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The Sootr
इंदौर के नगर निगम की एमआईसी की बैठक में एक बार फिर जनप्रतिनिधियों का गुस्सा अफसरों पर फूट पड़ा। वे उनके विभागों के काम बिना जानकारी के किए जाने को लेकर नाराज थे। इस पर वे अधिकारियों पर जमकर गरजे। इसमें सबसे ज्यादा नाराजगी एमआईसी सदस्य राजेश उदावत, नंदकिशोर पहाड़िया, निरंजनसिंह चौहान और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के खास माने जाने वाले मनीष शर्मा उर्फ मामा ने दर्ज कराई। मामा ने तो अफसरों को यहां तक कह दिया कि मुझे पुरानी स्टाइल में आने के लिए मजबूर मत करो।
प्रभारी को पता नहीं और टेंडर निरस्त
महापौर परिषद की 18 मार्च 2025 को आयोजित बैठक में एमआईसी सदस्य अफसरों पर जमकर गरजे। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारी अपने हिसाब से निर्णय ले लेते हैं। दीनदयाल रसोई शिफ्टिंग का टेंडर निरस्त हो गया और प्रभारी को पता तक नहीं चला। अधिकारी तो एमआईसी सदस्यों के पत्रों का जवाब तक नहीं देते हैं।
खबरें चलती हैं तब पता लगती है जानकारी
एमआईसी सदस्य राजेश उदावत बोले – जब सभी सरकारी विभागों से टैक्स लेते हैं तो फिर एआईसीटीएसएल और स्मार्ट सिटी से क्यों नहीं। अफसर इनकी जानकारी तक नहीं देते। जब अखबारों में छपता है या खबरें चलती हैं, तब जानकारी मिलती है।
मनीष शर्मा बोले – दीनदयाल रसोई को तीन इमली पर शिफ्ट करना था। अफसरों ने मेरी जानकारी के बिना ही इसका टेंडर निरस्त कर दिया। अफसर फोन तक नहीं उठाते हैं। मुझे पुरानी स्टाइल में आने पर मजबूर मत करो। पुराने अफसरों से पूछना कि जब मेरा स्कूटर निगम के गेट पर आता था तो पता चल जाता था कि मामाजी आ गए हैं।
निरंजनसिंह चौहान ने कहा – बैठक में जीआईएस सर्वे के लिए प्रस्ताव रखा है और मुझे पता तक नहीं है।
महापौर भी फिर हुए नाराज
जनप्रतिनिधियों ने जब अफसरों के खिलाफ नाराजगी जाहिर की तो महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी अफसरों को डपट दिया। उन्होंने कहा कि आप लोगों को कई बार कहा है कि किसी भी विभाग का काम करें तो पहले प्रभारी और मुझे जानकारी जरूर दें। भविष्य में ऐसी स्थिति नहीं बननी चाहिए। एमआईसी सदस्यों की अनदेखी किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं होगी। प्रभारियों के संज्ञान में लाने व उनसे चर्चा करने के बाद ही कोई निर्णय लें।
पहले भी हो चुकी है गहमा-गहमी
एमआईसी मेंबरों का अफसरों पर बरसना कोई नई बात नहीं है। इसके पूर्व में भी कई बार बैठकों में अफसरों व एमआईसी मेंबरों का विवाद हो चुका है। पूर्व में सदस्यों ने इंजीनियर सुनील गुप्ता का विरोध कर उन्हें बैठक से बाहर कर दिया था। कई बार पार्षद एकमत होकर अफसरों की नजरअंदाजी को लेकर विरोध दर्ज करवा चुके हैं। वहीं, पूर्व निगमायुक्त हर्षिका सिंह के समय तो महापौर बोल चुके हैं कि लाल फीता शाही बर्दाश्त नहीं करेंगे। पार्षद भी कई बार महापौर से भरी बैठकों में अधिकारियों को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।