इंदौर बैठक में सोयाबीन खरीदी की भावांतर योजना पर भड़का किसान संघ बोले फ्लॉप होगी, सफल बनाना है तो ये करो

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर सोयाबीन की खरीद के लिए भावांतर योजना लागू की गई है। इसका उद्देश्य किसानों को आर्थिक नुकसान से बचाना और उनकी उपज का सही मूल्य सुनिश्चित करना है।

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Sanjay Gupta
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INDORE. सोयाबीन खरीदी के लिए भावांतर योजना लागू करने के पीछे सीएम मोहन यादव की मंशा है कि किसानों को किसी भी तरह का आर्थिक नुकसान नहीं हो। साथ ही उन्हें उनकी उपज का सही मूल्य मिल सके। लेकिन मंडियों में होने वाले खेल और साल 2017-18 की भावांतर योजना के अनुभव के चलते भारतीय किसान संघ इस योजना से भड़का हुआ है। सभी की बात सुनने के लिए कलेक्टर इंदौर शिवम वर्मा ने शनिवार को व्यापारी, मंडी पदाधिकारियों, किसान संघ पदाधिकारियों के साथ बैठक की। 

बैठक में यह बोले किसान संघ पदाधिकारी

बैठक में किसान संघ के प्रातांध्यक्ष लक्ष्मी नारायण पटेल, संभागाध्यक्ष कृष्ण पाल सिंह राठौर, इंदौर नगराध्यक्ष दिलीप मुकाती व अन्य पदाधिकारी थे। इसमें उन्होने साफ कहा कि भावांतर योजना फ्लाप है और इसका हमसे प्रचार-प्रसार मच कराईए। इसमें कई समस्याएं है, यदि यह ठीक हो सकती है तो ही इसका मतलब है। हम तो सीधे घोषित एमएसपी 5328 रुपए प्रति क्विंटल चाहते हैं। 

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आखिर क्या समस्याएं मानता है संघ और क्या चाहता है?

1- पंजीयन के साथ खरीदी क्यों नहीं

पंजीयन 3 अक्टूबर से शुरू हुआ है, वहीं खऱीदी 24 अक्टूबर से होगी। संघ का कहना है कि जब पंजीयन शुरू हो गया है तो तत्काल योजना भी लागू कर दी जाए और योजना में पंजीयन करा चुके किसानों को अभी से योजना का लाभ दिया जाए। जब 24 अक्टूबर से लागू करेंगे तब तक तो अधिकांश छोटे, मध्यम किसान माल बेच चुके होंगे। वह तो बाहर हो चुके होंगे। इंदौर में उम्मीद की जा रही है कि 80 हजार से 1 लााख तक किसान पंजीयन होंगे। संघ पदाधिकारियों का कहना है कि योजना लागू होने से पहले ही 30-40 हजार तो किसान माल बेच चुके होंगे।

2- मॉडल रेट का क्या होगा

उधर कहा गया है कि 24 अक्टूबर से पहले 15 दिन तक मंडियों में बिकी सोयाबीन के रेट का औसत निकालकर मॉडल रेट माना जाएगा और फिर किसान का सोयाबीन भले ही मॉडल रेट से कम पर बिका हो, उसे मॉडल रेट और एमएसपी मूल्य के बीच का अंतर का ही भुगतान किया जाएगा। इस पर भी संघ को आपत्ति है कि मॉडल रेट तय करते समय मंडियों में दाम बढ़ाए जाते हैं और मॉडल रेट तय करने का फार्मूला भी ट्रांसपेंरेट नहीं होता है।

ऐसे में मॉडल रेट अधिक तय किया जाता है। पदाधिकारियों ने कहा कि अभी बैठक में ही मंडी पदाधिकारी 4500 का भाव का उदाहरण दे रहे हैं, जबकि अभी सोयाबनी 3700-4000 रुपए बिक रही है। यानी मॉडल रेट 3700-3800 होना चाहिए, लेकिन इसे जानबूझकर अधिक तय कराया जाएगा, जिससे किसानों को नुकसान होगा। दूसरा मॉडल रेट कब-कब रिवाइज्ड होगा क्या यही हमेशा रहेगा यह साफ नहीं। जबकि इसे लगातार रिवाइज्ड होना चाहिए।

3- माल के भाव बाद में गिरते हैं

इंदौर किसान संघ ने यह भी कहा कि 24 अक्टूबर से जब योजना में खरीदी होगी तो माल एकदम से मंडी में आएगा, इससे भले ही मॉडल रेट 4000-4500 रुपए जो भी तय होंगे. लेकिन इसके नीचे ही खरीदी होगी और किसानों को जमकर घाटा होगा क्योंकि सरकार तो केवल मॉडल रेट और एमएसपी के बीच का अंतर ही भुगतान करेगा।

 कार्टेल सक्रिय होता है और माल के भाव तेजी से गिरते हैं। यह अनुभव साल 2018 के भावांतर योजना के दौरान भी रहा था और मंडियों में बाद में मॉडल रेट से काफी नीचे माल गया और आखिरकार सरकार ने 500 रुपए देना ही तय किया और सारे फार्मूले धरे रह गए। यह राशि भी इंदौर में किसानों को नहीं मिली।

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बैठक में कलेक्टर ने सुनी समस्याएं यह किए प्रयास

कलेक्टोरेट बैठक में कलेकट्र शिवम वर्मा ने व्यापारियों और किसान संघ से भावांतर योजना के पंजीयन, खरीदी और मॉडल रेट और एमएसपी रेट के बीच की राशि का भुगतान के सम्बंध में जानकारी दी। साथ ही उन्होंने किसानों के भुगतान को लेकर कहा कि ऑनलाइन भुगतान करना आवश्यक है।

इसके अलावा मॉडल रेट के विषय मे भी आवश्यक चर्चा की। कलेक्टर ने भावांतर योजना को समुचित रूप से क्रियान्वित करने के लिए विभिन्न समितियां गठित की है। गठित समितियों को अलग अलग स्तर पर जिम्मेदारियां दी गई है। इन समितियों में कृषि व मंडी विभाग के अमले के साथ ही राजस्व अमला भी निगरानी कार्यो में संलग्न होगा। 

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अपर कलेक्टर को बनाया नोडल अधिकारी 

भावांतर योजना में 17 अक्टूबर तक पंजीयन के बाद सोयाबीन फसल विक्रय का कार्य 24 अक्टूबर से 15 जनवरी 2026 तक किया जाएगा। इसके लिए अपर कलेक्टर श्री विजय पंवार नवजीवन को नोडल अधिकारी बनाया गया है। जबकि कृषि उप संचालक सी.एल. केवड़ा, एम.पी. एग्रो के क्षेत्रीय प्रबंधक जे.के. जैन और मंडी सचिव रामवीर किराड़ को सहायक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। कृषि उप संचालक केवड़ा ने जानकारी देते हुए बताया कि शनिवार 3 बजे तक इंदौर जिले में 4 हजार 366 किसानों ने भावांतर योजना में पंजीयन कराया है। 

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गुणवत्ता के लिए गठित समितियों में 8 सदस्य नियुक्त

कलेक्टर ने भावांतर योजना में जिले की मंडियों के लिए मंडी समिति नियुक्त की है। इन समितियों का दायित्व भी निर्धारित किया गया है। इंदौर, देपालपुर,महू और सांवेर मंडी समिति के अलावा जिला स्तरीय मंडी समिति भी बनाई गई है। मंडी समितियां सोयाबीन की सम्पूर्ण प्रक्रिया व स्कंध गुणवत्ता का कार्य भी देखेगी। 

योजना के सफल  क्रियान्‍वयन के लिए केन्द्रवार 6-6 क्लस्टर नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए। इन क्लस्टर नोडल अधिकारियों के साथ प्रति पंजीयन केन्द्रवार एक-एक पंजीयन केंद्र प्रभारी भी बनाये गए है। इसके अलावा एक अन्य समिति एसडीएम व भू-अभिलेख अधीक्षक को शामिल कर बनाई गई है। जो कृषकों का पंजीयन कार्य का सत्यापन कार्य देखेगी।

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