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मध्य प्रदेश सरकार विधायकों के वेतन और भत्तों में 45 फीसदी सैलरी वृद्धि करने की योजना बना रही है। इस प्रस्ताव को विधानसभा की सदस्य सुविधा समिति ने सिफारिश की है, जिसके तहत विधायकों का वेतन अब 1.60 लाख रुपए प्रति माह हो जाएगा। इसके अलावा, पूर्व विधायकों की पेंशन में भी बढ़ोतरी की सिफारिश की गई है, जो वर्तमान में 35 हजार रुपए है और जिसे बढ़ाकर 70 हजार रुपए किया जाएगा।
वेतन-भत्ते की सिफारिश
मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने इस प्रस्ताव को राज्य सरकार (मोहन सरकार) को भेज दिया है। अब एक तीन सदस्यीय समिति की ओर से इस पर विचार किया जाएगा। यह समिति वित्त मंत्री के नेतृत्व में बनेगी, इसमें बीजेपी और कांग्रेस के एक-एक विधायक सदस्य होंगे। समिति के अध्यक्ष ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह सिफारिशें विचाराधीन हैं और सरकार इस पर जल्द निर्णय ले सकती है।
विधायकों के वेतन वृद्धि वाली खबर पर एक नजर
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अभी क्या है मौजूदा हाल
वर्तमान में मध्यप्रदेश के विधायकों को 30 हजार रुपए मासिक वेतन 35 हजार रुपए निर्वाचन भत्ता और अन्य भत्ते मिलाकर कुल 1.10 लाख रुपए प्राप्त होते हैं। अब इस राशि में 50 हजार रुपए की वृद्धि करने की सिफारिश की गई है, जिससे कुल वेतन 1.60 लाख रुपए प्रति माह हो जाएगा। इसके अलावा पूर्व विधायकों के लिए पेंशन राशि को 35 हजार रुपए से बढ़ाकर 70 हजार रुपए करने का प्रस्ताव भी है।
अन्य सुविधाओं पर बात जारी
इसके साथ ही विधायकों को कुछ अन्य सुविधाओं का भी प्रस्ताव दिया गया है, जैसे कि विधायक निधि बढ़ाने की सिफारिश और उनके लिए आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति। इसके अलावा विधानसभा भवन में बैठक के दौरान विधायक को मेडिकल अलाउंस और दैनिक भत्ता भी प्रदान किया जाता है।
सरकार पर बढ़ेगा भार
इस प्रस्ताव के अनुसार, वेतन-भत्तों में 50 हजार रुपए की वृद्धि से राज्य सरकार के खजाने पर 99 लाख रुपए का अतिरिक्त बोझ आएगा। मध्यप्रदेश में कुल 230 विधायक हैं, जिनमें से 31 मंत्री हैं। इन सभी का वेतन-भत्ता विधानसभा की ओर से दिया जाता है।
बीजेपी-कांग्रेस विधायकों का मत
बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के विधायक इस प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं। बीजेपी विधायक विश्वनाथ पटेल का कहना है कि सरकार को विधायकों के वेतन-भत्ते बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि उनके खर्चे बढ़ गए हैं। कांग्रेस विधायक सोहन बाल्मीकी ने भी इस मुद्दे को उठाया है और वेतन के साथ विधायक निधि बढ़ाने की मांग की है। उनका मानना है कि इस महंगाई के दौर में वर्तमान वेतन से विधायक अपने क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए पर्याप्त धन जुटाने में असमर्थ हैं। विधायकों के वेतन-भत्तों में प्रस्तावित बढ़ोतरी से राज्य के खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा।
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