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Photograph: (the sootr)
भारत में चुनावों से जुड़ी प्रक्रिया अक्सर राजनीतिक माहौल को प्रभावित करती है। इसी तरह, बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) को लेकर तकरार जारी है। चुनाव आयोग ने बिहार में इस अभियान की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अपडेट करना और दोषपूर्ण प्रविष्टियों को हटाना है। हालांकि, विपक्षी दलों ने इस कदम का विरोध किया है, और इसे राजनीतिक द्वेष के रूप में देखा है।
इस बीच, खबरें आ रही हैं कि भारतीय चुनाव आयोग अब इस SIR अभियान को पूरे देश में लागू करने पर विचार कर रहा है। इसके लिए एक महत्वपूर्ण बैठक 10 सितंबर को दिल्ली में आयोजित की जाएगी, जिसमें सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) और वरिष्ठ चुनाव अधिकारियों की उपस्थिति होगी।
एसआईआर को लेकर महत्वपूर्ण बैठक दस को
चुनाव आयोग की बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में सभी राज्य के चुनाव आयुक्त और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे। इस बैठक में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की जाएगी और यह निर्णय लिया जाएगा कि इसे पूरे देश में किस तरह से लागू किया जाए।
10 सितंबर की बैठक के मुख्य बिंदु:
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार द्वारा बैठक की अध्यक्षता।
सभी राज्यों के चुनाव आयुक्तों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति।
देशभर में SIR के विस्तार पर विचार।
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बिहार में SIR का हो रहा है विरोध
बिहार में एसआईआर अभियान ने एक राजनीतिक मोड़ ले लिया है। विशेष रूप से विपक्षी दलों ने इसे जनता के अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए इसे चुनावी धोखाधड़ी से जोड़ दिया है। राजद, कांग्रेस, भाकपा, माकपा, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) सहित कई प्रमुख विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची से बड़ी संख्या में नाम हटाए जाने पर विरोध जताया है।
विरोध के मुख्य कारण:
मतदाता सूची से नाम हटाना: विपक्षी दलों का कहना है कि मतदाता सूची से बड़ी संख्या में नाम हटाए गए हैं, जिससे चुनाव में निष्पक्षता पर सवाल उठता है।
राजनीतिक फायदे के आरोप: विपक्ष का आरोप है कि यह कदम सत्ता पक्ष को फायदा पहुंचाने के लिए उठाया गया है।
2026 में होने वाले चुनाव और SIR की भूमिका
अगले साल पांच राज्यों—पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल, और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में चुनाव आयोग के लिए यह कदम महत्वपूर्ण हो सकता है क्योंकि यह सुनिश्चित करेगा कि मतदाता सूची सही और निष्पक्ष हो। हालांकि, विभिन्न राजनीतिक दलों के विरोध के बावजूद, चुनाव आयोग इसे पूरे देश में लागू करने का विचार कर रहा है, जिससे राजनीतिक लड़ाई और भी तेज हो सकती है।
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु का विरोध:
ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल) और एम.के. स्टालिन (तमिलनाडु) जैसे नेताओं ने एसआईआर के खिलाफ आवाज उठाई है। इनका कहना है कि इस कदम से उनके राज्य के नागरिकों का लोकतांत्रिक अधिकार प्रभावित हो सकता है।
बीजेपी शासित राज्यों का समर्थन:
बीजेपी शासित राज्यों ने चुनाव आयोग के इस कदम का स्वागत किया है, यह मानते हुए कि इससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता बढ़ेगी।
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क्या है विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR)?
विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) एक ऐसा प्रक्रिया है जिसके तहत मतदाता सूची की जांच की जाती है और उसमें सुधार किया जाता है। इसमें मतदाता की जानकारी, जैसे नाम, पता, जन्म तिथि, आदि को अपडेट किया जाता है और जो लोग अवैध या अयोग्य हैं, उनके नाम सूची से हटा दिए जाते हैं।
SIR की प्रमुख विशेषताएँ:
मतदाता डेटा का अपडेट: यह सुनिश्चित करता है कि केवल योग्य नागरिक ही वोट देने के पात्र हों।
किसी भी प्रकार की धांधली को रोकना: चुनाव में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया जाता है।
FAQ
विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) क्या है?SIR, यानी विशेष गहन पुनरीक्षण, चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया है। इसमें नाम, पते, और अन्य जानकारी की सहीता की जांच की जाती है और अवैध या अयोग्य नामों को हटा दिया जाता है।चुनाव आयोग ने SIR अभियान क्यों शुरू किया है?चुनाव आयोग ने SIR अभियान शुरू किया है ताकि चुनाव में पारदर्शिता बनी रहे और मतदाता सूची की सटीकता सुनिश्चित हो सके। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि केवल योग्य नागरिक ही वोट दें।बिहार में चल रहे SIR अभियान पर विपक्ष का विरोध क्यों है?विपक्षी दलों का कहना है कि बिहार में चल रहे SIR अभियान में कई मतदाताओं के नाम बिना किसी कारण के हटा दिए गए हैं। वे इसे राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश मानते हैं और चुनाव आयोग के इस कदम का विरोध कर रहे हैं।thesootr links
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