इंदौर के बीएड कॉलेजों द्वारा फर्जीवाड़ा करते हुए कागजों में ही कक्षाएं लगाकर बच्चों को बीएड की डिग्री दी जा रही थी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, मध्यप्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा विभाग और ईओडब्ल्यू को पिछले दिनों इंदौर सहित पूरे प्रदेश के कुल 40 बीएड कॉलेज की शिकायत हुई थी। उसके बाद ईओडब्ल्यू ने मामले को संज्ञान में लिया और इंदौर जिले के लगभग 30 में से पहले फेज में 25 कॉलेजों की जांच शुरू की। इसी कड़ी में मंगलवार को भोपाल से ईओडब्ल्यू की टीम इंदौर आई और जयंत कासलीवाल के खंडवा रोड़ स्थित अरिहंत कॉलेज और विक्टोरिया बीएड कॉलेज में पहुंची। यहां पर ईओडब्ल्यू की टीम ने कार्रवाई करते हुए कॉलेजों से जरूरी दस्तावेज लिए हैं।
यह है पूरा मामला
बीएड कॉलेजों में डिग्री देने के नाम पर फर्जीवाड़ा किए जाने की शिकायत इंदौर के डॉ. देवेन्द्र मालवीय 3 महीने पहले मय दस्तावेज के ईओडब्ल्यू व अन्य जगहों पर की थी। इसमें बताया गया था कि प्रदेश के कई बीएड कॉलेजों ने एनसीटीई की परफॉर्मेंस एप्रेजल रिपोर्ट (PAR) में फर्जी जानकारी दी। शिक्षकों के बैंक खाते, पीएफ और वेतन विवरण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है। कॉलेजों ने छात्रों के नाम पर फर्जी एडमिशन दिखाकर छात्रवृत्ति ली, जबकि 75% उपस्थिति की शर्त पूरी नहीं हुई। बिना कक्षाएं लिए, बिना फैकल्टी, छात्रों से मोटी फीस वसूली गई और "नॉन-अटेंडिंग" सुविधा के नाम पर अतिरिक्त पैसा ऐंठा गया। शिक्षकों के नाम पर सिर्फ बैंक एंट्री घुमा कर पैसे वापस निकाल लिए गए। कई कॉलेजों ने शिक्षा विभाग और एनसीटीई को गुमराह कर सरकारी अनुदान भी ले लिया, जिसका निजी उपयोग किया गया।
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ऐसे कर रहे थे हर साल करोड़ों का खेल
ईओडब्ल्यू ने अपनी प्राथमिक जांच में शिकायत को सही पाया और संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू की। असल में सरकार की तरफ से एससी–एसटी के छात्रों को बीएड में एडमिशन लेने पर सालाना लगभग 35 हजार रुपए स्कॉलरशिप मिलती है। इन कॉलेजों ने अपने यहां पर कागजों में 50 से 200 छात्रों के फर्जी एडमिशन कागजों पर दिखा दिए थे। इनके एवज में ये कॉलेज बिना छात्रों को पढ़ाए ही सरकार से सालाना करोड़ों रुपए का अनुदान ले रहे थे। मंगलवार को जब ईओडब्ल्यू की टीम इन कॉलेजों में पहुंची तो कॉलेज संचालकों में हड़कंप मच गया। कई कॉलेजों ने आनन-फानन में अपने कागजी शिक्षकों और छात्रों को फोन कर कैंपस बुलाना शुरू कर दिया।
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18 कॉलेज को नोटिस देकर मांगा था जवाब
ईओडब्ल्यू ने पहले फेज में कुल 25 कॉलेजों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था। जिस पर कॉलेज मैनेजमेंट ने जवाब देने के लिए समय मांग लिया था। अब जबकि कॉलेजों को दिया गया समय पूरा हो गया तो अब दस्तावेज जमा करवाने के लिए ईओडब्ल्यू के अफसर कॉलेज पहुंच रहे हैं। इसी कड़ी में मंगलवार को भोपाल ईओडब्ल्यू के अफसर इंदौर आए थे। सूत्रों के मुताबिक इस मामले में यूनिवर्सिटी के अफसरों की भी संलिप्तता मिली है। उनसे भी मामले में टीम जल्दी ही पूछताछ करेगी।
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बिना छात्र और टीचर्स के चल रहे कॉलेजों की मान्यता पर सवाल
सूत्रों के मुताबिक डॉ. मालवीय की शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया था कि बिना छात्रों और फैकल्टी के कॉलेज इतने लंबे समय से चल रहे हैं और उनकी मान्यताएं भी नवीनीकरण में जाती रही हैं। इसके अलावा यूनिवर्सिटी व उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों द्वारा भी कई बार कॉलेजों के निरीक्षण भी हुए। उसके बावजूद उन्हें यह अनियमितताएं नहीं दिखीं।
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