मप्र बीजेपी सरकार के करीबी कन्फेक्शनरी कारोबारी संजय जैसवानी ( Sanjay Jaiswani ) मुश्किल में आ गए हैं। पुलिस कमिश्नर राकेश गुप्ता ( Rakesh Gupta ) द्वारा इस मामले में पीड़ित उद्योगपति गौरव अहलावत और एसोसिएशन ऑफ इंडस्ट्री मप्र (AIMP) द्वारा की गई जांच की मांग के बाद आईपीएस एसीपी से जांच कराई गई थी। इसमे कई गंभीर बातों का खुलासा हुआ है।
जांच बड़ी एजेंसी से हुई तो मुश्किल में आ जाएंगे यह रसूखदार
वहीं अगर ये मामला बड़ी जांच एजेंसी को गया, तो इसमें मंत्री तुलसीराम सिलावट के बेटे नीतिश सिलावट के साथ ही शराब कारोबारी पिंटू भाटिया, एके सिंह सहित कई बड़े लोग उलझेंगे। पूरा खेल दस हजार करोड़ के आईपीओ लाने का है। इसके लिए जैसवानी ने मुंबई के फायनेंसर सहित कई बड़े लोगों के पैसे इसमें लगाए हैं, ताकि टर्नओवर को 700 करोड़ से बढ़ाकर ढाई हजार करोड़ तक दिखाया जाए। इसके बाद पांच गुना दस हजार करोड़ का आईपीओ लाकर कमाई की जाए।
जैसवानी की कंपनियों में मंत्री सिलावट के बेटे नितिश सिलावट भी डायरेक्टर रह चुके हैं। हालांकि बाद में इस्तीफा दिया था। पिंटू और एके सिंह के संबंध वाली कंपनी खालसा न्यूट्रिशयन में भी मशीन खरीदी-बिक्री के खेल हुए हैं। मशीन के लिए बैंक से भारी लोन और फिर सरकार से सब्सिडी भी ली और इसे बाद में बेचा गया। यही मशीन जैसवानी ग्रुप की एक अन्य कंपनी बाबाश्री से होते हुए जीआरवी बिस्किट में पहुंची थी। इसमें 27 करोड़ का बैंक लोन हुआ।
इस शिकायत की हुई है जांच
मामला सौ करोड़ से ज्यादा की कंपनी और फैक्टरी जीआरवी बिस्किट में हुई आर्थिक धोखाधड़ी का है। इस कंपनी को हथियाने के लिए अहलावत को बंधक बनाया, पीटा और सीए निशिथ नाहर को भी इसी के लिए पीटा गया। इसमें सीए की शिकायत पर जैसवानी पर केस दर्ज हो गया है, लेकिन अभी अहलावत की शिकायत पर नहीं हुआ है।
अहलावत की दो शिकायत है- पहली कंपनी के शेयर होल्डिंग, जो 99 फीसदी थी, उसे 23 फीसदी कर दिया गया। 66 फीसदी शेयर केम्को संचालकों ने हथिया लिए और कंपनी टेकओवर कर ली।
दूसरी शिकायत है कि बंधकर बनाकर छह-सात लोगों ने मारा, लैपटॉप, सीसीटीवी सब उठा ले गए। फैक्टरी से भी सर्वर चुराए और फैक्टरी में जाने पर रोक लगा दी गई, वहां उनके लोग बैठा दिए गए।
जांच में ये पाया गया
जांच में एसीपी कृष्ण लालचंदानी ने पाया कि फैक्टरी से सर्वर व अन्य दस्तावेज उठाकर कार में ले जाते हुए जैसवानी का भतीता क्रिश जैसवानी शामिल है। वहीं अहलावत के घर में कुछ लोग आए हैं और वहां से फिर निकले हैं। हालांकि अंदर मकान के कोई सीसीटीवी नहीं है इसलिए यह साफ नहीं है कि अंदर मारपीट और अन्य घटना हुई या नहीं। पास के सीसीटीवी से साफ है कि जैसवानी के लोग अहलावत के घर में घुसे थे, जो कंपनी के नाम पर है।
इस जांच एजेंसी को दिया जा सकता है मामला
जानकारी मिली है कि यह मामला आर्थिक अनियमितता का है, इसलिए इसे ईओडब्ल्यू जैसी जांच एजेंसी को दिया जा सकता है, जो मनी ट्रेल को देखते हुए विस्तार से जांच कर सके। कुल मिलाकर सामने आया है कि यह घोटाला शेयर होल्डिंग बदलकर कंपनी और फैक्टरी हथियाने का है। ये 100 करोड़ से ज्यादा का मामला है। इसमें घटना से पहले तक 11 सिंतबर के पहले जीआरवी कंपनी में अहलावत के शेयर 99 फीसदी थे, बाकी उनके परिजन के थे।
सीए निशिथ को बंधक बनाकर यह खेल कराने के आरोप है। आरोप है कि शेयर होल्डिंग फर्जी तरीके से बदली गई और कैसवानी के लोगों के पास चली गई, अहलावत की केवल 23 फीसदी रह गई। जैसवानी का कहना है कि सितंबर 2023 के प्रस्ताव के तहत उन्हें बैंक लोन दिया था, वह नहीं चुकाया गया तो यह होल्डिंग बदली गई। वहीं अहलावत का कहना है कि जब वह मास्को में थे, तब यह फर्जी एजीएम में प्रस्ताव पास होना बताया गया, ऐसा कोई प्रस्ताव कभी पास नहीं हुआ।
मास्को एंबेसी से भी आया मदद का आश्वासन
इस मामले में अहलावत ने मास्को रश्यिन एंबेंसी में भी शिकायत कर दी थी। इसमें अब उन्हें औपचारिक तौर पर एंबेसी से पत्र मिल गया है। इसमें पूरी मदद का आश्वासन दिया गया है। इसके लिए मुंबई दफ्तर से संपर्क करने के लिए कहा गया है। इस मामले में संपर्क में रहते हुए पूरी विधिक मदद दिलाने का आश्वासन दिया गया है।
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