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इंदौर में खाकी (पुलिस) और वकील विवाद में 15 मार्च रविवार को इंदौर में हाईकोर्ट चौराहे पर जमकर चक्काजाम हुआ। टीआई तुकोगंज जितेंद्र यादव को दौड़ाया गया, मारपीट की गई, वर्दी फाड़ी गई और इसी जोन के एसीपी विनोद दीक्षित भी भीड़ की झूमाझटकी हुई और इसमें उनकी वर्दी के भी स्टार नोच लिए गए। इसके बाद खाकी गुस्से में आई और विरोध स्वरूप डीपी ब्लैक की, लेकिन अब यह गुस्सा खत्म होने लगा है। कार्रवाई शून्य है।
बाकी टीआई विरोध में, खुद यादव ने डीपी हटाई
खाकी के समर्थन में एक-एक कर कई टीआई और जो हाल ही में डीएसपी (एसीपी) में पदोन्नत हुए, उन्होंने अपनी वाट्सअप डीपी ब्लैक कर ली। खुद टीआई तुकोगंज जितेंद्र यादव ने भी ब्लैक डीपी कर विरोध जताया। लेकिन अब खुद यादव ने ही यह डीपी हटाकर अपनी खुद की फोटो लगा ली है। उनका विरोध खत्म हो चुका है। इस पर यादव ने द सूत्र से तो कहा कि उन्होंने डीपी ब्लैक मऊगंज घटना में पुलिस पर हुए हमले और साथी की मौत के कारण किया था।
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एसीपी ने तो डीपी ब्लैक ही नहीं की
उधर एरिया के ही एसीपी विनोद दीक्षित, जो खुद भी भीड़ की झूमाझटकी के शिकार हुए, वर्दी के स्टार फट गए, उन्होंने तो इस मामले में डीपी ब्लैक ही नहीं की और ना ही उनकी एसीपी रैंक के अन्य अधिकारियों ने इंदौर में डीपी ब्लैक की। एसीपी दीक्षित से भी द सूत्र ने बात की तो उन्होंने कहा कि सभी का अपना-अपना तरीका है विरोध का, मैंने मौखिक तौर पर उच्च स्तर पर बता दिया था कि यह गलत हुआ है। बाकी डीपी ब्लैक यह तो स्वैच्छिक था।
मामला गया ठंडे बस्ते में, द सूत्र ने पहले ही बताया था
इस मामले में द सूत्र ने पहले ही बता दिया था कि खाकी भले ही गुस्से में हो, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में जाएगा। वहीं हुआ। इस मामले में सोमवार 17 मार्च को प्रशासनिक जज, जिला व सत्र न्यायाधीश, पुलिस कमिशनर संतोष सिंह, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन व जिला बार के पदाधिकारियों की मीटिंग हुई। इसमें कमेटी बनाकर मामले की जांच करने की बात कही गई। यह भी बात उठी कि जिन्होंने हाईकोर्ट चौराहे पर बवाल किया और खाकी का अपमान किया, इसमें तीन एफआईआर हुई तो जिन्होंने जानबूझकर यह कृत्य किया उनकी पहचान कर कार्रवाई होगी। लेकिन मामला कमेटी बनाकर आगे बढ़ने का बोला गया, और कुल मिलाकर खाकी के अपमान को साइड में रखते हुए मामले को ठंडा कर दिया गया।
कुछ टीआई की डीपी अभी भी ब्लैक
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अभी तक वीडियो से पहचान करने का भी काम नहीं हुआ
इस मामले में अभी तक घटना के कई वीडियो सामने आने के बाद भी पुलिस ने इनके जरिए जानबूझकर गलत कृत्य करने वाले, खाकी के साथ विवाद करने वालों की पहचान की कोशिश नहीं की। इसमें से किसी को चिह्नित नहीं किया गया। जीतू जाटव-कमलेश कालरा कांड में तो पुलिस ने कम से कम सात दिन बाद आरोपियों को पहचान कर गिरफ्तारी शुरू कर दी थी, लेकिन अब जब खुद ही पिट गई तो वह खुद ही कुछ नहीं कर रही है। मजे की बात तो यह है कि टीआई तुकोगंज यादव भी खुद इस घटना में अपने ही थाने में फरियादी बनकर अज्ञात पर एफआईआर करा चुके हैं, लेकिन वह खुद ही जांच को दबा गए हैं। ना जोन के एसीपी ने एक्शन लिया और ना ही डीसीपी व अन्य उच्च अधिकारियों ने इस मामले में आगे बढ़ना उचित समझा।
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