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The Sootr
पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए इंदौर के सुशील नथानियल का पार्थिव शरीर बुधवार को इंदौर लाया गया। इसके बाद गुरुवार को क्रिश्चियन रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया गया। इसके पहले उनकी पार्थिव देह को निवास स्थान वीणा नगर से विशेष वाहन से नंदानगर स्थित चर्च ले जाया गया। यहां पर प्रार्थना की गई और उसके बाद उन्हें जूनी इंदौर कब्रिस्तान में ईसाई रीति रिवाज से उन्हें अंतिम विदाई दी गई। अंतिम यात्रा से पहले पत्नी जेनिफर से रोते हुए कहा कि हम उन्हें नहीं बचा पाए। उन्हें मारने वाले तीन कम उम्र के युवक थे।
परिवार सहित घूमने गए थे पहलगाम
सुशील आलीराजपुर स्थित एलआईसी की सैटेलाइट शाखा में पदस्थ थे। वे 4 दिन पहले ही 21 वर्षीय बेटे ऑस्टिन गोल्डी, 30 वर्षीय बेटी आकांक्षा और पत्नी जेनिफर के साथ 18 अप्रैल को कश्मीर गए थे। 22 अप्रैल की दोपहर करीब 2.45 बजे पहलगाम की बैसारन घाटी में पर्यटकों पर फायरिंग की, जिसमें 27 लोगों की मौत हो गई। इनमें सुशील भी शामिल थे। बेटी आकांक्षा को पैर में गोली लगी थी। सुशील की पत्नी जेनिफर खातीपुरा के सरकारी स्कूल में टीचर हैं। आकांक्षा सूरत में बैंक ऑफ बड़ौदा में फर्स्ट क्लास ऑफिसर जबकि ऑस्टिन बैडमिंटन खिलाड़ी है। परिवार मूल रूप से जोबट का रहने वाला है।
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अंतिम यात्रा में हटा दिया गया ताबूत का ढक्कन
आमतौर पर क्रिश्चियन समाज में जब शव को ताबूत में रखा जाता है तो अंतिम दर्शन के बाद उसे पूरी तरह पैक कर अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है। सुशील नथानियल की मौत का आज तीसरा दिन है, जिसके चलते पेट काफी फूल गया है। इस कारण ताबूत का ढक्कन लग नहीं रहा था। इसके चलते सांकेतिक रूप से ताबूत को ढका गया, फिर अंतिम यात्रा निकालने के दौरान ढक्कन हटा दिया गया। यहां से नंदानगर स्थित चर्च पहुंचे। वहां पर प्रार्थना की गई उसके बाद सुशील को जूनी इंदौर कब्रिस्तान में रीति रिवाज के साथ अंतिम विदाई दी गई।
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भारतीय फौज आतंकियों के चीथड़े उड़ा देती
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए इंदौर के सुशील नथानियल की पार्थिव देह को बुधवार रात को इंदौर लाया गया। यहां पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि आतंकवादी डरपोंक थे जिन्होंने निहत्थे बेकसूर पर्यटकों पर गोलियां बरसाईं। अगर वे हमारी भारतीय फौज के सामने आते तो हमारी फौज उनके चिथड़े उड़ा देती। कायर आतंकियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।
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परिजन हुए भावुक बोले, अभी तक टीवी में ही देखा था आतंकी हमला
एयरपोर्ट पर सुशील की पार्थिव देह लेने पहुंचे परिजनों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमारी इस दुख की घड़ी में सभी लोग साथ हैं। अभी तक हमने केवल टीवी में देखा था कि ऐसे आंतकी हमले भी होते हैं। आज पहली बार हमारे परिवार के साथ ऐसा आतंकवादी हमला हुआ है। हमारे लिए यह सहन करना बहुत मुश्किल था। जब से हमें यह खबर मिली है, तबसे हम ना जाने कहां–कहां संपर्क कर रहे हैं। सुशील की भतीजी ने बताया कि वे काफी अच्छे व्यक्ति थे और परिवार में काफी मिलनसार थे। वे बहुत ज्यादा धार्मिक थे और सभी से काफी प्यार करते थे। इतना कहते हुए वे काफी भावुक हो गईं और फिर कुछ नहीं बोल पाईं।
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मुख्यमंत्री ने दी श्रृद्धांजलि
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले में मृत इंदौर के स्व. सुशील नथानियल की पार्थिव देह पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने एयरपोर्ट में शोकाकुल परिवारजनों से मिलकर अपनी शोक संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मिलते ही उनके परिजन फूट-फूट कर रो पड़े। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने परिजनों को दिलासा दिलाया और कहा कि दुख और शोक की इस घड़ी में न केवल प्रदेश अपितु पूरा देश उनके साथ है। दिवंगत आत्मा की शांति और शोकाकुल परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ इस अवसर पर सांसद विष्णु दत्त शर्मा, जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट सहित इंदौर के जन प्रतिनिधिगण उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री बोले कांग्रेस को इसकी कीमत चुकानी होगी
पहलगाम की घटना में दिवंगत हुए इंदौर के सुशील की पार्थिव देह को जब एयरपोर्ट पर लाया गया तो मुख्यमंत्री यादव ने उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित की। यहां उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस कायराना हरकत करने पर तालिबानी के दोषी बख्शे नहीं जाएंगे। उन्होंने यहां पर कांग्रेस को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि दुख की इस घड़ी में जब पूरा देश अपनी शोक संवेदना व्यक्त कर रहा है तब रॉबर्ट वाड्रा का बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। संकट के समय उनका बयान कांग्रेस की गंदी मानसिकता को प्रदर्शित कर रहा है। इस बयान के लिए उन्हें माफी मांगना चाहिए। कांग्रेस को इसकी क़ीमत चुकाना पड़ेगी। कांग्रेस सदैव से ही हिन्दुओं को लज्जित करने का काम करती रही है।
बेटा बोला, पापा ने हमें वहां से हटा दिया था
सुशील के भाई ने बताया कि पूरा परिवार बाहर रहता है। कुछ दिन साथ रह सकें, इसलिए वे साथ घूमने गए थे। कल हमले के बाद बेटे ऑस्टिन का फोन आया तो कहा, "आतंकियों ने पापा से बोला- कौन से धर्म के हो?" तब हम सब चुपचाप खड़े रहे। फिर आतंकी ने कहा, "कलमा पढ़ सकते हो?" ये सुनकर पापा ने हम सबको वहां से जाने के लिए कहा। फिर आतंकी ने पापा को घुटनों के बल पर बैठने को कहा। पापा वैसे नहीं बैठ सके जैसे कलमा पढ़ने के लिए बैठा जाता है। तब आतंकवादी ने पापा से पूछा, "कौन से धर्म के हो?" पापा ने जैसे ही ईसाई कहा, उसने पापा को गोली मार दी। एक गोली कुछ दूर खड़ी बहन आकांक्षा के पैर में भी लगी। फायरिंग के बाद आतंकी वहां से भाग गए। हम पापा के पास पहुंचे, तब तक उनकी जान जा चुकी थी।