इंदौर में पुलिस की कार्यशैली पर फिर सवाल उठे हैं। इस पर गंभीर आरोप लगे हैं कि संगठित गिरोह की तरह उन्होंने एक युवक को लूटा और उससे 27 लाख रुपए वसूले हैं। इसमें एक सब इंसपैक्टर के साथ ही तीन हैड कांस्टेबल, एक सैनिक और खुद पीड़ित का दोस्त शामिल है। यह सभी आईपीएस एसीपी की जांच में दोषी पाए गए हैं।
यह सभी इस गिरोह में शामिल
फरियादी अनिल पाटीदार के साथ यह अपराध हुआ है। इसमें आरोपी में तिलक नगर थाने के एसआई प्रदीप बर्वे, हेड कांस्टेबल जितेंद्र सेन, हेड कांस्टेबल ( चालक ) नीरज गुर्जर, हेड कांस्टेबल पप्पू परमार और एसीपी खजराना कार्यालय के सैनिक प्रवीण लौट, एवजी कर्मचारी गब्बर, यश वर्मा शामिल है। इन सभी ने फरियादी के साथ ही उसकी पत्नी और साले से भी रूपए वसूले। इस वसूली के लिए उन्हें अपनी कार और गहने तक गिरवी रखकर बाजार से रुपए उठाकर इस गिरोह को देने पड़े।
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यह है पूरा कांड
फरियादी अनिल पाटीदार ने बताया कि उनके एक मित्र योगेश ने सुसाइड के लिए पिस्टल खरीदी, पता चलने पर उससे लेकर स्टोर रूम में अपने पास रख दी। यह जानकारी मेरे मित्र यश को थी। यश ने यह बात पुलिस वालों को बता दी। फिर 20 अक्टूबर 2023 में शाम को जब अनिल दोस्तों के साथ बायपास पर था।
तभी हेड कांस्टेबल जितेंद्र सेन, नीरज गुर्जर और गब्बर वहां पहुंचे। उन्होंने खुद को क्राइम ब्रांच का बताया और गाड़ी की चाबी निकाल ली। तीनों उन्हें खजराना एसीपी कार्यालय ले गए। फिर यह घर पहुंचे और तलाशी ली। पत्नी के साथ भी दुर्व्यवहार किया। इस तलाशी में पुलिस ने घर में रखे 12 लाख 50 हजार रख लिए। मोबाइल और लैपटॉप भी ले गए।
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इसके बाद वसूली के लिए किया परेशान
पिस्टल मिलने के बाद धमकाने और प्रताड़ित करने का काम शुरू किया। पत्नी से डेढ़ लाख रुपए लिए। फिर साले से लिए। हमे कार और गहने गिरवी रखकर पैसे जुटाने पड़े। मामला बाद में पुलिस के पास पहुंचा तो एसीपी परदेशीपुरा आईपीएस नरेंद्र रावत को जांच दी गई। इस जांच में यह सभी दोषी पाए गए हैं।
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