/sootr/media/media_files/2025/09/01/sourabh573-2-2025-09-01-17-22-40.jpg)
इंदौर की सराफा चौपाटी को लेकर लंबे समय से चला आ रहा विवाद अब फिलहाल ठंडा हो चुका है। सोमवार को महापौर पुष्यमित्र भार्गव के साथ हुई बैठक में जो हुआ वह तो कुछ दिन पहले भी बैठक में हो चुका था। इस बैठक में ऐसा कुछ भी नया नहीं हुआ सिवाय इसके कि पुरानी बैठक में सोना चांदी के व्यापारी चौपाटी नहीं लगने देने की बात पर अड़े थे।
महापौर ने स्पष्ट कहा था कि चौपाटी तो लगेगी ही। व्यापारी ओटले से हटाएंगे तो हम सड़क पर लगवाएंगे। इस बैठक में सराफा व्यापारियों के चौपाटी लगाए जाने को लेकर सुर ही बदल गए। वे सभी चौपाटी के पक्ष में खड़े नजर आए। हाल ही में चंदे की बात और राजनीतिक रूप से बुरी तरह पिटे व्यापारियों के सामने वैसे भी निगम के सामने नतमस्तक होकर सारी शर्तें मानने के सिवाय कोई और विकल्प बचा ही नहीं था।
ये लोग रहेंगे कमेटी में
सराफा की रात्रिकालीन चौपाटी को अब पारंपरिक रूप में नए सिरे से शुरू किया जाएगा। इसके लिए महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने 9 सदस्यीय कमेटी बनाने के निर्देश दिए हैं। यह कमेटी अगले लगभग 15 दिन में तैयार हो जाएगी।
इसमें सराफा के सोना चांदी के व्यापारी, सराफा चाट चौपाटी के व्यापारी और नगर निगम की तरफ से भी 3 सदस्य रहेंगे और खुद महापौर इसे देखेंगे। इस चौपाटी को पूरी तरह से पारंपरिक रुप में शुरू होने में लगभग 15 दिन और लगेंगे। जो कि लगभग श्राद्ध पक्ष के बाद ही संभव माना जा रहा है।
ऐसे तय होगी नए स्वरूप की चौपाटी
यह कमेटी ना केवल यह तय करेगी कि चौपाटी में कितनी दुकानें लगेंगी। साथ ही यह भी तय करेगी कि वे दुकानें कौनसी होंगी। वर्तमान में यहां पर पारंपरिक के साथ ही लगभग 200 दुकानें लग रही हैं। जिनमें पारंपरिक व्यंजन के अलावा चायनीज, कॉन्टीनेंटल, साऊथ इंडियन, फास्ट फूड आदि भी शामिल हैं।
ये लोग हैं दोनों एसोसिएशन में
सराफा में दो एसोसिएशन हैं। जिनके सदस्य यहां कामकाज कर रहे हैं। इसमें से एक सराफा के सोना चांदी जवाहरात एसोसिएशन और दूसरी सराफा रात्रिकालीन चाट चौपाटी एसोसिएशन है। इंदौर चांदी-सोना जवाहरात व्यापारी एसोसिएशन में अध्यक्ष हुकुम सोनी, उपाध्यक्ष सुशील गुप्ता, मंत्री बसंत सोनी, सह-मंत्री ईश्वर जैन, कोषाध्यक्ष अजय लाहोटी और प्रचार मंत्री कोमल कोठाना हैं। वहीं, चौपाटी एसोसिएशन में अध्यक्ष राम गुप्ता, उपाध्यक्ष बंटी यादव, मंत्री नटवर नीमा आदि हैं।
महापौर बोले, संवाद और समन्वय से मिलेगा नया स्वरूप
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा, सराफा चौपाटी सिर्फ इंदौर की नहीं, पूरे देश की पहचान है। व्यापारियों के सहयोग से शहर ने अलग छवि बनाई है। शहरहित में लिए गए उनके निर्णय के लिए मैं पूरे इंदौर की ओर से आभार व्यक्त करता हूं। इंदौर संवाद और समन्वय का शहर है। इसी समन्वय से चौपाटी को नया, सुरक्षित और अनुशासित रूप दिया जाएगा।
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/09/01/sarafa-new-2025-09-01-17-32-07.jpg)
यह कहना है दोनों अध्यक्षों का
सोना चांदी जवाहरात एसोसिएशन के अध्यक्ष हुकुम सोनी का कहना है कि सराफा के व्यापारी सिर्फ व्यापार करना जानते हैं। वे अगर सड़क पर उतरकर कोर्ट–कचहरी करेंगे तो इससे इंदौर की साख खराब होगी। चौपाटी अब रात को 10 बजे बाद से लगेगी। उसको लेकर नगर निगम और हमारे पदाधिकारियों की कमेटी बनेगी जो कि उसका स्वरूप तय करेगी। चंदे जैसे कोई बात नहीं है। यह तो किसी ने झूठी अफवाह फैलाई है। वहीं, चौपाटी के अध्यक्ष राम गुप्ता का कहना है कि चंदे की जो बात सामने आई है वह पूरी तरह से झूठी है। मेरे स्टेटस पर जो पिछले दिनों एक मैसेज लगा था वह मेरा व्यक्तिगत था। उसका चौपाटी से कोई लेना–देना नहीं था।
चौपाटी के संचालन समय पर भी बनेगा खाका
बैठक में सुझाव दिया गया कि चौपाटी का संचालन समय सोना-चांदी व्यापार के समय के अनुरूप तय किया जाए। साथ ही, फायर सेफ्टी और पारंपरिक दुकानों के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए आगे की रणनीति बनेगी।
क्या इसलिए बैकफुट पर आए व्यापारी
चंदे की बात: सराफा चौपाटी को यथवत लगाए जाने को लेकर हालही में चंदा इकट्ठा किए जाने की बात भी सामने आई थी। इसको लेकर कहा जा रहा था कि चौपाटी के अध्यक्ष राम गुप्ता ने अपने स्टेटस पर 51 हजार रुपए चंदा इकट्ठा करके उसे दिए जाने संबंधी बात लिखी थी। जिसे बाद में उन्हाेंने नकार दिया था।
विधायक का वैसा सपोर्ट नहीं मिला: सराफा चौपाटी पर विवाद शुरू होने के समय क्षेत्रीय विधायक मालिनी गौड़ ने सोना चांदी व्यापारियों का सपोर्ट किया था। यह कहा भी था कि मेरा क्षेत्र है मेरी ही चलेगी। ऐसा बताया जा रहा है कि उनके बयान के बाद से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई थी। हांलाकि व्यापारियों को जो लग रहा था कि विधयाक एकदम खुलकर उनके पक्ष में आएंगी वैसा नहीं हुआ। इसके कारण से व्यापारियों का हौंसला कमजोर पड़ गया था।
ओटलाें की हो चुकी थी नपती: सोना चांदी के व्यापारियों के बैकफुट पर आने को लेकर एक बात और कही जा रही है कि पिछले दिनों जब व्यापारियाें ने बैठक कर महापौर का विरोध किया था तो निगम की तरफ से सराफा के ओटलों की मार्किंग करवा दी गई थी। सूत्रों के मुताबिक यह एक तरफ से नगर निगम का व्यापारियों को मैसेज था कि अगर वे चौपाटी को हटाने की बात पर अड़े रहे तो फिर यह कार्रवाई भी संभावित है।
मंत्री विजयवर्गीय ने भी लौटा दिया: क्षेत्रीय विधायक का पर्याप्त सपोर्ट ना मिलने पर सोने चांदी के व्यापारी मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के पास पहुंचे थे। तब मंत्री विजयवर्गीय ने उन्हें यह कहते हुए उल्टे पैर लौटा दिया था कि अब इस मामले में कुछ बचा नहीं है। आप लोग बहुत आगे बढ़ गए हैं, अब इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं, महापौर को बोलकर मीटिंग करा सकते हैं। इससे भी व्यापारी हताश हो गए थे।
जेवर की चमक पर भारी पड़ा जायका
सराफा चौपाटी को लगाए जाने का यह पूरा विवाद भले ही समाप्त हो गया हो, लेकिन इससे जुड़े व्यापारी स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। पिछले दिनों इस चौपाटी को हटाने को लेकर सराफा के सोने–चांदी के व्यापारियों ने आंदोलन शुरू किया था। उनके आंदोलन में काफी सारे व्यापारिक संगठन जुड़ गए थे। उन्होंने भी इस चौपाटी को यहां से हटवाने की मांग रखी थी। इसमें सोना चांदी व्यापारियों के बैकफुट पर आते ही साथ आए संगठनों में निराशा व्याप्त है। इसको लेकर रेडिमेट कपड़ा व्यापारी संगठन की तरफ से एक मैसेज भी प्रसारित किया गया है।
बाकी व्यापारियों ने यह लिखा है मैसेज में
एक पखवाड़े से सराफा सोना चांदी व्यापारी बड़े तीखे ओर उग्रता के साथ चौपाटी हटवाने की बात पर अड़े खड़े लड़ रहे थे। राजनीतिक दम खम्भ के अखाड़े से होकर गुजरे सराफा सोना चांदी व्यापारी अपने प्रतिष्ठा की जंग हार गए। माना यह जा रहा है कि सराफा चौपाटी को लगवाने के लिए शक्ति सूत्र मजबूती से काम कर रहे थे, जिसका नतीजा अनमोल जौहरियों का पक्ष अनसुना होकर रहा और चौपाटी का जायका बरकरार रखा जाएगा। निर्णय के बाद सराफा सोना चांदी जवाहरात अपनी चमक कमजोर होने की बात से चिंतित हैं।
चौपाटी को यथावत रखने का यह है बड़ा कारण
सराफा चौपाटी को यथावत रखने को लेकर एक जो बड़ा कारण सामने आ रहा है वह कुछ और ही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं अपने भाषण में इंदौर की सराफा चौपाटी की तरीफ कर चुके हैं। पिछले दिनों राजबाड़ा पर लगी मोहन यादव सरकार की केबिनेट ने भी सराफा के व्यंजनों का लुत्फ उठाया था। ऐसे में अगर चौपाटी को हटाया जाता तो फिर राष्ट्रीय स्तर पर इंदौर की किरकिरी हो जाती। इसके कारण महापौर और पूरी मशीनरी इसको बचाने के लिए लग गई। वहीं, पिछले दिनों एमआईसी में भी इसे सुव्यवस्थित रखने को लेकर तय हो चुका था।
मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें