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Raipur. छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता, सुरक्षा और मानकों को बेहतर करने के लिए राज्य सरकार एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। प्रदेश में जल्द ही छत्तीसगढ़ राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, जो सरकारी, अनुदान प्राप्त और निजी—तीनों तरह के स्कूलों की नियमित निगरानी और मूल्यांकन करेगा।
यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के अनुरूप की जा रही है, जिसे राज्य में लागू किया जा चुका है।
एससीईआरटी बनाएगी नियम:
प्राधिकरण के गठन, उसके ढांचे और नियम-निर्देश तय करने की जिम्मेदारी राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को सौंपी गई है।
इसके तहत प्रदेश के सभी स्कूलों के लिए शिक्षा, आधारभूत संरचना, सुरक्षा, शिक्षकों की उपलब्धता और शैक्षणिक वातावरण से जुड़े स्पष्ट मानक तय किए जाएंगे। इन मानकों के आधार पर हर वर्ष स्कूलों का वार्षिक मूल्यांकन किया जाएगा।
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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर फोकस:
नए प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करना है। इसके लिए स्कूलों को केवल पढ़ाई ही नहीं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा, समावेशी शिक्षा, स्वच्छता, संसाधनों और सीखने के माहौल के पैमानों पर भी खरा उतरना होगा। राज्य स्तर पर निर्धारित मानकों को सार्वजनिक किया जाएगा, ताकि स्कूल और अभिभावक दोनों ही उनसे अवगत रह सकें।
ग्रेडिंग सिस्टम से तय होगी स्कूलों की साख:
प्राधिकरण की सबसे अहम व्यवस्था होगी स्कूलों की ग्रेडिंग। यह ग्रेडिंग स्व-मूल्यांकन, बाह्य मूल्यांकन और तृतीय पक्ष मूल्यांकन के आधार पर की जाएगी। मूल्यांकन के लिए एजेंसियों या मूल्यांकनकर्ताओं का चयन स्वयं प्राधिकरण करेगा।
स्कूलों को ए प्लस से लेकर सी ग्रेड तक वर्गीकृत किया जाएगा, जिससे उनकी शैक्षणिक स्थिति साफ तौर पर सामने आ सके।
बाह्य या तृतीय पक्ष मूल्यांकन के बाद यदि स्व-मूल्यांकन में 15 प्रतिशत से अधिक अंतर पाया गया, तो संबंधित संस्था को जवाबदेह ठहराया जाएगा। साथ ही जिन मानकों में स्कूल कमजोर पाए जाएंगे, उनके लिए सुधारात्मक विकास योजना तैयार करना अनिवार्य होगा।
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शिकायत दर्ज कराने का भी मिलेगा अधिकार:
नए प्राधिकरण के तहत अभिभावक और अन्य संबंधित पक्ष स्कूल मूल्यांकन से जुड़ी शिकायतें भी दर्ज करा सकेंगे। सरकार का मानना है कि इस व्यवस्था से स्कूलों में पारदर्शिता बढ़ेगी और शिक्षा की गुणवत्ता में वास्तविक सुधार आएगा।
कुल मिलाकर, यह प्राधिकरण प्रदेश की स्कूल शिक्षा व्यवस्था को जवाबदेह, सुरक्षित और परिणामोन्मुख बनाने की दिशा में एक अहम पहल मानी जा रही है।
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