इंदौर में 16 करोड़ के वाहन चोरी: 7 महीनों में 1853 वाहन गायब, बाग टांडा गिरोह का नाम आया सामने

पुलिस ने इन महीनों में सिर्फ 3 वाहन चोर गिरोह पकड़े हैं और उनसे केवल एक-दो दर्जन वाहन ही बरामद किए हैं। कई गिरोहों के सरगना अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।

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Vishwanath Singh
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Sourabh586
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इंदौर में वाहन चोर गैंग बेलगाम हो चुकी है। बीते 7 महीनों में ही 1822 टू–व्हीलर और 31 फोर–व्हीलर चोरी हो चुके हैं। इनकी कुल अनुमानित कीमत 16 करोड़ रुपए से ज्यादा आंकी गई है। औसतन हर महीने 200 से 250 वाहन चोरी हो रहे हैं। इसको लेकर एक बड़ी बात सामने आ रही है, जिसमें यह काम बाग–टांडा गिरोह का होना बताया जा रहा है। 

सिर्फ तीन गैंग पकड़े, रिकवरी नाममात्र

पुलिस ने इन महीनों में सिर्फ 3 वाहन चोर गिरोह पकड़े हैं और उनसे केवल एक-दो दर्जन वाहन ही बरामद किए हैं। कई गिरोहों के सरगना अब भी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। वहीं, सबसे बड़ी बात तो यह है कि शहर में होने वाली बड़ी चोरियों में भी जहां बाग टांडा गिरोह के होने की बात सामने आ रही है तो अब इस गैंग का नाम वाहन चाेरी में भी देखने को मिल रहा है। 

FIR दर्ज कराने में जनता परेशान

पीड़ितों का आरोप है कि वाहन चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराने में ही 15 से 20 दिन तक चक्कर लगाने पड़ते हैं। कई थानों में तो एफआईआर दर्ज ही नहीं की जाती। सूत्रों के मुताबिक देखने में आया है कि जितनी शिकायतें दर्ज हैं। वास्तविक चोरी की संख्या उससे डेढ़ गुना ज्यादा है। बताया गया कि रिकॉर्ड खराब न हो, इसलिए पुलिस रिपोर्ट लिखने में टाल–मटोल करती है। ऐसा ही चोरी की वारदातों में भी देखने में आया था। 

देवास, सोनकच्छ और बागटांडा के गिरोह सक्रिय

वाहन चोरी में देवास की धानी घाटी, सोनकच्छ और आसपास के बदमाश सक्रिय हैं। इसके अलावा धार जिले के बागटांडा, राजस्थान और महाराष्ट्र के गिरोह भी इंदौर में धावा बोल रहे हैं। ये चोर खासतौर पर बुलेट, रेसिंग और ब्रांडेड बाइक पर हाथ साफ करते हैं। नई गाड़ियों के लॉक तोड़ने में माहिर ये बदमाश मिनटों में बाइक या कार चुरा ले जाते हैं।

CCTV पर निर्भर पुलिस

शहर के चारों जोनों में DCP तैनात हैं, लेकिन चोरी की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं। पुलिस सिर्फ कैमरों के फुटेज पर निर्भर है और मौके पर दबिश देने जैसे मामले कम ही देखने को मिल रहे हैं। लसूड़िया, बाणगंगा, विजय नगर, एमआईजी, भंवरकुआं और संयोगितागंज थाने तो ऐसे हैं, जहां हर महीने औसतन 25 से 30 वाहन चोरी हो रहे हैं।

एफआईआर में वाहन की कीमत भी कम

यह भी देखने में आ रहा है कि FIR दर्ज करते समय वाहनों की वास्तविक कीमत नहीं लिखी जाती। कभी लिखी भी जाती है तो काफी कम। सूत्रों के मुताबिक जब गिरोह पकड़े जाने पर पुलिस यही वाहन लाखों रुपए के बताती है। सिर्फ 1822 दोपहिया वाहनों की कीमत करीब 16.39 करोड़ रुपए बैठती है। कई बुलेट और लग्जरी बाइक्स की कीमत 1.5 से 2 लाख तक थी।

बायपास-रिंग रोड पर सबसे ज्यादा चोरी

वाहन चोरी में सबसे अधिक मामले लसूड़िया थाने से जुड़े हैं, उसके बाद विजय नगर और फिर बाणगंगा थाना। ये सभी इलाके बायपास और रिंग रोड से सटे हैं। गाड़ी चोरी के बाद चोर आसानी से हाईवे पकड़कर फरार हो जाते हैं। पुलिस चेकिंग प्वाइंट्स से भी वे पूरी तरह वाकिफ हैं।

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यह कहना है पुलिस अफसरों का

पुलिस के मुताबिक चारों जोन के डीसीपी को विशेष मॉनिटरिंग के निर्देश दिए गए हैं। जिन थानों में चोरी की घटनाएं अधिक हैं, वहां बीट सिस्टम को मजबूत किया जाएगा और विशेष पेट्रोलिंग कराई जाएगी।”

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