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Photograph: (the sootr)
KORBA.छत्तीसगढ़ में इंसान और हाथियों का संघर्ष लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोरबा जिले के करतला इलाके के बोतली गांव हाथियों का एक झुंड घुस गया। इस झुंड ने एक ग्रामीण को कुचल कर मार डाला।
शुक्रवार रात, हाथियों का एक झुंड अचानक गांव में घुस आया, जिससे चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। लोग डर कर भागने लगे। इसी दौरान, हाथियों का यह बेकाबू झुंड शिवनारायण (36 साल) पर टूट पड़ा। हाथियों ने उसे बुरी तरह कुचल दिया जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि जंगल और इंसानों की बस्तियों के बीच यह टकराव कितना खतरनाक हो चुका है। घटना के बाद आसपास के कई गांवों में हाथियों का गहरा डर फैल गया है।
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हाथी हमले की दर्दनाक कहानी
करतला रेंज का बोतली गांव वन्यग्राम है। शुक्रवार देर रात अचानक गांव में हाथियों के झुंड के घुसने से ग्रामीणों में अफरा-तफरी मच गई। गांव वाले अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे। कुछ साहसी ग्रामीणों ने एकजुट होकर ट्रैक्टरों की मदद से हाथियों को जंगल की ओर भगाने का प्रयास किया। इसी प्रयास के दौरान, घिनारा गांव के शिवनारायण हाथियों के गुस्से का शिकार बन गए।
घटनास्थल पर मौजूद ग्रामीणों के अनुसार, हाथियों का झुंड बेकाबू हो गया था और उन्होंने शिवनारायण को बुरी तरह कुचल दिया। उसकी मौके पर ही मौत हो गई। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम और स्थानीय पुलिस घटनास्थल पर पहुंची।
शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। वन विभाग ने मृतक के परिजनों को तत्काल सहायता राशि प्रदान की है। लेकिन इस घटना के बाद से गांव में दहशत का माहौल है।
तत्काल सहायता और मुआवजा
तत्काल सहायता: मृतक के परिजनों को ₹25,000 की तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की गई है।
शेष राशि: राज्य शासन के नियमानुसार, शेष ₹5.75 लाख की मुआवजा राशि सभी आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद दी जाएगी।
कोरबा में क्यों दिख रहे हैं इतने हाथी?
कोरबा इलाके में हाथियों का आना-जाना लगातार बना हुआ है। वन विभाग की अधिकारी प्रेमलता यादव ने बताया कि करतला रेंज के रामपुर, नवापारा, बड़मार जैसे कई गांवों के आस-पास करीब 38 हाथियों का बड़ा झुंड घूम रहा है।
असल में, खाना और पानी की तलाश में ये हाथी अक्सर मानव बस्तियों के पास आ जाते हैं। यह पूरा इलाका ही बहुत समय से हाथियों से प्रभावित रहा है।
हाथियों पर नजर रखने के लिए वन विभाग खास थर्मल ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है। साथ ही, वे 'गज संकेत' नाम के एक ऐप के जरिए ग्रामीणों को बार-बार चेतावनी भी भेज रहे हैं कि हाथी कहां हैं।
इतनी कोशिशों के बावजूद, कई बार लोग लापरवाही कर जाते हैं या हाथियों को भगाने के लिए गलत तरीके अपनाते हैं। जिसके खतरनाक परिणाम सामने आते है।
छत्तीसगढ़ में संघर्ष के मुख्य कारण
छत्तीसगढ़ में हाथी-मानव टकराव का इतिहास काफी पुराना है। पिछले कुछ दशकों में यह खतरनाक रूप ले चुका है। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों (2019-2024) में 300 से अधिक लोगों की जान छत्तीसगढ़ में हाथियों के हमले में जा चुकी है।
इसके मुख्य कारणों में निम्नलिखित शामिल हैं:
जंगलों की कटाई और विखंडन : विकास परियोजनाओं, खनन और औद्योगिकीकरण के कारण हाथियों के प्राकृतिक निवास सिकुड़ते जा रहे हैं। उनके पारंपरिक गलियारे खत्म होने से वे भोजन की तलाश में गांवों और खेतों की ओर आ रहे हैं।
हाथियों का बढ़ता विचरण क्षेत्र : हाथियों का दल अब राज्य के उत्तरी हिस्सों के अलावा मध्य और दक्षिणी जिलों तक भी पहुंचने लगा है। संघर्ष का दायरा बढ़ गया है।
फसलों की उपलब्धता : धान और अन्य फसलें हाथियों को आसानी से भोजन उपलब्ध कराती हैं, जिससे वे रात के समय खेतों में घुसपैठ करते हैं।
लापरवाही और उत्तेजना : कई बार ग्रामीण, खासकर रात के समय, हाथियों की मौजूदगी के बावजूद खेतों या जंगल की ओर चले जाते हैं। कुछ लोग हाथियों के साथ सेल्फी लेने या उन्हें भगाने के लिए पटाखे फोड़ने जैसी उत्तेजक हरकतें करते हैं, जिससे हाथी हिंसक हो जाते हैं।
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ग्रामीणों के लिए वन विभाग के दिशा-निर्देश
- रात में बाहर न निकलें: सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले जंगल, खेतों या गांव के बाहरी इलाकों में अकेले न जाएं। हाथियों की गतिविधि अक्सर रात के समय ही अधिक होती है।
- समूह में रहें: अगर अपरिहार्य हो तो समूह में रहें और टॉर्च या मशाल का उपयोग करें।
- हाथियों से दूरी बनाए रखें: अगर आपको हाथी दिखाई दे तो उनसे सुरक्षित दूरी बनाए रखें। उन्हें उत्तेजित करने की कोशिश न करें, न ही उनके पास जाकर सेल्फी लेने की मूर्खता करें।
- शोर-शराबा करने से बचें: शांत हाथियों को भगाने के लिए अचानक शोर या तेज रोशनी का प्रयोग न करें, क्योंकि इससे वे डरकर या गुस्सा होकर हमला कर सकते हैं।
- वन विभाग को सूचना दें: हाथी दिखने पर तुरंत वन विभाग के स्थानीय अधिकारी या हाथी मित्र दल को सूचित करें।
- गज संकेत ऐप का उपयोग करें: अपने मोबाइल को गज संकेत ऐप से जोड़ें और विभाग द्वारा जारी किए गए अलर्ट पर तुरंत ध्यान दें।
- बायो फेंसिंग का उपयोग: हाथी प्रभावित क्षेत्रों में नींबू या मिर्च जैसी फसलों की जैविक बाड़ लगाकर हाथियों को खेतों से दूर रखने के उपाय अपनाए जा सकते हैं।
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