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INDORE. भारत निर्वाचन आयोग ने आनन-फानन में SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन- विशेष गहन पुनरीक्षण) के आदेश दिए थे। वहीं अब इससे पूरे मध्य प्रदेश में हड़कंप की स्थिति है। फार्म यानी प्रपत्र छापने के लिए इंदौर के इकलौते ठेकेदार के पास काम है।
फार्म छपकर ही नहीं मिले। इसके चलते फार्म मतदाताओं तक बंटे ही नहीं। उधर, चुनाव आयोग लगातार मॉनिटरिंग कर हिसाब मांग रहा है। इंदौर में 28 लाख मतदाता हैं। वहीं, हर मतदाता को दो कॉपी मिलना है। ऐसे में 56 लाख से ज्यादा फार्म का वितरण मतदाताओं को होना है।
ऊपर से नीचे तक पहुंचा दबाव
हालत यह है कि अब सभी एक दूसरे पर दबाव बना रहे हैं। इसमें आयोग का कलेक्टर पर, कलेक्टर का चुनाव अधिकारी अपर कलेक्टर पर और अपर कलेक्टर काम के लिए लगातार एसडीएम को निर्देश दे रहे हैं। उधर, एसडीएम भी बीएलओ से पल-पल का हिसाब मांग रहे हैं। वहीं, बीएलओ के पास फार्म तो पहुंचे तभी तो वह मतदाता के पास जाएंगे।
वहीं बीएलओ की भी मैदानी समस्या है कि कई बार चक्कर के बाद भी मतदाता नहीं मिलते हैं। अधिकांश सुबह या फिर रात को मिलते हैं। वहीं अधिकांश बीएलओ महिलाएं हैं जो रात को काम करने की स्थिति में नहीं हैं।
समस्या की जड़ सिंगल वेंडर
वहीं, पूरी समस्या की जड़ चुनाव आयोग के जरिए सिंगल वेंडर करना और अचानक SIR लागू करना रही है। प्रपत्र जो छपकर 4 नवंबर के पहले बीएलओ को मिलना थे। एक दिन पहले ही करीब 90 फीसदी फार्म छपकर मिले हैं। जो अब बीएलओ को दिए जा रहे हैं।
बीएलओ इन्हें क्रम से जमाएगा और फिर मतदाताओं के पास लेकर जाएगा। बीएलओ दिन-रात लगे हुए हैं। वहीं, उन्होंने जिले में 20 फीसदी फार्म मतदाताओं को पहुंचा दिए हैं।
वहीं, आयोग को अभी तक 50 फीसदी से ज्यादा काम चाहिए, जो फार्म की लेटलतीफी के कारण हुआ ही नहीं है। आयोग में कोई सुनने को तैयार नहीं कि सबकुछ उनके ही वेंडर के जरिए फार्म नहीं देने के चलते हुआ है।
इंदौर तो ठीक, बाकी जिलों में तो हालत बेहद खराब
हालत यह है कि इंदौर में तो प्रिंटिंग मशीन है। यहां कलेक्टर ने एसडीएम को फ्री हैंड दिया है कि जो प्रिंटिंग मशीन मिले, वहां यह फार्म प्रिंट करा लो। भुगतान ठेका लेने वाला वेंडर अतुल मेहता करेगा।
वहीं, बाकी जगह हालत खराब है। हालत यह है कि कई जिलों के कलेक्टर ने अपने अधिकारी ही मेहता की फर्म पर पहुंचा दिए हैं, कि यहीं रहो और रोज अपडेट लेकर अपने फार्म छपवाने की व्यवस्था करो। कई जिलों के अधिकारी इंदौर में ही रुके हुए हैं।
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