इंदौर MGM DEAN घनघोरिया पर कार्रवाई में मुश्किल, वो पूर्व मंत्री के दामादजी हैं, विभागाध्यक्ष, कंपनी, अधीक्षक सबका बचाव

डीन डॉ. घनघोरिया तो अभी तक कार्रवाई से बचे ही हैं। साथ ही वह निचले स्टाफ पर कार्रवाई कर खुद को संवदेनशील भी बताने में जुटे हैं। ताकि खुद से बला टल जाए।

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Vishwanath Singh
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Sourabh875
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इंदौर के एमवाय अस्पताल में नवजातों को चूहों द्वारा कुतरे जाने के बाद हुई दो मौतों के मामले में सबकी निगाहें एमजीएम डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और अधीक्षक डॉ. अशोक यादव पर कार्रवाई के लिए टिकी हुई हैं। जबकि दोनों लगातार ना केवल झूठ बोल रहे हैं, बल्कि वरिष्ठ अफसरों को भी गलत जानकारी दे रहे हैं। डॉ. घनघोरिया को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। उन पर सरकार की तरफ से अभी तक कार्रवाई नहीं हो पाई। उसके पीछे एक बड़ी वजह उनका पूर्व मंत्री गौरीशंकर शैजवार का दामाद होना बताया जा रहा है।

इन सभी को बचाया जा रहा है

डीन डॉ. घनघोरिया तो अभी तक कार्रवाई से बचे ही हैं, साथ ही वह निचले स्टाफ पर कार्रवाई कर खुद को संवदेनशील भी बताने में जुटे हैं। ताकि खुद से बला टल जाए। विभागाध्यक्ष बृजेश लाहोटी भी दो कदम आगे हैं और बयान दे रहे हैं कि उन नवजातों को तो मरना ही था, कोई अस्पताल नहीं बचा सकता था। उनका मन भी अपने परिवार के मेडिकेयर अस्पताल में अधिक लगता है। उनके कार्यकाल में एक बार एमवाय में आपरेशन टेबल दो बच्चों की मौत हुई थी। फिर विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक यादव भी इसीके चलते बचे हैं जब उन पर कार्रवाई नहीं तो मेरा क्या दोष है। इसी के साथ ठेका लेने वाली मूल कंपनी एचएलएल का तोई नाम नहीं ले रहा है, क्योंकि सरकारी उपक्रम है, वहीं पेटी कांट्रेक्ट लेने वाली एजाइल कंपनी से भी मात्र पेस्ट कंट्रोल का काम लेकर बचाव कर दिया गया है।

डीन की कुर्सी के लिए भी भोपाल तब जैक लगाया था

एमजीएम मेडिकल कॉलेज से डीन डॉ. संजय दीक्षित जब रिटायर हुए तब उनकी जगह पर किसे डीन का पद दिया जाए, इस पर बात हो रही थी। सूत्रों के मुताबिक उस दौरान भी पूर्व मंत्री गौरीशंकर शैजवार के दामाद डॉ. घनघोरिया ने भोपाल में लंबा जैक लगाया था। उनकी इंदौर एमजीएम में ज्वाइनिंग के बाद जयस ने बड़ा आंदोलन किया था और पुराने कच्चे–चिट्‌ठे खोल डाले थे।

डीन तो हंसते हुए बोले, हमने जुर्माना लगा दिया

एमजीएम डीन डॉ. घनघोरिया ने इस मामले की जानकारी बेशर्म हंसी के साथ दी थी। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि मृतक नवजात का वजन मात्र 1.2 किलो था, हीमोग्लोबिन बेहद कम था और जन्म से ही कई जटिलताएँ थीं। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। डीन ने स्पष्ट किया कि “चूहे के काटने का घाव बहुत छोटा था, मौत का कारण सेप्टिसीमिया (इन्फेक्शन) और जन्मजात समस्याएं हैं। डीन ने कहा कि चूहों की सक्रियता की जानकारी समय पर न देने और सतर्कता में चूक के चलते कंपनी व स्टाफ पर कार्रवाई की गई।

विभागाध्यक्ष लाहोटी को भी क्यों बचाया जा रहा

एमवाय अस्पताल में पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. ब्रजेश लाहोटी भी शर्मनाक बयान दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि काम करने के दौरान कई बार चूहे हमें भी काट चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक वे भी कार्रवाई से इसलिए बच रहे हैं क्योंकि लाहोटी परिवार का मेडिकेयर अस्पताल है। इसमें डॉ. ब्रजेश लाहोटी अहम भूमिका में हैं। वे मेडिकेयर अस्पताल में तो अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसलिए उनका ध्यान एमवाय अस्पताल में कम है। अगर वे अपने विभाग में जिम्मेदारी से ध्यान देते तो संभवत: इन बच्चों की जान बच सकती थी।

विश्व का कोई अस्पताल इन बच्चों को नहीं बचा सकता था

NICU इंचार्ज डॉ. ब्रजेश लाहोटी ने कहा था कि "अस्पताल में चूहे मौजूद हैं और कई बार ड्यूटी के दौरान हमें भी काट लेते हैं। लेकिन चूहों से किसी तरह का इंफेक्शन नहीं होता। डॉ. लाहोटी ने यह भी कहा था कि दोनों नवजात पहले से ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। एक बच्चे की आंख पूरी तरह खराब थी, जिसे सर्जरी के जरिए बाईपास किया गया था। दोनों ही बच्चों को जन्म से ही क्रिटिकल प्रॉब्लम्स थीं। उन्होंने दावा किया कि इन बच्चों की हालत ऐसी थी कि "दुनिया के किसी भी अस्पताल में इनका इलाज कर भी दिया जाता, तो भी ये जीवित नहीं रह पाते। बाद में डीन घनघोरिया ने भी उनकी यह बात दोहराई। दोनों ने कलेक्टर तक को गलत जानकारी दी थी नवजात का पीएम हो गया और नेचुरल मौत हुई, जबकि पीएम तब हुआ ही नहीं था। यहां तक कि इन्होंने नवजात के माता-पिता को भी पता होने के बाद भी जानकारी तक नहीं दी। 

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जयस ने दी आंदोलन की चेतावनी

एमवाय अस्पताल में मासूम बच्चियों की दर्दनाक मौत के मामले पर जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) ने सरकार और प्रशासन को कड़ी चेतावनी दी है। जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट लोकेश मुजाल्दा ने साफ कहा है कि यदि आने वाले दो दिनों में मेडिकल कॉलेज इंदौर के डीन, एमवाय अस्पताल के अधीक्षक और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को निलंबित कर FIR दर्ज नहीं की गई, तो संगठन आंदोलन की तारीख तय कर देगा। जयस ने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल निलंबन या FIR दर्ज नहीं की गई, तो संगठन आंदोलन की तारीख तय कर देगा। जयस ने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल निलंबन या एफआईआर तक सीमित नहीं है। संगठन का कहना है कि दोषी अधिकारियों की गिरफ्तारी और सजा भी उतनी ही जरूरी है। ताकि भविष्य में किसी मासूम के साथ इस तरह की अमानवीय घटना दोबारा ना हो।

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इस तरह से किया था प्रदर्शन

मासूमों को न्याय दिलाना ही लक्ष्य

लोकेश मुजाल्दा ने कहा – “जयस हर हाल में मासूम बच्चियों को न्याय दिलाकर रहेगा। जब तक न्याय नहीं मिलेगा, तब तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी।”जयस का कहना है कि वह सरकार और प्रशासन को सोचने-समझने और कार्रवाई करने का पूरा समय दे रहा है। लेकिन अगर दो दिन के भीतर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह मुद्दा बड़े आंदोलन का रूप लेगा।

नेता प्रतिपक्ष ने घेरा सरकार को

नेता प्रतिपक्ष विधानसभा उमंग सिंघार ने कहा कि इंदौर के एमवाय अस्पताल में चूहों द्वारा कुतरे जाने से नवजात शिशु की दर्दनाक मौत
जब परिजनों ने घर पर शव से कपड़े हटाए, तब यह वीभत्स दृश्य सामने आया। लेकिन अफसोस, इतनी भयानक घटना के बाद भी प्रदेश का सिस्टम, प्रशासन और सरकार संवेदनहीन बनी हुई है। अस्पताल की लापरवाही का सबसे बड़ा सबूत सामने होने के बावजूद न डीन, न अधीक्षक और न दोषियों पर कार्रवाई हुई। उन्होंने कहा कि मेरा सवाल सीधे मुख्यमंत्री से है कि इंदौर आपके प्रभार वाला जिला है, फिर भी आप अब तक अस्पताल का निरीक्षण करने क्यों नहीं पहुंचे?

दोषियों पर कार्रवाई में देरी क्यों?

उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य मंत्री अब तक एमवाय अस्पताल का दौरा करने क्यों नहीं गए? यह प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर का सबसे बड़ा अस्पताल है। यदि यहां इतनी बड़ी लापरवाही पर भी कार्रवाई नहीं होगी, तो छोटे जिलों के अस्पतालों में लापरवाहों को और हौसला मिलेगा। मुख्यमंत्री जी और स्वास्थ्य मंत्री जी, रैली, भाषण और फोटो बाद में भी हो जाएंगे। पहले इस प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की चिंता कीजिए। एमवाय अस्पताल में दोषियों पर तत्काल प्रभाव से कड़ी कार्रवाई कीजिए।

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इंदौर मंत्री डीन अधीक्षक एमवाय अस्पताल