इंदौर में पुलिस हाउसिंग की 125 करोड़ की बिल्डिंग में हो गया 6 करोड़ का बैंक गारंटी घोटाला
मामला 15वीं बटालियन में सामने आया है। यहां पर पुलिस हाउसिंग के अफसरों ने 125 करोड़ की लागत से तैयार 944 पुलिस क्वार्टर वाली हाईराइज बिल्डिंग में निर्माण एजेंसी गुजरात की मेसर्स आरजेपी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. से बैंक गारंटी को लेकर जमकर सांठगांठ कर ली।
आबकारी विभाग में शराब के ठेके देने में तो बैंक गारंटी का घोटाला हुआ है, हाल ही में जल निगम के ठेके में भी इंदौर की तीर्थ गोपीकान लिमिटेड कंपनी की बैंक गारंटी के फर्जी होने का मामला सामने आया। अब इस बैंक गारंटी घोटाले से पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन भी नहीं बचा है। इसमें 6 करोड़ की बैंक गारंटी का घोटाला उजागर हुआ है।
यह है मामला – 125 करोड़ की इस बिल्डिंग का
मामला 15वीं बटालियन में सामने आया है। यहां पर पुलिस हाउसिंग के अफसरों ने 125 करोड़ की लागत से तैयार 944 पुलिस क्वार्टर वाली हाईराइज बिल्डिंग में निर्माण एजेंसी गुजरात की मेसर्स आरजेपी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. से बैंक गारंटी को लेकर जमकर सांठगांठ कर ली। रेडिसन ब्लू, ग्लेनमार्क, अमूल, रिलायंस, इप्का, मदर डेयरी और जायडस जैसी कंपनियों का काम करने वाली इस निर्माण एजेंसी ने सांठगांठ कर नियमानुसार पांच साल के बजाय एक से दो साल तक की ही सवा 6 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी बनवाई, जिसे बाद में रीन्यू ही नहीं करवाया।
बैंक गारंटी के लिए लिखा गुजरात की कंपनी को पत्र
कंपनी तो काम करके लौट भी गई, बिल्डिंग हुई खराब
गुजरात की निर्माण कंपनी काम पूरा करके जा चुकी है और अब जबकि समयावधि निकल गई तो पुलिस क्वार्टरों में आ रही लीकेज व अन्य तरह की मरम्मत के लिए चार साल से विभाग निर्माण एजेंसी से दिखावे का पत्राचार ही कर रहा है, लेकिन लीकेज ठीक नहीं हो पाए हैं। कंपनी द्वारा की गई इस मनमानी को लेकर अभी तक विभाग ने न तो कंपनी को ब्लैकलिस्टेड किया और न ही उस पर एफआईआर करवाई है।
पुलिस कर्मचारियों के घरों में इस तरह से आ रही सीलन
टेंडर देने में भी खेल, पहले कंपनी ने हाउसिंग प्रोजेक्ट नहीं किया
15वीं बटालियन में पुलिसकर्मियों के परिवारों के लिए हाईराइज बिल्डिंग में 944 पुलिस क्वार्टर तैयार करने का काम लगभग 125 करोड़ रुपए की लागत में गुजरात की मै. आरजेपी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. कंपनी को दिया गया था। कंपनी ने इसके कुछ प्रोजेक्ट का काम 2021 और बाकी का काम 2022 में पूरा कर दिया। इस काम को सालभर भी पूरा नहीं हुआ और बिल्डिंग में लीकेज आने लगे। ये लीकेज न केवल बिल्डिंग की छत, बल्कि दीवार और फ्लोरिंग में भी आने लगे। इसकी शिकायतें जब विभाग के पास पहुंचीं तब कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किए गए घटिया निर्माण कार्य की पोल खुल गई। कंपनी की प्रोफाइल पर स्पष्ट तौर पर देखा भी जा सकता है कि कंपनी ने गुजरात के बाहर इंदौर से पहले कभी भी कोई हाउसिंग का प्रोजेक्ट नहीं किया है। ऐसे में अफसरों की कंपनी के प्रति इतनी उदारता दिखाए जाने को लेकर भी प्रश्नचिह्न लगता है। साथ ही यह भी बात गौर करने वाली है कि जब घटिया निर्माण कार्य के कारण बिल्डिंग में लगातार सीपेज बनी हुई है तो फिर पुलिस हाउसिंग के परियोजना यंत्री किशन विधानी ने इसकी मॉनिटरिंग किस तरह से की होगी। वहीं, चार साल में पुलिस हाउसिंग के काबिल इंजीनियर और अफसर बिल्डिंग के लीकेज ही ठीक नहीं कर पाए हैं।
विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पुलिस हाउसिंग के इस लगभग 125 करोड़ रुपए के हाईराइज प्रोजेक्ट का भूमिपूजन 2018 में किया गया। उसके बाद गुजरात की कंपनी ने काम शुरू किया और फिर 2021 में यह प्रोजेक्ट पूरा हो गया। इसके बाद एमपी पुलिस हाउसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के परियोजना यंत्री किशन विधानी और अकाउंट अफसर अनिल चौधरी की जिम्मेदारी थी कि वे निर्माण एजेंसी से नियमानुसार कम से कम 5 साल की बैंक गारंटी लें। ऐसा न करते हुए अफसरों ने कंपनी के साथ सांठगांठ करते हुए लगभग 6 करोड़ 19 लाख 20 हजार रुपए की बैंक गारंटी केवल एक व दो साल के लिए ही ले ली। इसके बाद जब बिल्डिंग में मरम्मत का काम निकलने लगा तो अफसरों ने कंपनी को कहा। तब कंपनी ने काम करने से हाथ खड़े कर दिए। इस पर जब कंपनी की बैंक गारंटी सीज करने की बात आई तो अफसरों ने दस्तावेज खंगाले और बैंक को पत्राचार किया। तब पता चला कि कंपनी की बैंक गारंटी तो केवल एक व दो साल के लिए ही थी जो कि अब खत्म हो चुकी है। जब अफसरों ने एक्सिस बैंक से पत्राचार कर बैंक गारंटी बढ़ाने की बात कही तो नियमों का हवाला देते हुए बैंक ने भी ऐसा करने से मना कर दिया।
ऐसा घटिया काम किया कंपनी ने
फंस गए तो कंपनी को लिखने लगे पत्र
परियोजना यंत्री विधानी और अकाउंट अफसर चौधरी को अब तक समझ आ चुका था कि वे गुजरात की कंपनी के द्वारा फाइनेंशियल फ्रॉड में सहभागी बन चुके हैं। ऐसे में उन्होंने खुद को इस फ्रॉड से बाहर दिखाने के लिए कंपनी को ही पत्र लिखकर बैंक गारंटी रिन्यू करने के लिए कहा जाने लगा। इसके लिए उन्होंने 2023 में कंपनी को एक–एक करके पूरे 10 पत्र लिख डाले, लेकिन विभाग की इस गीदड़ भभकी से कंपनी को कोई फर्क नहीं पड़ा। उल्टा कंपनी ने ही इसे विभागीय अफसरों की लापरवाही बता दी।
हाऊसिंग बोर्ड के अफसरों ने सिर्फ कागजों में दी FIR की धमकी
दो साल से कागजों में दे रहे एफआईआर की धमकी
कंपनी ने जब बैंक गारंटी बढ़ाने में की गई लापरवाही पर विभाग के अफसरों को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। इस पर अफसरों ने फिर पल्ला झाड़ते हुए 2023 में पत्र लिखकर कह दिया कि वे कंपनी के जवाब से असंतुष्ट हैं और अगर 6 करोड़ 19 लाख 20 हजार रुपए की बैंक गारंटी 2026 तक के लिए नहीं बनवाई तो वे कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए एफआईआर करवा देंगे, लेकिन दो साल में अभी तक अफसर यह भी नहीं कर पाए। साथ ही अभी तक फाइनेंशियल फ्रॉड करने वाली कंपनी को विभाग ने ब्लैकलिस्टेड भी नहीं किया है।
गुजरात की कंपनी मनमानी करती रही और अफसर पत्र लिखते रहे
एमडी शर्मा बोले, मेरे समय की है बिल्डिंग, दिखवाता हूं
इस फाइनेंशियल फ्रॉड को लेकर एमपी पुलिस हाउसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन एमडी अजय शर्मा का कहना है कि यह बिल्डिंग उनके कार्यकाल में ही बनी है। बैंक गारंटी अगर ठेकेदार ने रिन्यू नहीं करवाई है तो फिर उसकी अर्नेस्ट मनी जब्त की जा सकती है। बैंक गारंटी को लेकर क्या परेशानी है यह एक बार दिखवाना पड़ेगा। साथ ही बिल्डिंग में आ रही सीपेज को लेकर जानकारी नहीं है। हालांकि वह बिल्डिंग ऐसी तकनीक से बनी है जिससे कि सीपेज आ ही नहीं सकती।
लगातार सीपेज आने से बिल्डिंग के कमजोर होने का खतरा
सिविल कंस्ट्रक्शन से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक अगर लंबे समय से किसी बिल्डिंग में लीकेज या सीपेज की समस्या बनी रहती है तो फिर उस बिल्डिंग के कमजोर होने का खतरा बना रहता है। ऐसी स्थिति में बिल्डिंग भरभराकर गिर भी सकती है। 15वीं बटालियन की हाईराइज बिल्डिंग की बात करें तो यहां पर पिछले चार साल से लीकेज के कारण दीवारों, छत आदि में सीपेज की समस्या बनी हुई है। गौरतलब है कि पोलोग्राउंड स्थित फर्स्ट बटालियन में भी पुलिस हाउसिंग के अफसरों द्वारा निर्माण कार्यों में लापरवाही बरतते हुए नींव में काली मिट्टी से भराव किया गया है। ऐसी स्थिति में यह बिल्डिंग भी न केवल कमजोर होगी बल्कि यहां पर रहने वाले पुलिस जवानों और उनके परिवारों की जान जोखिम में रहेगी।
इस तरह से घटिया काम किया कंपनी ने
184 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी दी, होगी सीबीआई जांच
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने 184 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी मामले में सीबीआई जांच के निर्देश दिए हैं। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने सीबीआई को 30 जून तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है। यह आदेश इंदौर की गोपीकान लिमिटेड को लेकर दिया गया है। इस कंपनी ने जल निगम के ठेके के लिए फर्जी बैंक गारंटी जमा की थी। जल निगम ने आपत्ति कर कंपनी को नोटिस दिया, जिस पर कंपनी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर खुद को पीड़ित बताया। एडवोकेट सिद्धार्थ शर्मा ने कोर्ट को बताया कि एक व्यक्ति जिसने खुद को बैंक अधिकारी बताया था उसने फर्जी बैंक गारंटी दी थी। जल निगम ने 7 दिन में 184 करोड़ की ई–बैंक गारंटी मांगी थी। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। उसके बाद ही मामला स्पष्ट हो सकेगा कि इसमें कंपनी दोषी है या फिर खुद ठगी का शिकार हुई है।