INDORE. पूर्व बीजेपी नेता और एमआईसी मेंबर जीतू जाटव उर्फ यादव के समर्थक गुंडों से पीड़ित पार्षद कमलेश कालरा अब पार्षदी को लेकर मुश्किल में है। कालरा पर आरोप है कि फर्जी ओबीसी प्रमाणपत्र के जरिए वह पार्षद बन सके हैं। इस मामले में अभी तक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी, इसमें अब सोमवार को डेडलाइन तय हो गई।
कमेटी ने मांगा इस तारीख तक का समय
इंदौर हाईकोर्ट ने चार फरवरी को प्रमुख सचिव पिछड़ा और अल्पसंख्यक विभाग अजीत केसरी, सौरभ कुमार सुमन पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक विभाग आयुक्त, और जूनी इंदौर एसडीएम घनश्याम धनगर, वार्ड क्रमांक 65 के बीजेपी पार्षद कमलेश कालरा व अन्य को अवमानना मामले में 5 हजार का जमानती वारंट जारी किया था। इसके दो दिन बाद सभी ने हाईकोर्ट से माफी मांगते हुए 1 सप्ताह में निर्णय लेने की गुहार लगाते हुए वारंट वापस लेने के लिए अर्जी लगाई थी, जिस पर न्यायालय ने 17 फरवरी तक की मोहलत दी थी।
इस मामले में सोमवार (17 फरवरी) को सुनवाई में फिर मोहलात मांगने की बात कही गई। इसके लिए कहा गया प्रशासन ने दस्तावेज नहीं दिए हैं। कमेटी ने 13 को मीटिंग भी की थी। कमेटी ने फिर समय मांगा। इस पर अधिवक्ता मनीष यादव ने कड़ी आपत्ति ली और कहा कि तीन साल में भी प्रशासन दस्तावेज नहीं दे सका है। आखिर में हाईकोर्ट ने कमेटी को फैसला लेने का आदेश दिया और 3 मार्च को सुनवाई तय की।
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कांग्रेस प्रत्याशी की है याचिका
वार्ड क्रमांक 65 से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे सुनील यादव द्वारा यह याचिका लगाई हुई है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मनीष यादव, करण बैरागी ने तर्क रखे कि हाईकोर्ट ने 6 माह में प्रमाणपत्र के जांच के आदेश दिए थे और अभी तक यह नहीं हुआ है। सत्ता के दबाव में यह लेटलतीफी हो रही है। अब हाईकोर्ट ने अंतिम अवसर देते हुए कमेटी को फैसला लेने और रिपोर्ट देने के लिए 3 मार्च तक का समय दिया है।
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