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Raipur. छत्तीसगढ़ में बच्चों की पढ़ाई लिखाई जानने के लिए सरकार ने एक सैंपल सर्वे कराया। इस फर्स्ट फेज के सैंपल सर्वे का मकसद यह जानना था कि स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के बाद पढ़ाई के स्तर में कितना अंतर आया है। जब इस सर्वे का रिजल्ट आया तो सरकार को हैरानी हुई।
रिजल्ट में यह सामने आया कि छत्तीसगढ़ के आधे से ज्यादा बच्चे सी और डी ग्रेड के स्कूलों में पढ़ाई करते हैं। क्वालिटेटिव एजुकेशन के तहत 38 हजार से ज्यादा स्कूलों का सोशल ऑडिट कराया गया जिसमें 19 हजार से ज्यादा स्कूल सी और डी ग्रेड में आए। स्कूल शिक्षा विभाग अब इन स्कूलों पर खास फोकस करने जा रहा है।
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स्कूलों का सोशल ऑडिट :
मुख्यमंत्री शिक्षा गुणवत्ता अभियान के तहत प्रदेश के 38 से ज्यादा सरकारी स्कूलों का सोशल ऑडिट किया गया। इसमें चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। सोशल ऑडिट में 19339 स्कूल सी और डी ग्रेड में पाए गए हैं।
इन स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए अब जिला स्तर पर अफसरों और जनप्रतिनिधियों द्वारा निरीक्षण किया जाएगा। ए ग्रेड स्कूलों को उत्कृष्ट विद्यालय के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है, जबकि सी और डी ग्रेड स्कूलों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी।
सोशल ऑडिट में यह भी सामने आया है कि कई स्कूलों में शिक्षकों और छात्रों की नियमित उपस्थिति नहीं है। साथ ही बच्चों की शैक्षणिक क्षमता अन्य राज्यों की तुलना में कमजोर पाई गई है। कई जगह पांचवीं और छठवीं कक्षा के छात्र ठीक से किताबें नहीं पढ़ पा रहे हैं।
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यह रहा सोशल ऑडिट का रिजल्ट :
पहले चरण में सोशल ऑडिट वाले स्कूल - 38955
- ए ग्रेड वाले स्कूल - 9735
- बी ग्रेड वाले स्कूल - 9841
- सी ग्रेड वाले स्कूल - 9836
- डी ग्रेड वाले स्कूल - 9543
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इस रुब्रिक्स पर हुआ सोशल ऑडिट :
स्कूलों के सोशल ऑडिट के लिए एक रुब्रिक्स तैयार किया गया। रुब्रिक्स का मतलब होता है मूल्यांकन करने का तय मापदंड या पैमाना। इसके तहत
- बच्चों की पढ़ाई
- शिक्षकों की उपस्थिति
- मध्यान्ह भोजन
- गणित के जोड़ घटाना
- तीन सालों का परीक्षा परिणाम
- साफ पीने का पानी
- शौचालय
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जैसे बिंदुओं पर स्कूलों का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के आधार पर स्कूलों को असंतोषप्रद, औसत से कम, संतोषप्रद,औसत से बेहतर जैसी मार्किंग की जा रही है।
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आगे इस तरह चलेगा अभियान :
राज्य सरकार का कहना है कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए यह अभियान लगातार जारी रहेगा। डी ग्रेड स्कूलों में संसाधन बढ़ाने, जवाबदेही तय करने और नियमित निरीक्षण के माध्यम से शिक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा।
अभियान के दौरान शिक्षकों और बच्चों की नियमित उपस्थिति पर जोर दिया गया है। निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित पाए जाने पर कारण पूछा जाएगा। साथ ही स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए गए हैं।
यह स्कूलों के सोशल ऑडिट का पहला चरण है। इसी तरह एक चरण के तहत सभी स्कूलों की गुणवत्ता का परीक्षण किया जाएगा। इस आधार पर ही स्कूलों में कमियों को दूर कर क्वालिटेटिव एजुकेशन पर फोकस किया जाएगा।
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