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इंदौर की सराफा चौपाटी को लेकर व्यापारियों के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद सोमवार को नगर निगम के दफ्तर तक पहुंच गया। यहां पर सराफा व्यापारी पूरी तरह से अड़ गए और चौपाटी लगाए जाने की बात को लेकर सिरे से इनकार कर दिया। इस पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी उन्हें स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि यह शहर की धरोहर है इसे बनाए रखेंगे। अगर सराफा व्यापारियों ने चौपाटी को ओटलों से हटाया तो फिर वे उसे सड़क पर लगवाने की व्यवस्था करेंगे।
महापौर अड़े, व्यापारी भड़के
इंदौर का सराफा बाजार रात को खाने-पीने के शौकीनों के लिए जन्नत माना जाता है, लेकिन इसी चमक के पीछे विवाद की गहरी दरार है। सोमवार को महापौर पुष्यमित्र भार्गव की अध्यक्षता में निगम मुख्यालय में सराफा व्यापारी एसोसिएशन और चौपाटी संघ के प्रतिनिधियों की बैठक हुई। इस बैठक से सराफा व्यापारियों को समाधान मिलने की उम्मीद थी, लेकिन महापौर के बयान ने माहौल को और गर्मा दिया। महापौर ने दो टूक कहा दिया कि चौपाटी हटेगी नहीं, यथास्थान ही रहेगी। यदि ओटले से दुकानों को हटाया गया तो सड़क दी जाएगी। जिस पर विवाद और बढ़ गया।
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यह है विवाद की जड़
सराफा की रात्रिकालीन चौपाटी में वर्तमान में 45 से ज्यादा तरह के व्यंजनों की लगभग 160 से ज्यादा दुकानें लग रही हैं। इनमें से स्थायी दुकानें तो केवल 80 ही हैं। सराफा चौपाटी के व्यापारी चाहते हैं कि जो बाकी की दुकानें यहां पर लगने लगी हैं वे हट जाएं। इससे चौपाटी में बड़ने वाली अनावश्यक भीड़ कम हो जाएगी। वहीं, सराफा के सोने-चांदी के व्यापारियों का कहना है कि वे शहर के अन्य सराफा बाजारों के जैसे ही यहां पर भी देर रात तक दुकान खोलकर अपना काम-काज करना चाहते हैं, लेकिन समस्या यह है कि रात को 9 बजते ही चौपाटी वाले अपना सामान लेकर यहां पहुंच जाते हैं। ऐसे में ग्राहकी होने के बावजूद उन्हें दुकानें बंद करना पड़ती है।
परंपरागत दुकानों को ही मिलेगी अनुमति
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने साफ किया कि पारम्परिक व्यंजनों की दुकानों को ही अनुमति दी जाएगी। दूसरी ओर सराफा व्यापारी संघ इस फैसले से सहमत नहीं हुआ। उनका कहना है कि ग्राहकों की सुरक्षा और व्यवसायिक असुविधाओं का स्थायी हल केवल चौपाटी को शिफ्ट करने से ही संभव है। व्यापारियों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो चरणबद्ध आंदोलन होगा। जरूरत पड़ी तो मामला अदालत तक भी ले जाया जाएगा। इतना ही नहीं, सराफा व्यापारियों ने अपने ओटले खाली करवाने की भी बात तक कह दी।
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व्यापारी बोले, चौपाटी कोई धरोहर नहीं
व्यापारियों ने भी कहा कि सराफा चौपाटी कोई धरोहर नहीं है। पहले स्थाई खान-पान की दुकानें लगती थीं। चौपाटी की स्थिति बाद में बनी। इसलिए इसे धरोहर कैसे बताया जा सकता है। सराफा चौपाटी विवाद का हल फिलहाल दूर दिखाई दे रहा है। क्योंकि निगम अपनी जगह अड़ा है और व्यापारी अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं।
यह कहा महापौर ने
इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि सराफा चौपाटी केवल स्वाद का केंद्र ही नहीं, बल्कि इंदौर की परंपरा और धरोहर है। इंदौर को स्वाद की राजधानीष् बनाने में सराफा चौपाटी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। देश और दुनिया से आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा, अनुशासन और परंपरा को बनाए रखने के लिए नगर निगम पूरी व्यवस्था सुनिश्चित करेगा।
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बैठक में ये लोग हुए शामिल
महापौर पुष्पमित्र भार्गव द्वारा महापौर सभाकक्ष में सराफा व्यापारी एसोसिएशन एवं सराफा चौपाटी एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस अवसर पर आयुक्त शिवम वर्मा, महापौर परिषद सदस्य निरंजन सिंह चौहान, अपर आयुक्त रोहित सिसोनिया, अपर आयुक्त अभय राजनगांवकर सहित सराफा व्यापारी एसोसिएशन एवं सराफा चौपाटी एसोसिएशन के पदाधिकारी एवं अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे।
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