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INDORE. इंदौर में मास्टर प्लान के साथ खुला खेल सामने आया है। जिन सड़कों की चौड़ाई मास्टर प्लान में साफ तौर पर 30 मीटर तय है। दस्तावेजों में 18 मीटर बताकर नक्शे पास कर दिए गए। साथ ही उन्हीं सड़कों की जमीन पर आलीशान मॉल और कमर्शियल इमारतें भी खड़ी कर दी गईं। मास्टर प्लान की सड़कें बनाने का वक्त आया है। सवाल यह है क्या इन इमारतों पर बुलडोजर चलेगा या नियम बदलकर इन्हें बचा लिया जाएगा?
सेंटर लाइन डालते ही खुल गई फाइलों की पोल
केंद्र सरकार से मिले फंड से इंदौर में मास्टर प्लान की 23 सड़कों का निर्माण प्रस्तावित है। इनमें भमोरी चौराहे से एमआर-10 और राजशाही गार्डन से होटल वॉव तक की सड़क प्रमुख है। करीब 1100 मीटर लंबी और 30 मीटर चौड़ी इस सड़क पर 16 करोड़ 76 लाख रुपए खर्च होने हैं। लेकिन जैसे ही निर्माण से पहले सड़क की सेंटर लाइन डाली गई। चौंकाने वाला सच सामने आ गया कि सड़क की जमीन पर पहले से ही निर्माण खड़े हैं।
मास्टर प्लान 2021 को दरकिनार कर दिए गए नक्शे
भमोरी प्लाजा से एरोप्लेन चौराहे तक 7 भूखंडों पर नक्शे मंजूर किए गए। नगर निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने मास्टर प्लान 2021 को नजरअंदाज किया। पूरे हिस्से में सड़क की चौड़ाई 30 मीटर दर्ज है। नक्शों में जानबूझकर इसे 18 मीटर दिखाया गया। इसी आधार पर शॉपिंग मॉल और कमर्शियल इमारतों को वैधता दी गई।
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2021 में सड़क, 2024 में मॉल की मंजूरी
सबसे बड़ा मामला एज्यूर मॉल का है, जो प्लॉट नंबर 14, 15 और 16 पर बनाया जा रहा है। एसीएस बिल्ड डेवलपर प्रा.लि. के अंकित कटारिया द्वारा बनाए जा रहे इस मॉल को 2024 में नगर निगम से मंजूरी दी गई। मास्टर प्लान 2021 में यहां स्पष्ट रूप से 30 मीटर चौड़ी सड़क दर्ज है। इसी तरह छोटू नजान-शिवप्रसाद तिवारी, सोनम गोडखे, राजेश गर्ग, बलराज, गिरधर महल और मेघदूत टॉवर को भी मंजूरियां दी गईं।
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सीएम से लेकर महापौर तक पहुंची शिकायत
नगर निगम के जनकार्य प्रभारी राजेंद्र राठौर ने इस पूरे मामले की शिकायत की है। राठौर ने अपनी शिकायत सीएम मोहन यादव, नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, नगरीय प्रशासन आयुक्त, महापौर और निगम आयुक्त से की है।
राठौर की मांग है कि
•गलत नक्शे पास करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई हो
•संदिग्ध मंजूरियां रद्द की जाएं
•मास्टर प्लान की सड़क की जद में आने वाले निर्माण हटाए जाएं
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मिलीभगत का आरोप, सड़क बनना हुआ मुश्किल
राजेंद्र राठौर का आरोप है कि अधिकारियों और जमीन मालिकों की मिलीभगत से सड़क की चौड़ाई घटाकर नक्शे पास किए गए। कई जगह निर्माण पूरे हो चुके हैं, जबकि कुछ अभी जारी हैं। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो मास्टर प्लान के अनुसार सड़क बनाना नामुमकिन हो जाएगा।
अब असली सवाल
अब इंदौर के सामने सीधा सवाल है...
क्या मास्टर प्लान बचेगा या मॉल?
कानून चलेगा या फाइलों में फेरबदल?
और सबसे अहम-बुलडोजर जमीन पर उतरेगा या नियम फिर से बदले जाएंगे?
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