नेप्रा कॉन्ट्रैक्ट पर द सूत्र की खबर पर मुहर, महापौर की आपत्ति खारिज

महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा तत्कालीन अधिकारियों ( कलेक्टर मनीष सिंह और निगमायुक्त प्रतिभा पाल) के रहते स्मार्ट सिटी में किए गए नेप्रा कांट्रेक्ट आगे बढ़ाने के फैसले को साजिश करार दिया गया था।

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Sanjay Gupta
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महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा तत्कालीन अधिकारियों ( कलेक्टर मनीष सिंह और निगमायुक्त प्रतिभा पाल) के रहते स्मार्ट सिटी में किए गए नेप्रा कॉन्ट्रैक्ट आगे बढ़ाने के फैसले को साजिश करार दिया गया था। इस पर द सूत्र ने चार दिसंबर को खुलासा किया था कि उनकी यह आपत्ति खारिज हो गई है और नेप्रा का कॉन्ट्रैक्ट रद्द नहीं होगा। इस खबर पर अब स्मार्ट सिटी बोर्ड की मुहर लग गई है। 

बोर्ड ने लिया फैसला

कलेक्टर व बोर्ड चेयरमैन आशीष सिंह के साथ ही निगमायुक्त शिवम वर्मा, आईडीए सीईओ आरपी अहिरवार व अन्य बोर्ड मेंबर की उपस्थिति में स्मार्ट सिटी बोर्ड की 16 दिसंबर शाम को हुई। बैठक में नेप्रा कॉन्ट्रैक्ट को लेकर स्मार्ट सिटी सीईओ दिव्यांक सिंह ने बोर्ड को बताया कि इसे लेकर भोपाल से पत्र आया था, जिसमें बता दिया गया कि इनका कॉन्ट्रैक्ट जो पूर्व में करार हुआ है उसी के नियमों के तहत ही बढ़ाया गया है। इसमें कोई गलती नहीं की गई है। बोर्ड ने इसके बाद तय किया कि फिर कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने का कोई मतलब नहीं है, सब नियम से हुआ है। रही बात नेप्रा के साथ राशि वसूली और अन्य मुद्दों की तो इस पर बोर्ड ने तय किया कि यह निगम से जुड़े मुद्दे हैं। इसके लिए बोर्ड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर व निगमायुक्त शिवम वर्मा को अधिकृत किया जाता है। वह नेप्रा से अपनी बकाया राशि लें और उनके जो कचरे को लेकर भी मुद्दे हैं, वह निराकृत करें। इसके बाद यह मुद्दा खत्म हो गया। 

महापौर ने पत्र लिखकर उठाई थी जांच की मांग

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इस मुद्दे को लेकर शासन को पत्र लिखकर जांच की मांग उठाई थी। एमआईसी सदस्य अश्विनी शुक्ला ने पहले महापौर पुष्यमित्र भार्गव को नेप्रा कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट को लेकर शिकायत की थी। इसके बाद महापौर ने जून माह में इसकी जांच के लिए मुख्य सचिव वीरा राणा को तीन पन्नों का पत्र भेजा था। इस पत्र में महापौर ने तत्कालीन स्मार्ट सिटी अधिकारियों को जिम्मेदार बताते हुए और उनके द्वारा धोखाधड़ी की बात करते हुए ईओडब्ल्यू, लोकायुक्त जैसी जांच एजेंसी से विस्तृत जांच कराने की मांग की थी। 

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महापौर ने अपने पत्र में क्या लिखा था?

महापौर के पत्र में था कि साल 2018 में देवगुराडिया में सूखे कचरे के निपटान के लिए स्मार्ट सिटी ने टेंडर बुलाए थे, अक्टूबर 2018 में यह टेंडर सिंगल होने के बाद भी कंपनी नेप्रा रिसोर्सेस मैनेजमेंट प्रालि को दे दिया गया। इस टेंडर की शर्त में था कि रायल्टी डिफाल्ट होने और अनुबंध की शर्त का पालन नहीं होने पर अनुबंध निरस्त होगा। हालांकि, स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने 30 जुलाई 2021 की तारीख में 4.42 करोड़ की रायल्टी बकाया होने के बाद भी टेंडर निरस्त नहीं किया। उलटे 27 दिसंबर 2021 को नेहरू पार्क में बोर्ड बैठक बुलाई और टेंडर को सात साल के लिए आगे बढ़ाने का फैसला ले लिया। इसके लिए अपने अधिकारों से परे जाकर स्मार्ट सिटी के जिम्मेदार अधिकारियों ने यह फैसला लिया। यह अनुबंध की शर्तों के विपरीत था। 

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महापौर ने अधिकारियों को लेकर यह लिखा था

पत्र मे महापौर ने लिखा था कि अधिकारियों द्वारा सिस्टम की घोर उपेक्षा का यह उदाहरण है। इसके कारण राज्य सरकार को नुकसान पहुंचाया गया। इसके अलावा निजी संस्था के साथ मिलकर साजिश रची गई है। इसलिए इसकी स्पेशल जांच एजेंसी से जांच कराना जरूरी है। यह मप्र शासन के साथ धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है।

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अहमदाबाद की है यह कंपनी

नेप्रा कंपनी अहमदाबाद की है। इसमें संदीप पटेल, अनुराग अग्रवाल, महेश कुमार पटेल, गुरजीत सिंह और राबर्ट कपलन शामिल हैं। इस कंपनी को सूखे कचरा निपटान के लिए टेंडर हुआ था। कंपनी ने निगम से मिली जमीन पर 100 करोड़ से अधिक की लागत से प्लांट लगाया। जहां पर हर दिन औसतन 350 टन सूखे कचरे का निपटान होता है। इसके चलते अब इंदौर में कचरे का ढेर नहीं लगता क्योंकि यह प्लांट हर दिन कचरे का निपटान करता है।

स्मार्ट सिटी बोर्ड ने ये भी लिए फैसले

  • कुक्कुट पालन केंद्र की 68 हजार वर्गमीटर जमीन बिक्री के लिए फिर से टेंडर प्रक्रिया होगी। इस जमीन की कीमत 385 करोड़ से ज्यादा की है।
  • एमओजी लाइन के अन्य ब्लॉक बिक्री को लेकर बोर्ड से मंजूरी हुई। 
  • गोपाल मंदिर के पास पार्किंग के लिए पीपीपी पर प्रस्ताव तैयार होगा।

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