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INDORE. इंदौर शहर के मूसाखेड़ी में सरकारी जमीन पर कब्जा किया जा रहा था। प्रशासन ने अब इस मामले में जांच पूरी करके कब्जाधारियों को नोटिस जारी किए हैं। कार्रवाई से प्रशासन का कड़ा रुख स्पष्ट होता है।
यह था मामला
निगम के जोन नंबर 18 में 45 हजार वर्ग फीट शासकीय जमीन है। 10 दिसंबर 2024 को इंदौर नगर निगम और जिला प्रशासन ने संयुक्त कार्रवाई की। खसरा नंबर 132 से अतिक्रमण हटाया गया। गुमटियां और ठेले हटाए गए। कलेक्टर और नगर निगम ने कार्रवाई की जानकारी साइट पर पोस्ट की। दावा किया गया कि ट्रैफिक जाम खत्म होगा। रास्ता अब सुचारू रहेगा।
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फिर होने लगे कब्जे, तो जागे
अब वही जमीन फिर से कब्जाधारियों के अधीन होने लगी। अवैध निर्माण दोबारा खड़े हो गए, तब जाकर जिम्मेदार अधिकरी जागे और अब जाकर कार्रवाई शुरू की है। हालांकि अभी भी केवल नोटिस ही थमाए हैं।
पटवारी सिर्फ बोर्ड लगाकर लौट गईं
जांच के दौरान सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया कि मूसाखेड़ी पटवारी रजनी मौके पर टीम के साथ तो पहुंची थीं। लेकिन निर्माण रोकने या कब्जाधारियों पर कार्रवाई करने के बजाय मात्र एक चेतावनी बोर्ड लगाकर लौट आईं। बोर्ड पर लिखा था यह भूमि शासकीय है, अतिक्रमण दंडनीय अपराध है।
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न निर्माण रुकवाया, न कार्रवाई की
बोर्ड के पीछे ही दुकानें, शेड और पक्के निर्माण खड़े किए जा रहे थे। पूछताछ में पटवारी ने स्वयं स्वीकार किया कि एसडीएम ने उन्हें केवल बोर्ड लगाने के निर्देश दिए थे। न तो निर्माण रुकवाया गया, न ही अवैध दुकानों पर कोई कार्रवाई की गई।
आंखें मूंदकर बैठे रहे अधिकारी
करोड़ों रुपए की शासकीय भूमि पर पर भूमाफिया की तरफ कब्जा किया जाता रहा। निर्माण खुलेआम चलते रहे। लेकिन जिला प्रशासन और नगर निगम के अधिकारी आंखें मूंदे बैठे रहे। जब वह जागे तक अधिकांश जमीन पर पक्के निर्माण हो चुके थे। हालांकि अब नोटिस दिए जाने के बाद जल्दी ही कार्रवाई की उम्मीद है।
लापरवाही से कब्जेधारियों के हौंसले बढ़े
इतनी बड़ी सरकारी कार्रवाई के बाद निगरानी बंद कर दी गई। इंदौर जिला प्रशासन, निगम और राजस्व विभाग ने नियमित निरीक्षण नहीं किया। इस लापरवाही ने कब्जेधारियों के हौसले बढ़ाए और सरकारी जमीन पर पक्के निर्माण तक हो गए।
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15 दिन में करवाई
वहीं इस पूरे मामले तहसीलदार कमलेश कुशवाह ने कहा है कि हमने सभी कब्जाधारियों को नोटिस दिया है । 15 दिन बाद करवाई करने की बात उस नोटिस में है ।
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