टीआई से मारपीट पर गुस्से में खाकी, डीपी ब्लैक की, लेकिन वकीलों की गिरफ्तारी नहीं होगी

टीआई से मारपीट के बाद खाकी में गुस्सा है, डीपी ब्लैक की गई, लेकिन वकीलों की गिरफ्तारी नहीं होगी। पुलिस ने आक्रोशित होकर कार्रवाई की, बावजूद इसके गिरफ्तारी से बचने का फैसला लिया।

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Sanjay Gupta
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Photograph: (the sootr)

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हाईकोर्ट चौराहे इंदौर पर 15 मार्च को हुए वकीलों के चक्काजाम, टीआई तुकोगंज जितेंद्र यादव के साथ मारपीट, झूमाझटकी, वर्दी फाड़ने वाले शर्मिंदगी वाले कांड के बाद खाकी गुस्से में हैं। लेकिन यह गुस्सा केवल वाट्सअप डीपी ब्लैक करके ही दिखाया गया है। कुछ टीआई ने डीपी ब्लैक कर ली है, लेकिन इसमें भी सभी टीआई एकजुट नहीं है।

पलासिया कांड फिर याद आया

इस घटना के बाद पुलिस के जेहन में पलासिया चौराहे पर बजरंग दल द्वारा हुए विरोध प्रदर्शन की याद ताजा कर दी है। जिसमें पुलिस ने चौराहे पर चक्काजाम खत्म करने के लिए लाठीचार्ज किया और बजरंगियों को गिरफ्तार किया था। लेकिन इसके बाद पुलिस अधिकारियों पर ही कार्रवाई हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने खाकी का भी मान है ना, मुहिम चलाते हुए वाट्सअप डीपी ब्लैक की थी। लेकिन उस समय खाकी एकजुट थी और इसी के चलते आगे होने वाली कार्रवाई रूक गई थी। लेकिन इस बार ऐसा नजर नहीं आ रहा है। केवल सांकेतिक गुस्सा दिख रहा है।

धाराएं भी गिरफ्तारी वाली तो है ही नहीं

वहीं इस मामले में तुकोगंज पुलिस में दो एफआईआर हुई है, एक में खुद फरियादी टीआई जितेंद्र यादव है, जिसमें अज्ञात पर केस है। इसमें शासकीय काम में बाधा की धारा लगी है। वहीं एक वाहन चालक द्वारा कराई गई एफआईआर है, इसमें 150-200 अज्ञात वकीलों को आरोपी बनाया गया है। इनमें एक भी धारा ऐसी नहीं है जो सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के तहत गिरफ्तारी योग्य हो, यानी अधिक से अधिक नोटिस देकर पुलिस जवाब लेगी। लेकिन अभी तक तो इस मामले में अज्ञात आरोपियों की पहचान वाला काम शुरू नहीं हुआ है, यानी यह अभी अज्ञात ही रहेंगे। वहीं बताया जा रहा है कि एक और आम फरियादी के आवेदन पर रात तक पुलिस एक और एफआईआर दर्ज करेगी, लेकिन इसमें भी अज्ञात आरोपी ही होने की संभावना है।

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आला अधिकारी खुद के बचाव में जुटे

वहीं इस मामले में घटना स्थल पर डीसीपी व अन्य सीनियर अधिकारियों के नहीं पहुंचने पर उच्च स्तर पर अधिकारी खुद के बचाव में जुटे हैं। यह टीआई और एसीपी की ही गलती बता रहे हैं कि जब ऐसे हालत थे तो तो उन्हें बलवा सामग्री और अतिरिक्त बल के साथ जाना चाहिए था। वह खुद ऐसे क्यों चले गए। यह एक अकस्मात घटना थी। वहीं सीनियर अधिकारियों को लेकर बोला जा रहा है कि हर घटना पर डीसीपी और उच्च अधिकारी नहीं जाते हैं।

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घटना को बार एसोसिएशन के चुनाव से जोड़ा जा रहा

उधर घटना को उच्च स्तर पर बार एसोसिएशन के अगले चुनावों से भी जोड़ा जा रहा है। यह बात चल रही है कि यह वकीलों का चक्काजाम, हंगामा इतना बड़ा इसलिए हुआ क्योंकि कुछ वकील चाहते थे कि वह इस घटना के जरिए वकीलों के सबसे बड़े हितों के पैरोकार के रूप में उभरें, जिससे उन्हें चुनाव में फायदा हो।

मंत्री विजयवर्गीय के निशाने पर भी आला अधिकारी

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने रविवार को इस घटना को लेकर कहा कि घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। फिर उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि कहीं ना कहीं कम्यूनिकेशन गैप है और अधिकारी शायद पहले चर्चा कर लेते तो ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना नहीं होती।

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जैन परिवार भी लगा रहा आरोप

उधर यह पूरा बवाल परदेशीपुरा थाने में जिस एफआईआर पर हो रहा है, इसमें अरविंद जैन, उनके पुत्र अपूर्व जैन और अर्पित जैन पुलिस पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। इसमें अऱविंद जैन ने जहां पुलिस द्वारा उनके साथ गंदे तरीके से मारपीट के आरोप लगाए हैं। वहीं उनके पुत्र ने कहा कि जिसके कहने पर पुलिस ने हम पर एफआईआर की है वह पुलिस का ही मुखबिर है। वह अटाले, चोरी का सामान खरीदता है और पुलिस के साथ लेन-देन करता है। यह 20 सालों से वहीं पदस्थ है और यहीं पदोन्नत हो गए, पूरी नौकरी यहीं हो रही है तो हर गुंडा तत्व के साथ उनके कांटेक्ट है। इस थाना एरिया में अफीम, गांजा, ड्रग्स का धंधा बेरोकोटोक चल रहा है, पैडलर के साथ इनकी सांठगांठ है।

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