जबलपुर में कानून-व्यवस्था को लेकर एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां चाकू से घायल एक युवक और उसके परिजनों को न्याय की तलाश में थानों के बीच भटकना पड़ा। इस लापरवाही का खामियाजा संजीवनी नगर थाना प्रभारी अंजलि उदैनिया को भुगतना पड़ा, जिन्हें जांच के बाद पुलिस अधीक्षक द्वारा लाइन हाजिर कर दिया गया है। इसके साथ ही भेड़ाघाट थाना प्रभारी की भूमिका पर भी जांच चल रही है। यह मामला न केवल पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जनता की सुरक्षा में तैनात अधिकारी कभी-कभी संवेदनशीलता की कमी दिखाते हैं।
घायल को भटकने पर किया मजबूर
मिली जानकारी के मुताबिक, युवक चाकू लगने से गंभीर रूप से घायल था और वह अपने परिवार के साथ संजीवनी नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचा। लेकिन थाना प्रभारी अंजलि उदैनिया ने यह कहकर उनकी शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया कि यह मामला उनके थाना क्षेत्र का नहीं है। उन्होंने घायल और उसके परिजनों को भेड़ाघाट थाने जाने के लिए कहा। जब युवक भेड़ाघाट थाने पहुंचा, तो वहां के पुलिसकर्मियों ने यह कहते हुए उनकी मदद करने से मना कर दिया कि यह घटना संजीवनी नगर थाने के अंतर्गत आती है। नतीजतन, घायल युवक और उसके परिजन गंभीर स्थिति में थाने से थाने भटकने को मजबूर हो गए। इस दौरान घायल की हालत और बिगड़ गई, लेकिन मदद के बजाय पुलिसकर्मियों ने अपनी जिम्मेदारियों को एक-दूसरे पर डालते हुए पीड़ितों को दर-दर भटकाया।
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एसपी से की थी मामले की शिकायत
घटना से आहत युवक के परिजनों ने पुलिस अधीक्षक से संपर्क कर शिकायत दर्ज करवाई। उन्होंने अधिकारियों को बताया कि किस प्रकार दोनों थानों ने उनकी मदद करने से इनकार कर दिया और घायल को समय पर उपचार तक नहीं मिल पाया। पुलिस अधीक्षक ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि संजीवनी नगर थाना प्रभारी अंजलि उदैनिया ने न केवल अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की, बल्कि पुलिस नियमों का उल्लंघन भी किया। रिपोर्ट दर्ज करने के लिए घायल युवक को थानों के बीच भटकाना एक गंभीर लापरवाही मानी गई, जिसके कारण पुलिस अधीक्षक ने कड़ी कार्रवाई करते हुए अंजलि उदैनिया को लाइन हाजिर करने का आदेश दिया। इसके साथ ही भेड़ाघाट थाना प्रभारी पर भी जांच बैठा दी गई है।
पुलिस के नियमों का किया उल्लंघन
पुलिस के नियमों के अनुसार, किसी भी घायल व्यक्ति की रिपोर्ट उस थाने में दर्ज की जानी चाहिए, जो घटनास्थल के नजदीक हो। अगर यह स्पष्ट न हो कि मामला किस थाने का है, तो नजदीकी थाने को प्राथमिकता दी जाती है। इसके अतिरिक्त, ऐसे मामलों में 'जीरो एफआईआर' का प्रावधान है। इसके तहत रिपोर्ट दर्ज कर उसे संबंधित थाने में स्थानांतरित किया जा सकता है। इस मामले में, न तो जीरो एफआईआर दर्ज की गई और न ही घायल युवक की स्थिति को देखते हुए कोई प्राथमिक सहायता उपलब्ध कराई गई। यह स्पष्ट रूप से पुलिस मैनुअल और मानवता दोनों के खिलाफ है।
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पुलिस अधीक्षक का कड़ा रुख
जांच में लापरवाही की पुष्टि होने पर पुलिस अधीक्षक ने सख्त रुख अपनाते हुए संजीवनी नगर थाना प्रभारी अंजलि उदैनिया को लाइन हाजिर कर दिया। वहीं भेड़ाघाट थाना प्रभारी पर भी जांच बैठा दी गई है। यह कदम न केवल प्रशासनिक लापरवाही पर लगाम लगाने का प्रयास है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।
सुधार और जवाबदेही तय करने की जरूरत
यह घटना पुलिस विभाग के लिए एक चेतावनी है। जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी ड्यूटी और संवेदनशीलता को समझने की आवश्यकता है। इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए पुलिसकर्मियों को अपने कर्तव्यों का पालन करने और पीड़ितों की मदद करने में तत्पर रहना चाहिए। साथ ही, नियमों के बारे में प्रशिक्षण और जीरो एफआईआर की प्रक्रिया को सख्ती से लागू करना बेहद जरूरी है।
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