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इंदौर के एमवाय अस्पताल में नवजातों को चूहों द्वारा कुतरे जाने के मामले में अब कई बड़े लोगों पर गाज गिरने वाली है। द सूत्र को मिली जानकारी के मुताबिक इस घटनाक्रम की रिपोर्ट आयुक्त तरुण राठी को सौंपी जा चुकी है। उस रिपोर्ट में कई लोगों के नाम बताए जा रहे हैं, जिन्होंने इस मामले में गंभीर रूप से लापरवाही बरती थी। आगामी एक–दो दिन में ही यह कार्रवाई हो सकती है।
आयुक्त को सौंप दी रिपोर्ट
इस मामले में आयुक्त तरुण राठी ने जांच कमेटी बनाई थी। द सूत्र को पुख्ता जानकारी मिली है कि उस कमेटी ने साेमवार की रात को अपनी रिपोर्ट आयुक्त राठी को साैंप दी है। अब जांच रिपोर्ट पढ़ने के बाद इसमें सीधे भोपाल से ही कार्रवाई होगी। सूत्रों के मुताबिक कमेटी ने कई लोगों को दोषी माना है, जिनपर गाज गिरना तय है।इस लिस्ट में संभवत: कई बड़े लोगों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।
ये लोग थे जांच कमेटी में
इस मामले की जांच के लिए राज्य स्तर पर चिकित्सा शिक्षा आयुक्त तरुण राठी के निर्देश जो जांच कमेटी बनाई गई थी। उसमें आयुष्मान भारत के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी डॉ. योगेश भरसत, गांधी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. धीरज श्रीवास्तव, डॉ. राजेश टिक्कस और लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा निदेशालय के उप निदेशक डॉ. वैभव जैन शामिल हैं।
खुदको बचाने के चक्कर में इन पर की कार्रवाई
डॉ. ब्रजेश लाहोटी विभागाध्यक्ष, पीडीयाट्रिक सर्जरी विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी किया।
डॉ. मुकेश जायसवाल, सहायक अधीक्षक एवं भवन प्रभारी को निलंबित किया गया।
मारग्रेट जोजफ, नर्सिंग सुपरिटेंडेंट को हटाया।
आकांक्षी बेंजामिन, नर्सिंग ऑफिसर को सस्पेंड किया।
श्वेता चौहान नर्सिंग ऑफिसर को सस्पेंड किया।
कलावती बलावी सहायक प्रभारी नर्सिंग ऑफिसर (NICU) को शोकाज नोटिस दिया।
प्रवीणा सिंह प्रभारी नर्सिंग ऑफिसर (PICU) को निलंबित किया गया।
डॉ. मनोज जोशी प्रभारी व प्राध्यापक (पीडियाट्रिक सर्जिकल) को शोकाज नोटिस दिया।
एजाइल कंपनी पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया।
अभी तक ये लोगों की भूमिका रही संदेहास्पद
नवजातों को चूहों द्वारा कुतरे जाने के मामले में अभी तक एमजीएम डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया, एमवाय अस्पताल अधीक्षक डॉ. अशोक यादव और एचओडी डॉ. ब्रजेश लाहोटी की भूमिका भी संदेहास्पद मानी जा रही है। इन सभी पर जयस संगठन ने भी लापरवाही के आरोप लगाए थे। कांग्रेस ने भी आरोप लगाए कि अगर समय रहते ठीक से इलाज किया जाता तो बच्चों को बचाया जा सकता था।
डीन तो हंसते हुए बोले, हमने जुर्माना लगा दिया
एमजीएम डीन डॉ. घनघोरिया ने इस मामले की जानकारी बेशर्म हंसी के साथ दी थी। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने बताया कि मृतक नवजात का वजन मात्र 1.2 किलो था, हीमोग्लोबिन बेहद कम था और जन्म से ही कई जटिलताएँ थीं। उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। डीन ने स्पष्ट किया कि “चूहे के काटने का घाव बहुत छोटा था, मौत का कारण सेप्टिसीमिया (इन्फेक्शन) और जन्मजात समस्याएं हैं। डीन ने कहा कि चूहों की सक्रियता की जानकारी समय पर न देने और सतर्कता में चूक के चलते कंपनी व स्टाफ पर कार्रवाई की गई।
विभागाध्यक्ष लाहोटी को भी क्यों बचाया जा रहा
एमवाय अस्पताल में पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. ब्रजेश लाहोटी भी शर्मनाक बयान दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि काम करने के दौरान कई बार चूहे हमें भी काट चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक वे भी कार्रवाई से इसलिए बच रहे हैं क्योंकि लाहोटी परिवार का मेडिकेयर अस्पताल है। इसमें डॉ. ब्रजेश लाहोटी अहम भूमिका में हैं। वे मेडिकेयर अस्पताल में तो अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसलिए उनका ध्यान एमवाय अस्पताल में कम है। अगर वे अपने विभाग में जिम्मेदारी से ध्यान देते तो संभवत: इन बच्चों की जान बच सकती थी।
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विश्व का कोई अस्पताल इन बच्चों को नहीं बचा सकता था
NICU इंचार्ज डॉ. ब्रजेश लाहोटी ने कहा था कि "अस्पताल में चूहे मौजूद हैं और कई बार ड्यूटी के दौरान हमें भी काट लेते हैं। लेकिन चूहों से किसी तरह का इंफेक्शन नहीं होता। डॉ. लाहोटी ने यह भी कहा था कि दोनों नवजात पहले से ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। एक बच्चे की आंख पूरी तरह खराब थी, जिसे सर्जरी के जरिए बाईपास किया गया था। दोनों ही बच्चों को जन्म से ही क्रिटिकल प्रॉब्लम्स थीं। उन्होंने दावा किया कि इन बच्चों की हालत ऐसी थी कि "दुनिया के किसी भी अस्पताल में इनका इलाज कर भी दिया जाता, तो भी ये जीवित नहीं रह पाते।