इंदौर की शराब दुकान बंद होने की पूरी कहानी, ठेकेदार को दुकान बंद करने के लिए इस तारीख हो चुका था नोटिस

इंदौर की स्कीम 71 में शराब दुकान बंद होने के पीछे राजनीतिक और प्रशासनिक प्रक्रिया का एक दिलचस्प खेल है। पढ़ें किस नेता का कितना प्रभाव रहा इसमें...

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Sanjay Gupta
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इंदौर के स्कीम 71 की एक शराब दुकान को लेकर जबरदस्त राजनीतिक जोर (political pressure) दिखाया गया। इस दुकान के दंगल (conflict) में मैदान में तीन नेता उतर गए। इसमें पूर्व महापौर (former mayor) और क्षेत्र की विधायक (MLA) मालिनी गौड़, पूर्व सांसद (former MP) व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे की पत्नी शुभांगी मोघे और वर्तमान महापौर (current mayor) पुष्यमित्र भार्गव शामिल है।

जैसे ही तीन जुलाई को दुकान बंद हुई, इसके बाद तीनों के समर्थकों ने अपने नेता को फूल-माला भेंट की और आभार जताया। अब इंदौरी के मन में सवाल यह है कि आखिर किस नेता के जोर से यह दुकान बंद हुई।

तो द सूत्र आपको इसकी पूरी इनसाइड स्टोरी (inside story) बता रहा है।

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कौन नेता कब मैदान में उतरा

रहवासी इस दुकान के विरोध में 1 अप्रैल से ही उतर आए थे। स्कीम 71 के रहवासी संघ ने दुकान का विरोध शुरू कर दिया और अधिकारियों के पास शिकायत भी की।

18 जून को मामला तूल पकड़ा जब विधायक मालिनी गौड़ दुकान पर पहुंची और ताला जड़ दिया और कहा कि अगली बार डंडा लेकर आउंगी। यह विरोध सुर्खियों बना रहा।

पूर्व महापौर मोघे की पत्नी शुभांगी मोघे कुछ समर्थकों के साथ मंगलवार 1 जुलाई को जनसुनवाई में पहुंची। उनके साथ सहायक आयुक्त (assistant commissioner) आबकारी अभिषेक तिवारी भी थी। ये सभी कलेक्टर आशीष सिंह के पास गए और दुकान शिफ्ट करने की मांग की।

बुधवार को महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी दुकान के विरोध में प्रदर्शन करने वालों से मिले। साथ ही दुकान बंद कराने का आश्वासन दिया और कहा कि दुकान बंद होगी।

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जानें दुकान बंद होने की कहानी कब से चली

यह दुकान कांग्रेस (Congress) से जुड़े चड्ढा परिवार (Chadha family) की है। इस बार ठेका रिन्यू होने में समस्या थी। ठेकेदार से बात करके विभाग ने नई आबकारी नीति में ठेका रिन्यू कराया।

इसके बाद दुकान खुलते ही विवाद हो गया और रहवासी संघ ने विरोध किया, क्योंकि पीछे ही रहवासी मल्टी (residential complex) है। जहां दुकान खुली वहां सर्विस रोड पर महिलाएं शाम को घूमती हैं।

विरोध के बाद कलेक्टर ने आबकारी विभाग (excise department) को निर्देश दिए कि वह देखे क्या समस्या है। रिपोर्ट में यही बातें आईं।

इसके बाद विभाग ने मई और फिर जून में ठेकेदार को लगातार जगह बदलने के लिए कहा। लेकिन ठेकेदार टालमटोली करता रहा और कहता रहा जगह ढूंढ रहे हैं।

इसी दौरान विरोध अधिक होने पर 18 जून को विधायक गौड़ ने दुकान पर ताला जड़ा और प्रशासन से बात की।

इसी दौरान ठेकेदार अड़ गया और कह दिया कि ऐसा चलेगा तो वह दुकान शिफ्ट नहीं करेगा।

जब मान-मनौव्वल (negotiation) से ठेकेदार नहीं माना तो 27 जून को ठेकेदार को औपचारिक नोटिस दिया गया कि 2 जुलाई तक दुकान बंद कर देना नहीं तो ठेका ही निरस्त कर देंगे। ऐसे में बुधवार 2 जुलाई की रात तक की समयअवधि (deadline) ठेकेदार के पास थी। 3 जुलाई गुरूवार को दुकान बंद करना ही था।

हालांकि ठेकेदार बीच में राहत पाने कोर्ट भी गया लेकिन वहां से भी याचिका खारिज हो चुकी थी।

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अब खुद ही लगाओ हिसाब किसकी कितनी राजनीति

अब इन तारीख और नेताओं के मैदान पकड़ने के बाद नेता ही आकलन कर लें और जनता भी किस नेता की कितनी चली और किसके कारण शराब दुकान बंद हुई।

मोटे तौर पर तो जनता का ही विरोध था और वह मैदान में डटे रहे, तो नेताओं को भी राजनीति के लिए आना पड़ा और आखिर विरोध प्रदर्शनके चलते शराब दुकान बंद हो गई। इसी बहाने सभी की राजनीति चमक गई।

बीजेपी दफ्तर के नीचे एक दिन में ही बंद हो गई थी दुकान

वहीं, दूसरी ओर पिछले दिनों बीजेपी दफ्तर (BJP office) के नीचे भी एक शराब दुकान खुल गई थी। इस पर नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा ने चेतावनी देते हुए शराब दुकान हटाने के लिए कहा था। उनकी चेतावनी के बाद एक दिन में ही दफ्तर के नीचे से शराब दुकान बंद हो गई थी।

पूर्व महापौर मोघे ने भी निभाई भूमिका

यह शराब दुकान पूर्व महापौर और बीजेपी के वरिष्ठ नेता कृष्णमुरारी मोघे के घर के पास ही है। इसे लेकर उन्होंने भी अहम भूमिका निभाई। मोघे की पत्नी शुभांघी ने रहवासियों को एकत्र किया और हर दिन प्रदर्शन का रोस्टर भी बनाया कि कौन कितने बजे धरने पर मौजूद रहेगा। रहवासियों का वाटअप ग्रुप भी बनाया। इसमें हर दिन की फोटो, वीडियो डले।

मोघे ने विधायक गौड़ से बात की और उन्होंने भी विरोध जताया और प्रशासन से बात की। फिर एक आयोजन के दौरान महापौर से भी इस शराब दुकान की ओर ध्यान दिलाया। इसी बीच शुभांगी मोघे ने रेसीडेंसी में रहवासियों के साथ जाकर कलेक्टर सिंह से बात की और उन्होंने आश्वस्त किया कि इस पर काम हो रहा है।

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