इंदौर में एडिशनल DCP आलोक शर्मा का आदेश, अफसरों की कॉल रिकॉर्डिंग नहीं करें पुलिसकर्मी

एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा का यह आदेश ऐसे समय पर आया है, जब उनकी कार्यशैली को लेकर पहले से ही नाराजगी का माहौल है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह आदेश किसी संभावित ऑडियो या रिकॉर्डिंग लीक को रोकने के प्रयास जैसा लगता है।

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Vishwanath Singh
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इंदौर पुलिस के जोन-1 के एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा द्वारा जारी एक आदेश इन दिनों पूरे महकमे में चर्चा का केंद्र बन गया है। अपने सर्कल में तैनात सभी पुलिसकर्मियों को उन्होंने सख्त निर्देश दिया है कि वे अपने वरिष्ठ अधिकारियों की बातचीत न रिकॉर्ड करें। वे मोबाइल फोन में ऑटो कॉल रिकॉर्डिंग का फीचर भी बंद रखें। आदेश भले ही दिखने में सामान्य लगे, लेकिन इसके पीछे के कारणों को लेकर पूरे पुलिस सिस्टम में संशय और सवाल गहराने लगे हैं।

अचानक आदेश क्यों? उठे कई सवाल

एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा का यह आदेश ऐसे समय पर आया है, जब उनकी कार्यशैली को लेकर पहले से ही नाराजगी का माहौल है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह आदेश किसी संभावित ऑडियो या रिकॉर्डिंग लीक को रोकने के प्रयास जैसा लगता है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या एडिशनल डीसीपी को यह डर सता रहा है कि उनकी कोई बातचीत या आदेश रिकॉर्ड होकर सार्वजनिक हो सकते हैं?

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यह लिखा है आदेश में 

यह देखा गया है कि हाल ही में कुछ अधीनस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारियों से टेलीफोन अथवा अन्य माध्यमों से की गई बातचीत को बिना पूर्व अनुमति के रिकॉर्ड किया गया है। यह न केवल सेवा अनुशासन के विरुद्ध है, बल्कि मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3(1) (i) (ii) (iii) के भी प्रतिकूल है। उक्त कृत्य न केवल सविनय अनुशासन का उल्लंघन करती है, बल्कि कार्यस्थल पर पारस्परिक विश्वास को भी क्षति पहुँचाती है।

अतः कार्यालय अति. पुलिस उपयुक्त, जोन-01, इंदौर नगरीय में पदस्थ समस्त अधिकारी/कर्मचारियों को निर्देशित किया जाता है कि—

  1. कोई भी अधिकारी/कर्मचारी अपने वरिष्ठ अधिकारी अथवा अन्य अधिकारी से की जा रही किसी भी बातचीत को रिकॉर्ड करने की उनकी स्पष्ट अनुमति के बिना रिकॉर्ड नहीं करेगा।

  2. यह आचरण सम्पूर्ण सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3(1)(i) (ii) (iii) के अंतर्गत कदाचार की श्रेणी में होगा, जिसमें उचित सतर्कता एवं मर्यादा का पालन करना आवश्यक है।
    अधिकारीगण यह सुनिश्चित करें कि उनके अधीनस्थ कर्मचारी उक्त आचरण न करें एवं अपने वरिष्ठ अधिकारियों के प्रति पूर्ण निष्ठा, ईमानदारी एवं सम्मान बनाए रखें।

  3. बिना अनुमति के बातचीत को रिकॉर्ड करना, उपरोक्त नियमों का उल्लंघन माना जाएगा एवं उक्त कृत्य अनुशासनहीनता की श्रेणी में आएगा।

  4. समस्त अधिकारी/कर्मचारीगण अपने मोबाइल के ऑटो रिकॉर्डिंग फीचर को ऑफ रखकर सुनिश्चित करें।

  5. उक्त आदेश का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों/कर्मचारियों के विरुद्ध सख्त अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।

यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होता है एवं समस्त अधीनस्थ अधिकारी/कर्मचारी इसके प्रति ईमानदारी से पालन हेतु बाध्य होंगे।

 

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यह लिखा है आदेश में

 

पहले भी रहे हैं विवादों में

यह पहला मौका नहीं है जब एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा की कार्यशैली सवालों के घेरे में आई हो। इससे पहले वे कई विवादों में फंस चुके हैं। एक मामले में उन्होंने रिंग राउंड ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों की गैरहाजिरी केवल इस कारण दर्ज कर दी थी। क्योंकि वे "अलग-अलग खड़े" थे। इस फैसले को स्टाफ ने तुगलकी करार दिया और विभाग के अंदर ही इस पर नाराजगी जताई गई।

क्या कोई रिकॉर्डिंग है जो उन्हें डरा रही है?

महकमे के भीतर यह चर्चा गर्म है कि क्या वाकई एडिशनल डीसीपी आलोक शर्मा के खिलाफ कोई ऐसी रिकॉर्डिंग मौजूद है जो उन्हें कटघरे में खड़ा कर सकती है? क्या यह आदेश उस रिकॉर्डिंग को दबाने या लीक न होने देने की एक रणनीति है?

डीसीपी लिख चुके हैं सीपी को पत्र

एडिशनल डीसीपी शर्मा की कार्यशैली से परेशान डीसीपी उनको लेकर एक शिकायती पत्र भी सीपी संतोष सिंह को लिख चुके हैं। जिसमें उन्होंने शर्मा की कार्यशैली को लेकर सवाल उठाए थे और उन्हें हटाए जाने को लेकर भी बात कही थी। उसी के बाद से शर्मा के पुराने भी कई मामले सामने आए थे।

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