बस्तर के स्कूलों में ठप हुई पढ़ाई, 3000 से अधिक शिक्षक SIR में व्यस्त, बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी पर संकट के बादल

बस्तर में एसआईआर प्रक्रिया के कारण स्कूलों में पढ़ाई ठप हो गई है। 12 विधानसभा सीटों पर 3 हजार से ज्यादा शिक्षक मतदाता पुनरीक्षण कार्य में लगे हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई और आगामी परीक्षाएं प्रभावित हो रही हैं।

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Sanjay Dhiman
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CG Education crises

Photograph: (the sootr)

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BASTAR. छत्तीसगढ़केबस्तर क्षेत्र की 12 विधानसभाओं के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह से ठप हो गई है। यहां के तीन हजार से अधिक शिक्षक चुनाव आयोग की एसआईआर (SIR) प्रक्रिया में लगे हुए हैं। स्कूलों में शिक्षकों के नहीं पहुंचने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सबसे अधिक नुकसान बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी में लगे बच्चों को हो रहा है।  

एसआईआर प्रक्रिया का प्रभाव

SIR प्रक्रिया में शिक्षकों को चुनावी कार्यों के लिए BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) बनाया गया है। पहले भी चुनावी कार्यों में शिक्षकों को बीएलओ बनाया जाता था, लेकिन इस बार यह काम बडे़ स्तर पर हो रह है। इसबार अधिक संख्या में शिक्षकों को इस काम में लगाया गया है।

एसआईआर के कारण बस्तर के कई स्कूलों में ताला तक डल गया है। कारण कई स्कूलों में एक या दो शिक्षक ही तैनात है, जिन्हें बीएलओ बना दिया गया है। कई स्कूलों में केवल एक ही शिक्षक बचा है जो अपनी कक्षा चला रहा है। 

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बोर्ड परीक्षा की तैयारी पर SIR असर

शिक्षकों का साफ कहना है कि एसआईआर (SIR) ड्यूटी के कारण बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। सबसे बड़ी मुश्किल बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों को हो रही है। दिसंबर में होने वाली छह माही परीक्षाओं की तैयारी कर रहे बच्चे परेशान हो रहे है।

स्कूलों में महत्वपूर्ण विषय पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं हैं। इस वजह से छात्रों की बोर्ड परीक्षा की तैयारी पर असर हो रहा है। 

इस चार्ट से समझें शिक्षकों की ड्यूटी 

बस्तर संभाग के अलग-अलग जिलों में शिक्षकों की ड्यूटी की संख्या दिखाती है कि यह शिक्षा संकट कितना गहरा है।

जिला (District)शिक्षकों की संख्या (Number of Teachers)
बस्तर (Bastar)730
कांकेर (Kanker)638
दंतेवाड़ा (Dantewada)430
बीजापुर (Bijapur)246
सुकमा (Sukma)330
कोण्डागांव (Kondagaon)387
नारायणपुर (Narayanpur)367
कुल (Total)3128

एसआईआर (SIR) प्रक्रिया क्या होती है?

विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) चुनाव आयोग का एक बड़ा अभियान है, इसमे वोटर लिस्ट (मतदाता सूची) को नए नियमों से अपडेट करना है। 

इस प्रक्रिया में क्या होता है:

  • बूथ लेवल अधिकारी (BLO), जो  शिक्षक होते हैं, घर-घर जाते हैं।

  • वे लोगों से मतदान से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करते हैं और फॉर्म (गणना प्रपत्र) भरवाते हैं।

यह क्यों जरूरी है:

  • इसका सबसे बड़ा मकसद यह पक्का करना है कि वोट देने के लायक हर व्यक्ति का नाम लिस्ट में जुड़ जाए।

  • जो लोग जो शहर छोड़ गए या जिनका निधन हो गया उनके नाम हटा दिए जाएं।

यह प्रक्रिया 22 साल बाद इतने बड़े पैमाने पर हो रही है, इसलिए यह बहुत जरूरी है। लेकिन इस वजह से शिक्षकों पर बीएलओ (BLO) के काम का बहुत दबाव आ गया है। 

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शिक्षा संगठनों की मुख्य मांगें

शिक्षा से जुड़े संगठनों ने सरकार के सामने ये मांगें रखी हैं:

  • दूसरे विभागों के कर्मचारियों को लगाएं: संगठनों का कहना है कि एसआईआर (SIR) जैसे कामों के लिए शिक्षकों के बजाय दूसरे सरकारी विभागों के कर्मचारियों की ड्यूटी भी लगाई जाए।

  • पढ़ाई को न रोकें: जब स्कूलों में पढ़ाई का सीजन चल रहा है, तब शिक्षकों को हटाकर पूरी शिक्षा व्यवस्था को रोक देना बच्चों के भविष्य के लिए बिल्कुल सही नहीं है।

  • बच्चों का नुकसान रोकें: संगठनों ने जोर दिया है कि बच्चों के नुकसान को सबसे पहले देखा जाना चाहिए। इसलिए ड्यूटी पर लगाए गए शिक्षकों की संख्या कम की जाए या कोई दूसरा इंतजाम किया जाए।

  • शिक्षकों को तुरंत वापस बुलाएं: दिसंबर में होने वाली परीक्षाओं को देखते हुए, शिक्षकों को जल्द से जल्द वापस स्कूलों में भेजा जाना चाहिए ताकि बच्चों की पढ़ाई शुरू हो सके।

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