैक्स डिमांड पर कोई असर नहीं होगा।
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भोपाल के अधिकारी जागे और यह बोल दिया
इस फाइल के आते ही भोपाल में अधिकारियों के कान खड़े हो गए। अभी तक ऐसी कोई फाइल नहीं आई थी। उन्होंने तत्काल इससे इनकार करते हुए कहा कि इस तरह की राहत देने का कोई प्रावधान नियमों में नहीं है और बेहतर होगा कि निगम जुपिटर हॉस्पिटल की टैक्स अपील पर फैसला दे और टैक्स भरवाएं। इसके बाद अपने आप ही भवन अनुज्ञा हो जाएगी।
इसके बाद लंबी अपील पर फैसला हुआ, लेकिन मंजूरी नहीं
भोपाल से भी रास्ता बंद होने के बाद आखिरकार निगम ने कई महीनों से लंबित पड़ी डॉ. राजेश कासलीवाल की टैक्स अपील पर फैसला दिया और निगम की टैक्स बकाया राशि को सही बताते हुए टैक्स भरने का आदेश दिया। लेकिन जैसा कि टैक्स को लेकर पहले ही रास्ते निकाले जा रहे थे, इस मामले में डॉ. कासलीवाल ने निगम का फैसला आते ही इसके खिलाफ हाईकोर्ट इंदौर में याचिका दायर कर दी। मामले में अभी सुनवाई जारी है।
जुपिटर हॉस्पिटल और निगम क्या बोल रहा है
इस मामले में जुपिटर हॉस्पिटल प्रबंधन ने मामला हाईकोर्ट में होने से कुछ भी कहने से इनकार कर दिया, वहीं महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि जो भी होगा नियम से होगा, संपत्तिकर में कोई राहत नहीं दी गई है, जो भी हाईकोर्ट से फैसला होगा, पालन किया जाएगा।
जुपिटर हॉस्पिटल में यह बोर्ड में
जुपिटर हॉस्पिटल मूल रूप से मुंबई का ग्रुप है। डॉ. राजेश कासलीवाल ने इंदौर में पहले विशेष हॉस्पिटल बनाया था और फिर जुपिटर के साथ टाइअप हुआ। जुपिटर हॉस्पिटल में डॉ. राजेश कासलीवाल एमडी जुपिटर हॉस्पिटल प्रोजेक्ट्स प्रालि इंदौर के पद पर हैं। वहीं वेबसाइट के अनुसार जुपिटर के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में डॉ. अजय प्रताप ठक्कर चेयरमैन और एमडी हैं, वहीं सीईओ और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर में डॉ. अंकित अजय ठक्कर हैं। नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर में वीएस राघवन के साथ ही डॉ. भास्कर पी. शाह, डॉ. दर्शन हीरालाल वोरा, डॉ. जास्मीन हीरालाल वोरा, डॉ. जास्मीन अमित पटेल, सतीश आर. उटेकर, उर्मी अश्विन पोपट व अन्य हैं।
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