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इंदौर के एमओजी लाइन स्थित कुक्कुट केंद्र की जमीन का सबसे महंगा सौदा 454 करोड़ रुपए में करने वाली तीरथ गोपीकॉन कंपनी पर ही अब फर्जी बैंक गारंटी की तलवार लटक गई है। इधर, कंपनी द्वारा दी जाने वाली राशि अभी स्मार्ट सिटी और निगम के हाथ में आई भी नहीं है और उसके पहले ही इसको लेकर जनप्रतिनिधियों ने बैठकें तक कर डाली हैं। इन्हीं 454 करोड़ रुपए को लेकर एक बैठक अफसरों ने भी करते हुए शहर की मेजर रोड़ बनाने की योजना बना डाली है। वहीं, कोर्ट के आदेश के बाद अब यह मामला खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। उधर, कंपनी कुल राशि का 10 प्रतिशत हिस्सा लगभग 45 करोड़ रुपए ही 1 जून तक जमा करेगी और बाकी की राशि अगले तीन साल में टुकड़ाें में जमा करेगी।
यह है पूरी कहानी
इंदौर के रियल स्टेट सेक्टर का सबसे महंगा सौदा पिछले दिनों हुआ है। इसमें स्मार्ट सिटी की एमओजी लाइन स्थित कुक्कुट केंद्र की 7 लाख स्क्वेयरफीट जमीन गुजरात की तीरथ गोपीकॉन 454 करोड़ रुपए में खरीदी है। मगर अब यह जमीनी सौदा खटाई में पड़ता नजर आ रहा है, क्योंकि हालही में जबलपुर हाईकोर्ट ने 184 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी के मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। उक्त याचिका हालांकि गोपीकॉन लिमिटेड की ओर से ही दायर की गई, जिसमें बैंक द्वारा फर्जी बैंक गारंटी देने का आरोप लगाया गया है। अब सीबीआई जांच से ही तय होगा कि कंपनी सही है अथवा गलत। तब तक 454 करोड़ रुपए का यह टेंडर सवालिया निशान के घेरे में आ गया है। क्योंकि अगर सीबीआई ने उस मामले में कंपनी को ही दोषी माना तो फिर इंदौर की यह सबसे बड़ी डील भी प्रभावित हो सकती है। इसके पहले इंदौर–उज्जैन रोड़ पर हुई गोदरेज प्रॉपर्टीज की 46 एकड़ जमीन के लिए लगभग 200 करोड़ रुपए में हुई डील को सबसे महंगा माना जा रहा था।
इंदौर में भी दर्ज हो चुकी है शिकायत
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायाधीश विवेक जैन की खण्डपीठ ने अपने इस आदेश में जहां सीबीआई जांच करने को कहा, वहीं यह भी कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से यह बताया कि इस बारे में इंदौर के रावजी बाजार थाने पर भी बैंक गारंटी से संबंधित शिकायत दर्ज कराई गई है। जो कि पीएनबी ब्रांच कलकत्ता से संबंधित है। यह शिकायत 20 मार्च 2023 को दर्ज कराई गई थी। सूत्रों के मुताबिक इस कंपनी ने इंदौर में स्मार्ट सिटी के भी कई ठेके लिए हैं और निगम के एक अधिकारी ने आगाह भी किया कि उक्त कंपनी विवादित भी रही है।
184 कराेड़ की फर्जी बैंक गारंटी दी, होगी सीबीआई जांच
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने 184 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी मामले में सीबीआई जांच के निर्देश दिए हैं। जीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने सीबीआई को 30 जून तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है। यह आदेश इंदौर की तीरथ गोपीकान लिमिटेड को लेकर दिया गया है। इस कंपनी ने जल निगम के ठेके के लिए फर्जी बैंक गारंटी जमा की थी। जल निगम ने आपत्ति कर कंपनी को नोटिस दिया, जिस पर कंपनी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर खुद को पीड़ित बताया। एडवोकेट सिद्धार्थ शर्मा ने कोर्ट को बताया कि एक व्यक्ति जिसने खुद को बैंक अधिकारी बताया था उसने फर्जी बैंक गारंटी दी थी। जल निगम ने 7 दिन में 184 करोड़ की ई–बैंक गारंटी मांगी थी। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। उसके बाद ही मामला स्पष्ट हो सकेगा कि इसमें कंपनी दोषी है या फिर खुद ठगी का शिकार हुई है।
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अफसर बना चुके हैं 6 सड़कों का प्लान
शहर के विकास और मास्टर प्लान की सड़कों के निर्माण को लेकर पिछले दिनों मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की अध्यक्षता में शहर की मास्टर प्लान की सड़कों के संबंध में स्मार्ट सिटी ऑफिस में बैठक ली गई थी। बैठक में महापौर पुष्यमित्र भार्गव, सांसद शंकर लालवानी, विधायक रमेश मेंदोला, गोलू शुक्ला, मधु वर्मा, कलेक्टर आशीष सिंह, आयुक्त शिवम वर्मा, आईडीए सीईओ राम प्रकाश सिकरवार, स्मार्ट सिटी सीईओ दिव्यांक सिंह सहित कई अफसर मौजूद थे। बैठक में इंदौर स्मार्ट सिटी डेवेलपमेंट लिमिटेड द्वारा कुक्कुट पालन भूमि से होने वाली आय के माध्यम से प्रस्तावित परियोजनाओं के अंतर्गत शहर की मास्टर प्लान की कुल 6 प्रमुख सड़कों के निर्माण कार्यों के संबंध में जानकारी दी गई। इनमें एम.आर.-3 रोड पिपल्यापाला रीजनल पार्क से बायपास तक, एम.आर.-5 रोड इंदौर वायर फैक्ट्री से बड़ा बांगड़दा तक, एम.आर.-6 रोड महू नाका रोड से रिंग रोड (चंदन नगर के पास), एम.आर.-9 रोड रोबोट क्रॉसिंग से बायपास एवं अनूप टॉकीज के पास तक, आर.ई.-2 रोड नायता मुंडला से एम.आर.-10 तक के शेष भाग का विकास और चंदन नगर चौराहा से एयरपोर्ट रोड तक शामिल हैं।
1 जून तक कंपनी को जमा करनी है 10 प्रतिशत राशि
एआईसीटीएसएल के सीईओ दिव्यांक सिंह का कहना है कि तीर्थ गोपीकॉन कंपनी को एलओए जारी किया जा चुका है। अब उसके 1 जून तक पूरी राशि की 10 प्रतिशत राशि लगभग 45 करोड़ रुपए जमा करवानी है। पूरे 455 करोड़ रुपए तो हमें तीन साल में मिलेंगे। वहीं, जिस केस की बात हो रही है उसमें कंपनी खुद पीड़ित है। कंपनी ने ही कहा है कि हमारे साथ ठगी हो गई है और इसकी जांच कराई जाए। बाकी हाईकोर्ट से जो भी निर्णय आएगा उसी के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।