इंदौर के सत्यसांई, DPS, शिशुकुंज, एमराल्ड और चोईथराम स्कूल में क्या डमी पढ़ रहे कल्पवृक्ष कोचिंग के बच्चे?
कल्पवृक्ष ने इंदौर के जिन 48 बच्चों का जेईई में सिलेक्शन होने को लेकर फोटो और जानकारी प्रकाशित करवाई है। उसमें शहर के जिन नामी सीबीएसई स्कूलाें का जिक्र है वे नाम चौंकाने वाले हैं।
इंदौर में शिक्षा माफिया और कोचिंग माफिया की सांठगांठ से डमी स्कूलों का बेखौफ संचालन और डमी बच्चों के एडमिशन के खेल का खुलासा द सूत्र ने किया था। इसके बाद अब कल्पवृक्ष कोचिंग संस्थान के विजीत जैन ने खुले तौर पर अखबारों में विज्ञापन देकर शहर के उन प्रतिष्ठित स्कूलों के नाम सार्वजनिक कर दिए हैं, जिनमें कल्पवृक्ष के बच्चों ने पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया है। इन विज्ञापनों में कल्पवृक्ष साफ शब्दों में कह रहा है कि JEE में उनकी कोचिंग के इतने ज्यादा बच्चों का सिलेक्शन होना केवल 13 घंटे की पढ़ाई के शेड्यूल से ही संभव हो पाया है। इससे यह साबित होता है कि शहर के डीपीएस, एमराल्ड, शिशुकुंज, सत्यसांई, चोइथराम, एनडीपीएस, विद्यासागर और केंद्रीय विद्यालय तक के बच्चे कल्पवृक्ष में पढ़ रहे हैं।
इस विज्ञापन के जरिए कल्पवृक्ष पालकों को भ्रमित कर रहा है। उसने बच्चों के फोटो के नीचे उन स्कूलों के नाम छापे हैं जिनमें बच्चा दो साल पहले पढ़ता था। अब सवाल यह उठता है कि जब कल्पवृक्ष कोचिंग में ही बच्चे को 13 घंटे पढ़ाई कराने का दावा कर रहा है तो वह बच्चा स्कूलों में पढ़ाई के लिए कब पहुंच गया। कल्पवृक्ष के विज्ञापन से शहर के प्रतिष्ठित सीबीएसई स्कूलों ने खासी नाराजगी जाहिर की है। स्कूलों का कहना है कि इस विज्ञापन में उनके स्कूलों के नाम का उपयोग किए जाने को लेकर कल्पवृक्ष ने किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं ली है, जो कि गलत है। अब स्कूल कल्पवृक्ष को नोटिस दे रहे हैं। वहीं, इस संबंध में हमने कल्पवृक्ष एकेडमी के डायरेक्टर विजीत जैन से विज्ञापन की हकीकत जानने को लेकर कई बार फोन, एसएमएस करके संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी।
कल्पवृक्ष में पढ़ते हैं इन प्रतिष्ठित स्कूलाें के बच्चे
कल्पवृक्ष ने इंदौर के जिन 48 बच्चों का जेईई में सिलेक्शन होने को लेकर फोटो और जानकारी प्रकाशित करवाई है। उसमें शहर के जिन नामी सीबीएसई स्कूलाें का जिक्र है वे नाम चौंकाने वाले हैं। इसमें द शिशुकुंज इंटरनेशनल स्कूल, एमराल्ड हाईट्स स्कूल, वेदांश इंटरनेशनल स्कूल, सेंट पॉल हायर सेकंडरी स्कूल, चोइथराम स्कूल माणिकबाग, जवाहर नवोदय विद्यालय, चोइथराम स्कूल नॉर्थ कैंपस, श्री वैष्णव एकेडमी, सेंट रेफल्स एकेडमी, श्री सत्यसांई विद्या विहार, न्यू ग्रीन फील्ड हायर सेकंडरी स्कूल, एकायना स्कूल, डीपीएस, न्यू दिगंबर पब्लिक स्कूल, विद्यासागर स्कूल, प्रेस्टीज पब्लिक स्कूल, गोल्डन इंटरनेशनल स्कूल, केंद्रीय विद्यालय क्र.2, सेंट नॉर्बड स्कूल, सराफा विद्या निकेतन, लॉरेल्स स्कूल इंटरनेशनल, पोत्दार इंटरनेशनल स्कूल, चमेली देवी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन, मेडिकैप्स इंटरनेशनल स्कूल, एटॉमिक एनर्जी सेंट्रल स्कूल, सिक्का 78 स्कूल, अग्रसेन विद्यालय शामिल हैं।
बच्चों के फोटो के साथ स्कूलाें के नाम छापे
पर्सेंटेज जेईई के और स्कूलों के नाम 10वीं वाले
इन स्कूलों के नाम के नीचे कल्पवृक्ष ने 10वीं क्लास लिखा है। जब इसके संबंध में हमने स्कूलों के प्रिंसीपल, मैनेजमेंट, डायरेक्टर आदि से बात की तो सच का खुलासा हुआ। पता चला कि ये बच्चे 10वीं तक ही इन स्कूलों में पढ़े हैं। उसके बाद इन बच्चों ने स्कूल से टीसी ले लिया है। 10वीं के बाद के दो साल बच्चे 11वीं और 12वीं में किन स्कूलों में पढ़े हैं इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। अब सवाल यह उठता है कि जब बच्चों के फोटो के साथ पर्सेंटेज जेईई के छापे गए हैं तो फिर फोटो के नीचे उन स्कूलों के नाम छापने के पीछे का उद्देश्य क्या है जिनमें बच्चा दो साल पहले पढ़ा था। वर्तमान में बच्चा किस स्कूल से पढ़ाई कर रहा है इसका उल्लेख नहीं किया गया है।
अपनी मार्केटिंग के लिए नामी स्कूलों का सहारा
कल्पवृक्ष के विजीत जैन ने जिस तरह से इस विज्ञापन में शहर के प्रतिष्ठित स्कूलों के नाम का उल्लेख किया है उसे स्कूल मैनेजमेंट काफी नाराज हैं और जैन की इस कारनामें को गंदी मार्केटिंग स्किल बता रहे हैं। कोचिंग संस्थान प्रतिष्ठित स्कूलों के नाम छापकर पालकों को भ्रमित करना चाहता है। उसका उद्देश्य इन स्कूलों के नाम को दिखाकर अपनी कोचिंग में बच्चों के एडमिशन लेना है। स्कूलों का कहना है कि कोचिंग अगर दो साल पुराने स्कूल के नाम के बजाए यह छापती कि बच्चा वर्तमान में किस स्कूल से पढ़ाई कर रहा है तो इससे उन स्कूलों के नामों का खुलासा हो जाता जो कि बच्चों को गलत तरीके से डमी एडमिशन दे रहे हैं।
13 घंटे पढ़ाई कराने का दावा किया
स्कूल संचालक सीबीएसई बोर्ड को करेंगे शिकायत
कल्पवृक्ष की इस गंदी मार्केटिंग से नाराज शहर के ख्यात स्कूलों के मैनेजमेंट अब कोचिंग संस्थान के खिलाफ कड़ा कदम उठाने जा रहे हैं। उनका कहना है कि कोचिंग की इस हरकत से उनके स्कूलों का नाम खराब हो रहा है। पालकों के मन में यह संदेश जा रहा है कि हम कोचिंग संस्थान को प्रमोट कर रहे हैं। स्कूल संचालकों ने यह भी आरोप लगाया है कि खुद कल्पवृक्ष के संचालक बताएं कि अगर बच्चा उनकी कोचिंग में 13 घंटे पढ़ाई कर रहा है तो फिर वह स्कूल की पढ़ाई कब व कैसे कर रहा है।
इस विज्ञापन में छपे बच्चे वर्तमान में किन स्कूलों में पढ़ रहे हैं उनके नामाें का खुलासा भी होना चाहिए। इसको लेकर वे काफी गंभीर हैं और इसकी शिकायत सीबीएसई के वरिष्ठ अफसरों से करने जा रहे हैं। जल्दी ही स्कूल संचालक अब इसको लेकर मध्यप्रदेश सरकार के सामने भी अपनी बात रखेंगे। इसमें वे बताएंगे कि किस तरह से केंद्र सरकार ने कोचिंग संस्थानों पर लगाम लगाने के लिए कड़े कानून बनाए हैं। उसी तर्ज पर मध्यप्रदेश सरकार भी नियम बनाकर कोचिंग संस्थानों पर लगाम लगाए।
मुंबई, होशंगाबाद, उज्जैन के स्कूलों के भी नाम बताए
कल्पवृक्ष कोचिंग संस्थान ने जो विज्ञापन जारी किया है उसमें कुल 86 बच्चों के फोटो छापे हैं। इसमें से अकेले इंदौर के ही कुल 48 बच्चे हैं। इसके अलावा 38 छात्र देशभर के अलग–अलग शहरों में स्थानीय स्कूलों में पढ़ना बताए गए हैं। जो कि मुंबई, ललितपुर, जलगांव, उज्जैन, धामनोद, नागदा, छतरपुर, मंदसौर, बुरहानपुर, रीवा, बड़वाह, देवास और बड़नगर के स्कूल हैं।
देखिए क्या कह रहा है कल्पवृक्ष
कल्पवृक्ष अपने विज्ञापन में साफ तौर पर दावा कर रहा है कि उनकी कोचिंग में पर्सनल अटैंशन के साथ बाहरी चकाचौंध से दूर, विद्यार्थियों की एकाग्रता बनाए रखने के लिए कल्पवृक्ष ने 13 घंटे का स्ट्रेस फ्री अनुशासित स्टडी शेड्यूल तैयार किया है। वह यह भी बता रहा है कि उनके इस शेड्यूल को दूसरे संस्थान कॉपी कर रहे हैं और वहां पर 12 घंटे का शेड्यूल रहता है। 13 घंटे के शेड्यूल को लेकर पालकाें व बच्चों को एडमिशन के समय ही बता दिया जाता है।
एक तरफ तो सरकार स्कूली छात्रों के बस्ते का बोझ कम करने को लेकर प्रयास कर रही है। इसके लिए वह ना केवल नो बैग पॉलिसी लेकर आई है, बल्कि अफसरों को निर्देशित भी किया है कि वे नियमित रूप से मॉनिटर करें कि बच्चे के स्कूल के बैग का बोझ ज्यादा तो नहीं है। इसके पीछे सरकार की मंशा है कि बच्चे किताबी ज्ञान के बजाए खेल–खेल में पढ़ाई करने पर जोर दें। वहीं, दूसरी तरफ ये कोचिंग संस्थान बच्चों को 13 घंटे तक बंधक बनाकर रखते हैं और इस बात को वे खुले तौर पर कहते भी हैं। इस ओर अफसरों का ध्यान नहीं जाता है।
डमी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए दिल्ली में सीबीएसई बोर्ड ने सख्ती दिखाई है। इसी कड़ी में पिछले दिनों कार्रवाई करते हुए उन्होंने कुछ डमी स्कूलों को बंद कर दिया है। साथ ही देशभर के सीबीएसई स्कूलों को निर्देश भी जारी कर डमी एडमिशन करने पर मनाही कर दी है। इसके बावजूद इंदौर के स्कूल कोचिंग संस्थानों के जरिए बड़ी संख्या में हर साल डमी एडमिशन ले रहे हैं। इसकी खुलासा द सूत्र ने अपने स्टिंग ऑपरेशन में भी किया है।