MP में SIR उलझा, इंदौर के इकलौते ठेकेदार को छापने हैं 11 करोड़ फार्म, पेटी कांट्रैक्ट के भरोसे काम, उलझे अधिकारी

मध्यप्रदेश में SIR प्रक्रिया फंस गई है। इंदौर के एकमात्र ठेकेदार को 11 करोड़ फार्म छापने हैं। कम दरों और पेटी कांट्रैक्ट के चलते काम में देरी हो रही है। इससे चुनाव अधिकारियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

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Sanjay Gupta
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INDORE.मध्यप्रदेश में भारत निर्वाचन आयोग का मतदाता सूची सही करने के लिए 4 नवंबर से एसआईआर शुरू हुआ। वहीं अब यह प्रक्रिया बुरी तरह फंस गई है। पूरे मप्र में इंदौर के इकलौते वेंडर (ठेकेदार) के पास इसके लिए सबसे अहम प्रपत्र (फार्म) छापने का ठेका है।

मप्र में मतदाताओं की संख्या 5 करोड़ 70 लाख से ज्यादा है। प्रति मतदाता 2 फार्म छापने हैं, यानी 11 करोड़ से ज्यादा। हर जिले के चुनाव अधिकारी इन फार्म का इंतजार कर रहे हैं।

हालत यह है कि प्रदेशभर के जिला कलेक्टर इन फार्म के लिए इंदौर में अपने अधिकारी भेज रहे हैं, ताकि वह वेंडर से बात करके काम में तेजी ला सकें। SIR का काम 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक ही होना है।

फार्म छापने की शुरुआत 3 नवंबर से हुई

इंदौर के ठेकेदार अतुल मेहता को फॉर्म छापकर देने का ठेका आयोग से मिला है। वहीं, फार्म 3 नवंबर से ही छपना शुरू हुए, जबकि 4 नवंबर से बीएलओ के जरिए घर-घर जाकर सर्वे करने का काम शुरू होना था।

इसके लिए ठेकेदार ने हर जिले में पेटी कांट्रैक्ट पर काम दिया है। साथ ही, वेंडर भी नियुक्त किए हैं, लेकिन फार्म बहुत अधिक संख्या में चाहिए। इसके चलते जमकर तंगी हो गई है। पूरे प्रदेश के चुनाव अधिकारी हलकान हो चुके हैं।

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पेटी कांट्रैक्ट में भी कम दरों का झंझट

सूत्रों के अनुसार, मेहता को यह ठेका प्रति फार्म एक रुपए 49 पैसे में मिला है। वही, उनके जरिए पेटी कांट्रैक्ट को बहुत ही सस्ती दर में दिया जा रहा है, जो 40-50 पैसे प्रति फार्म है।

इसके चलते पेटी कांट्रैक्ट में सुस्ती दिखाई दे रही है। पेज यानी फार्म की गुणवत्ता भी गिर गई है। ऐसे में पूरे प्रदेश में इन फार्म की मारामारी हो गई है।

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हर फार्म क्यूआर कोड वाला, मतदाता विशेष के लिए

इसमें एक और समस्या यह है कि ऐसा नहीं है कि कोई भी फार्म किसी भी बीएलओ और मतदाता के पास चला जाएगा। हर फार्म पर क्यूआर कोड है, यानी हर मतदाता विशेष के लिए स्पेशिफिक फार्म है, वह दूसरे के पास नहीं जा सकता है।

चुनाव अधिकारियों ने हर बूथ केंद्र के हिसाब से यह मतदाता सूची पहले अपलोड की है। साथ ही, इसे छपवाने के लिए दी है। इसमें फार्म आधे-अधूरे छपने और ऊपर-नीचे होने पर बीएलओ को भी समस्या हो रही है। क्योंकि, इन्हें जमाकर हर मतदाता के पास पहुंचाना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए इन फार्म को क्रम से छापना और बूथ के हिसाब से बीएलओ को देना खासा अहम है। इसके बिना प्रपत्र और मतदाता का मेल ही नहीं होगा।

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दिन-रात काम चल रहा है - ठेकेदार

अकेला वेंडर हूं लेकिन मप्र में 600-700 मशीनें लगी हुई हैं। हर जिले में काम तेजी से चल रहा है। एक-एक बूथ का प्रिंट देना होता है, मिल जाएगा तो समस्या हो जाएगी। कुल 11 करोड़ 20 लाख प्रिंट करना है। दिन-रात काम कर रहे हैं। हजारों वेंडर काम कर रहे हैं। कोई जादू की झड़ी नहीं है, अचानक हो जाएं।

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