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इंदौर में बन रहे दो 90 डिग्री वाले मुजस्समा (रेलवे ओवर ब्रिज) को लेकर पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह की सफाई और पीडब्ल्यूडी विभाग के झूठ का शुक्रवार को पर्दाफाश हो गया। भोपाल के बाद इंदौर में बन रहे इस मुजस्समा को लेकर द सूत्र ने खुलासा किया था। इसके बाद मंत्री और डिप्टी सीएम राकेश सिंह और विभाग ने सफाई देते हुए इस डिजाइन को सही बताया। लेकिन, अब मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के दौरे में विभाग और मंत्री की यह सफाई धरी रह गई। उधर एक और चौंकाने वाली बात मिली, बाणगंगा ब्रिज की डिजाइन में भी 90 डिग्री का मोड़ मिला। इसमें भी सुधार के लिए कहा गया है।
मौके पर पहुंचे तो डिजाइन देख होश उड़ गए
शुक्रवार दोपहर में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, पीडब्ल्यूडी अफसरों और आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर व इंजीनियरिंग डिजाइन एक्सपर्ट के साथ मौके पर पहुंचे। यहां पर जब मंत्री ने डिजाइन को मौके से मिलान किया तो सभी के होश उड़ गए। इसमें दो 90 डिग्री के मोड़ बन रहे हैं जिनमें से बड़े वाहन मुड़ ही नहीं पाएंगे।
इस पर मंत्री विजयवर्गीय ने मौके पर ही अफसरों को डिजाइन में बदलाव किए जाने के निर्देश दिए। इस मौके पर मंत्री तुलसी सिलावट, विधायक रमेश मेंदोला, मधु वर्मा, पीडब्ल्यूडी की ब्रिज सेक्शन की ईई गुरमीत कौर और नगर निगम के इंजीनियर भी मौजूद थे।
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गूगल मैप से ही बना ली डिजाइन, सर्वे हुआ ही नहीं
एक्सपर्ट अतुल सेठ ने यह भी बताया कि पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने इसकी डिजाइन तैयार करने से पहले कोई ट्रैफिक सर्वे ही नहीं करवाया था। उन्होंने केवल गूगल मैप्स से लोकेशन निकाली और उसके आधार पर ही डिजाइन तैयार करके काम शुरू भी कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, अफसर डिजाइन तैयार करने से पहले मौका मुआयना करने तक नहीं गए। एसी कमरे में बैठकर ही डिजाइन तैयार कर डाली।
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अफसर बोले, जितनी जमीन मिली उसी में बना दी प्लानिंग
इस गड़बड़ी को लेकर जब मंत्री विजयवर्गीय ने अफसरों से सवाल किए तो जवाब मिला कि जितनी जगह मिली थी उसी में प्लानिंग करना थी, तो जो बनी वह दे दी। इस पर मंत्री ने कहा कि ऐसा नहीं चलेगा। अगर और जमीन की जरूरत है तो फिर आप प्रस्ताव बनाकर दें, हम दिलवाएंगे। इंदौर की जनता के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। पोलोग्राउंड और लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन की तरफ व एमआर 4 वाले हिस्से में और जगह लिए जाने को लेकर बात होगी। फिर दोबारा से इसकी डिजाइन तैयार की जाएगी।
डिप्टी सीएम और विभागीय मंत्री ने यह दी थी सफाई
पोलोग्राउंड क्षेत्र में बन रहे रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) को लेकर लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कहा था कि इस परियोजना का कार्य पूरी तरह से स्वीकृत तकनीकी डिजाइन और भारतीय सड़क कांग्रेस (IRC) के मानकों के अनुरूप हो रहा है। यह ओवरब्रिज रेलवे और लोक निर्माण विभाग द्वारा किए गए संयुक्त सर्वेक्षण और डिजाइन प्रक्रिया के तहत तैयार किया गया है। निर्माणाधीन आरओबी की लंबाई 1027.60 मीटर और चौड़ाई 12.00 मीटर रखी गई है। इसका डिज़ाइन ऐसा है कि यह तीन प्रमुख दिशाओं पोलोग्राउंड, लक्ष्मीबाई स्टेशन और भागीरथपुरा की ओर यातायात को जोड़ने का काम करेगा। यह बहु-भुजीय ढांचा शहर में बढ़ते ट्रैफिक लोड को सुव्यवस्थित करने में सहायक होगा।
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वहीं पीडब्ल्यूडी विभाग ने यह दी थी सफाई
रेलवे ओवरब्रिज को लेकर लोक निर्माण विभाग ने आधिकारिक बयान जारी किया था। विभाग ने साफ किया था कि इस ओवरब्रिज का निर्माण स्वीकृत तकनीकी डिजाइन और भारतीय सड़क कांग्रेस (IRC) के मानकों के अनुसार ही किया जा रहा है। मुख्य अभियंता की ओर से स्पष्ट किया गया था कि लोनिवि (लोक निर्माण विभाग) द्वारा जो स्वीकृत रेखांकन है, वह मीडिया में वायरल हो रही स्कीम से काफी अलग और तकनीकी रूप से उपयुक्त है। विभाग ने यह भी बताया कि रेडियस ऑफ कर्वेचर, डिजाइन स्पीड, और सुपर एलीवेशन जैसे तकनीकी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए ही होरिजॉन्टल कर्व का डिजाइन किया गया है। निर्माण कार्य इसी डिज़ाइन के अनुरूप आगे बढ़ाया जा रहा है।
द सूत्र ने लिखा था 90 डिग्री के दो घुमाव हैं
पोलोग्राउंड से लक्ष्मीबाई नगर की तरफ बन रहे रेलवे ओवर ब्रिज को लेकर द सूत्र ने खबर प्रकाशित कर लिखा था कि इस ब्रिज में 90 डिग्री के दो घुमाव हैं जिससे यह भोपाल की ही तरह इंदौर का मुजस्समा बन गया है। इस पर मंत्री विजयवर्गीय के दौरे ने मुहर लगा दी। तकनीकी पहलुओं पर जब मंत्री ने पीडब्ल्यूडी अफसरों से जवाब मांगा तो वे कुछ बोल ही नहीं पाए।
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मौके पर ओवरब्रिज की डिजाइन पर यह मिला
दौरे में शामिल रहे इंजीनियरिंग डिजाइन एक्सपर्ट अतुल सेठ ने बताया कि लक्ष्मीबाई नगर रेलवे ओवर ब्रिज जो कि अंग्रेजी के अक्षर Z आकार का बन रहा है। उसमें 90 डिग्री के दो मोड़ बन रहे हैं। असल में बड़े वाहनों को मोड़ पर घूमने के लिए कम से कम लगभग 18 मीटर का टर्निंग रेडियस चाहिए होता है, जबकि इन मोड़ों में केवल 12 मीटर ही दिया गया है। वह भी तब जबकि सामने की तरफ से वाहन ना आ रहे हों। ऐसे में बड़े वाहन मुड़ते समय ही फंस जाएंगे। यहां पर रोड की चौड़ाई भी लगभग साढ़े 4 मीटर बढ़ानी पड़ेगी।
एमआर 4 पर भुजा उतारने की है जरूरत
मंत्री विजयवर्गीय ने यहां पर अफसरों से यह भी पूछा कि इस ब्रिज की दूसरी भुजा जो कि लक्ष्मीबाई नगर स्टेशन की तरफ उतार रहे हैं तो एक और भुजा उतारने को लेकर क्या प्लानिंग है। ऐसे में अफसरों ने कहा कि एक अन्य भुजा भागीरथपुरा की तरफ उतारने का प्लान है, लेकिन वह डिजाइन में दिखा ही नहीं। ऐसे में एक्सपर्ट अतुल सेठ और आईआईटी के प्रोफेसर प्रियंशु ने सुझाव दिया कि एमआर 4 पर ट्रैफिक का लोड अभी भी है और आने वाले समय में भी रहेगा। ऐसे में इसकी दोनों भुजाओं को एमआर 4 पर ही उतारा जाना ठीक होगा।
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चौंकाने वाली बात: बाणगंगा रेलवे क्रॉसिंग पर भी 90 डिग्री वाली डिजाइन
मंत्री विजयवर्गीय ने इसी दौरे में बाणगंगा रेलवे क्रॉसिंग पर बन रहे ओवर ब्रिज की डिजाइन भी देख ली तो सभी के होश उड़ गए। यहां पर भी अफसरों ने 90 डिग्री के मोड़ वाली डिजाइन तैयार कर रखी थी। एक्सपर्ट सेठ ने बताया कि इस ओवर ब्रिज को लेकर पीडब्ल्यूडी अफसरों ने प्लानिंग ही गलत की है। यहां पर भी उन्होंने ट्रैफिक सर्वे करवाया ही नहीं है। इस ब्रिज का एक हिस्सा गौरी नगर तरफ जा रहा है तो दूसरा हिस्सा सांवेर रोड की तरफ उतारा जा रहा है। यहां पर ही 90 डिग्री का मोड़ बन रहा है।
गौरी नगर तरफ उतार रहे, जहां ट्रैफिक ही नहीं
इस दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि गौरी नगर तरफ इस ब्रिज की एक भुजा को उतारा जा रहा है, जिसका कोई औचित्य ही नहीं है। क्योंकि इस ब्रिज से जाने वाले हैवी ट्रैफिक का बड़ा हिस्सा तो एमआर 4 से इंडस्ट्रियल सेक्टर की तरफ जाता है। वहीं, भविष्य में इसी सड़क से एमआर 10 रोड पर बने आईएसबीटी को भी जोड़ा जा सकेगा। ऐसे में इस ब्रिज की भुजा को भी गौरी नगर की बजाय एमआर 4 पर ही उतारा जाए। इस पर भी मंत्री विजयवर्गीय ने अफसरों को दोबारा से प्लानिंग करने को लेकर कहा है।
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