इंदौर कलेक्टर और निगमायुक्त के आदेश पर भी पाकीजा के बेसमेंट पर नहीं हुई कार्रवाई, हो गया खेल

इंदौर में पाकीजा ग्रुप के शोरूम के बेसमेंट के गैरकानूनी उपयोग पर कार्रवाई के बावजूद हाईकोर्ट में समय मांगे जाने से उन्हें राहत मिल गई है। निगम ने नोटिस जारी किया था, लेकिन खुद ही जवाब देने में देरी कर रहा है।

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Sanjay gupta
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इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह और निगमायुक्त शिवम वर्मा द्वारा शहर के ट्रैफिक को सुगम बनाने के लिए चलाई जा रही बेसमेंट क्लियर करने की कार्रवाई में बड़ा खेल हो गया है। छोटों पर तो कार्रवाई हो रही है, लेकिन जब बात बड़े की आई थी। इसमें हाईकोर्ट में ऐसा ड्रामा हुआ कि रसूखदार को बड़ी राहत मिल गई। यह बड़ा रसूखदार और कोई नहीं बल्कि सालों से नक्शे के विपरीत अपना शोरूम चलाने वाला पाकीजा ग्रुप है।

पाकीजा का बेसमेंट गैर कानूनी बना

रीगल तिराहे पर एमजी रोड पर स्थित पाकीजा शोरूम का बेसमेंट पूरी तरह से गैरकानूनी ढंग से व्यावसायिक तौर पर चल रहा है। इसका नक्शा नीचे स्टोर रूम, गोदाम के रूप में पास है, लेकिन यहां पर स्टोर रूम की जगह व्यावसायिक तौर पर शोरूम संचालित हो रहा है। 

सबसे बड़ी बात पाकीजा का नक्शा ओपन टू स्काई तर्ज पर पास है, यानी मल्टी के बीच में बेसमेंट से लेकर ऊपर तक ऐसा निर्माण होना चाहिए, जिससे कि आकाश दिखे, यानी हर फ्लोर दिखे, जैसे कि टीआई माल में नजर आता है। पहले फ्लोर पर पूरा पैक कर दिया गया है, यानी बेसमेंट पूरा कवर हो गया है, जो किसी घटना के हिसाब से जान-माल के लिए काफी घातक है। इस तरह बेसमेंट का स्टोर रूम की जगह व्यावसायिक का गलत उपयोग और बेसमेंट को पूरा कवर करना दो बड़े गैरकानूनी काम पाकीजा ने किए हैं। 

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पाकीजा को गया नोटिस तो यह पहुंचे हाईकोर्ट

जोन 11 में आने वाले पाकीजा शोरूम को बिल्डिंग ऑफिसर ने बेसमेंट के गलत उपयोग को लेकर क्लियर करने का नोटिस जारी किया। इस नोटिस के खिलाफ पाकीजा ग्रुप के मंजूर हुसैन गोरी, रुकसाना, मकसूद हुसैन गोरी, शाहिदा बी, इकबाल हुसैन गोरी, रईसा बी, महबूब हुसैन गोरी, महरून बी ने हाईकोर्ट में याचिका लगा दी। इसमें इंदौर नगर निगमायुक्त और बिल्डिंग आफिसर जोन 11 को पार्टी बनाया गया।

अब हाईकोर्ट में इस तरह हो गया खेला

इस मामले में 24 सितंबर को सुनवाई हुई तो इसमें निगम की ओर से ही जवाब देने के लिए समय मांग लिया गया। इस पर हाईकोर्ट ने समय दे दिया और साथ ही कहा कि तब तक किसी तरह की कार्रवाई याचिकाकर्ता पर नहीं की जाए। इसके बाद अगली सुनवाई 1 अक्टूबर को लगी। एक बार फिर इस मामले में जवाब देने की जगह निगम की ओर से चार सप्ताह का समय मांग लिया गया। इस तरह पूरी कार्रवाई को एक माह के लिए टाल दिया गया। जबकि नोटिस खुद निगम ने ही जारी किया था, लेकिन जवाब देने के लिए निगम ही जवाब मांग रहा है। 

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और भी केस लगे तो निगम ने नहीं मांगा समय

बेसमेंट में नोटिस देने और सील देने को लेकर यह कोई पहला केस नहीं है, हाईकोर्ट में इसके अलावा भी कई केस गए हैं। इसमें एक केस में हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि भू स्वामी और निगम की संयुक्त टीम मौके पर निरीक्षण करे और देखे कि नक्शे के अनुसार उपयोग हो रहा है या नहीं फिर कार्रवाई करे। या फिर हाईकोर्ट ने सील करने की कार्रवाई पर दुकान खोलने के आदेश दिए और अगली सुनवाई लगाई। लेकिन किसी केस में यह नहीं आया कि खुद नगर निगम की ओर से एक नहीं बल्कि दो-दो बार जवाब देने के लिए समय मांग लिया गया हो। समय मांगने के चलते पाकीजा को बड़ी राहत मिल गई, जबकि सालों से उसका धंधा बेसमेंट में गैरकानूनी तरीके से चल रहा है।

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